हिन्दू युवती को प्रेम के जाल में फंसाने वाले धर्मांध कट्टरपंथी के घर में नागरिकों ने लगाई आग !
चूंकि पुलिस कट्टरपंथियों के विरुद्ध कडी कार्रवाई नहीं कर रही थी । ऐसे में यदि नागरिक कानून अपने हाथ में ले रहे हैं, तो इस पर विचार किया जाना चाहिए !
चूंकि पुलिस कट्टरपंथियों के विरुद्ध कडी कार्रवाई नहीं कर रही थी । ऐसे में यदि नागरिक कानून अपने हाथ में ले रहे हैं, तो इस पर विचार किया जाना चाहिए !
चूंकि पुलिस कट्टरपंथियों के विरुद्ध कडी कार्रवाई नहीं कर रही थी । ऐसे में यदि नागरिक कानून अपने हाथ में ले रहे हैं, तो इस पर विचार किया जाना चाहिए !
उत्तरप्रदेश में लव जिहाद का कानून होते हुए भी उद्दंड धर्मांध हिन्दू लडकियों को फांसते ही हैं । उनमें (धर्मांधो में) भय उत्पन्न करने के लिए कठोर निर्णय लेना आवश्यक !
उत्तरप्रदेश में लव जिहाद के विरोध में कानून बनाने के बाद भी धर्मांधों की ओर से इस प्रकार के कृत्य किए जा रहे हैं । इस कारण ऐसों को अब आजीवन कारावास की सजा देने का प्रावधान इस कानून में करना चाहिए, ऐसा ही हिन्दुओं को लगता है !
मध्यप्रदेश में लवजिहाद का कानून होते हुए भी धर्मांध, हिन्दू लडकियों को फंसाकर उनका जीवन बरबाद कर रहे हैं, यह संतापजनक ! ऐसे उद्दाम धर्मांधों को कठोर दंड देना आवश्यक !
देश में लव जिहाद की बढती घटनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार को देश स्तर पर लव जिहाद विरोधी कानून बनाना चाहिए, ऐसा ही हिन्दुओं को लगता है !
कई बार ऐसा दिखाई देता है कि मुसलमान से प्रेम करनेवाली हिन्दू महिला पहले अपना धर्म बदलती है । किसी मौलवी के पास ले जाकर उसका धर्मांतरण किया जाता है । उससे कोई सत्य प्रतिज्ञापत्र लिया जाता है, जिस पर लिखा होता है, ‘मैं अपनी इच्छा से धर्म बदल रही हूं और मेरे माता-पिता के पास जाने की मेरी इच्छा नहीं है ।
हमारा धर्म और संस्कृति बचेगी तो देश बचेगा; क्योंकि यदि कट्टरता बढती है, तो पुलिस व्यवस्था, प्रशासन, न्यायपालिका समेत पूरा देश संकट में पड जाएगा । देश की संप्रभुता के लिए वास्तव में यह एक बडी चुनौती है ।
हिन्दी चलचित्र ‘अतरंगी रे’ में ‘लव जिहाद’ को बढावा दिया जा रहा है । इसमें अभिनेता अक्षय कुमार ने ‘सज्जाद’ नामक मुसलमान युवक की और अभिनेत्री सारा अली खान ने ‘रिंकू’ नामक हिन्दू युवती की भूमिका की है ।
‘लव जिहाद’ झूठ है’, ऐसा चीख चीखकर कहने वाले आधुनिकतावादी, धर्मनिरपेक्षतावादी, साम्यवादी और उदारमतवादी समूह को अब क्या कहना है ? अब न्यायालय का भी ‘भगवाकरण’ हुआ है, ऐसा इस समूह के कहने पर आश्चर्य ना लगे !