लव जिहाद के बढते प्रसंग और उनके समाधान

पू. (अधिवक्ता) सुरेश कुलकर्णीजी

१. महाराष्ट्र में विभिन्न प्रकार के लव जिहाद

     संभाजीनगर महाराष्ट्र का एक महत्त्वपूर्ण शहर है । दिवंगत हिन्दूहृदयसम्राट बाळासाहेब ठाकरे को संभाजीनगर से विशेष प्रेम था, किंतु उसी शहर में २०० रुपए लेकर हिन्दू लडकियों में बांटने का फतवा जारी कर दिया गया । वहां अनेक हिन्दू लडकियों को प्यार का लालच देकर उनका धर्मपरिवर्तन कराया गया ।

     ऐसे प्रसंग सदैव विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, रेस्तरां और शीतल पेय में देखे गए । निकटतम शहर जिला संभाजीनगर है, प्रस्तुत है एक नई कहानी । लव जिहाद में केवल हिन्दू लडकियां ही नहीं, व्याहता (शादीशुदा) महिलाओं को भी ठगा जा रहा है । इन महिलाओं को धोखा दिया गया, तत्पश्चात उनका यौन और आर्थिक शोषण किया गया और जब उनके बच्चे हुए तो उन्हें छोड दिया गया । इसके साथ यह भी स्पष्ट हुआ है कि उसे दूसरों के अधीन (हवाले) किया जाना चाहिए । दुर्भाग्य से, कोई भी राजनीतिक दल या शासक लव जिहाद को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हुआ है ।

२. लव जिहाद के विषय में केंद्रीय गृह मंत्रालय को गुप्त जानकारी रिपोर्ट सौंपे जाने के उपरांत केरल में प्रसन्नता की लहर !

     केरल उच्च न्यायालय में यह सिद्ध हो चुका है कि केरल में प्रति मास १०० से अधिक लडकियों का धर्म परिवर्तन किया जाता है । २००६ से २००९ तक की इस अवधि में ४,००० से अधिक लोगों ने धर्मांतरण किया । केवल मल्लापुरम् जिले में १,६०० लडकियों का धर्मपरिवर्तन किया गया । इस तरह सहस्रों युवाओं का जीवन बर्बाद हो गया है । यह सारी जानकारी मलयालम साप्ताहिक कला कौमुदी दिनांक १०.६.२०१२ में प्रकाशित की गई है । गुप्त जांच एजेंसियों ने २०१२ में केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी थी । इसलिए केरल में पूरा उत्साह रहा । तब पता चला कि केरल में भी इस तरह का लव जिहाद चल रहा है ।

३. लव जिहाद का प्रसंग तब अदालत के संज्ञान में आया जब कट्टरपंथी ने केरल उच्च न्यायालय में प्रतिभूति (जमानत) के लिए आवेदन किया और अदालत ने ही इस प्रसंग को एक जनहित याचिका में परिवर्तित कर दिया ।

     २००९ में एक कट्टरपंथी प्रतिभूति के लिए केरल हाई कोर्ट गया था । उस समय केरल में बडी संख्या में महिलाएं लव जिहाद में सम्मिलित थीं । बडे स्तर पर उनका वित्तीय और शारीरिक शोषण किया गया । केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि राष्ट्र्र-विरोधी और आतंकवादी गतिविधियों के लिए भी उनका उपयोग किया जाता है । बाद में हाईकोर्ट ने कट्टरपंथी को प्रतिभूति देने से इनकार कर दिया । इतना ही नहीं, पता चला कि न्यायालय ने स्वयं इसी प्रकरण को जनहित याचिका में परिवर्तित कर दिया । इसके उपरांत चेन्नई स्थित एक गैरसरकारी संगठन ‘वॉयस ऑफ जस्टिस’ का आयोजन किया गया । इसके माध्यम से एक समिति का गठन किया गया ।

४. समिति द्वारा पेश किए गए लव जिहाद के तथ्य को राजनीतिक दलों ने किया निरस्त (खारिज) !

     इस समिति के सदस्य के रूप में विशिष्ट व्यक्तियों का चयन किया गया । इनमें जयपुर के पूर्व न्यायाधीश, सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायाधीश सुरेंद्र भार्गव भी सम्मिलित थे ।

     साथ ही भाग्यनगर के पूर्व पुलिस महानिदेशक पी.एस. राव; जयपुर (राजस्थान) से एडवोकेट जनरल गुरुचरण सिंह गिल्ली; प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. आई.बी. विजयलक्ष्मी; महाराष्ट्र्र में खानाबदोश समुदाय के लिए कार्यरत डॉ. सुवर्णा रावल (भिवंडी); चेन्नई के उद्योगपति पी. गणपति; एस रवि और रमेश गार्गी हैं ! इस अध्ययन समिति ने लव जिहाद के तथ्य प्रस्तुत किए । तभी से अर्थात २००९ से ही लव जिहाद शब्द चलन में है । कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी कभी भी लव जिहाद की सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पाईं ।

५. लंडन के पुलिस कमिश्नर ने दी लव जिहाद की सच्चाई और बीजेपी शासित राज्यों में लव जिहाद के विरुद्ध कानून !

     भारत में लव जिहाद में एक सिख लडकी को धोखा देने के लिए ८ लाख, जैन लडकी के लिए ७ लाख, ब्राह्मण लडकी के लिए ६ लाख दर तय किया गया है । लंडन के पुलिस आयुक्त ने पूरे हिन्दू समुदाय को चेतावनी दी है कि हिन्दुओं को महिलाओं की रक्षा करनी चाहिए; किंतु हमारे देश के सभी राजनेता और शासक यही कहते हैं कि लव जिहाद नहीं होता !

     सौभाग्य से आपका भाग्य अच्छा है कि बीजेपी के योगी आदित्यनाथ जैसे कट्टर हिन्दू धर्मगुरु ने अपने उत्तर प्रदेश में लव जिहाद और धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून बनाया । उनसे प्रेरित होकर गुजरात जैसे राज्यों ने भी धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए । विभिन्न राज्यों और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में भी इस कानून का विरोध हो रहा है । वर्तमान में इस संबंध में सभी याचिकाएं कोर्ट में विचाराधीन हैं ।

६. लव जिहाद की रोकथाम के विषय में पुलिस एवं प्रशासन उदासीन

     लव जिहाद के प्रसंगों में पुलिस की उदासीनता सर्वोपरि है । इस तरह का प्रसंग अंकित कराने के लिए जब कोई लडकी के सगे-संबंधी थाने जाती है, तो परिवाद में ‘लव जिहाद’ शब्द लिखने का साहस नहीं होता । पीडिता के माता-पिता और संबंधियों के नाम और गांव की सारी जानकारी दी जाती है; किंतु पुलिस आरोपी को पकडने का कोई प्रयास नहीं कर रही है । उनका केवल इतना कहना है कि परिवाद में लडकी भाग गई थी । यदि पुलिस पर अधिक दबाव होता है तो कुछ कार्रवाई की जाती है । ऐसे प्रसंगों में, पुलिस आपसे परिवहन के लिए भुगतान करने को कहेगी । सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस से बार-बार कहा है कि यदि कोई अपराध किया गया है तो पुलिस को स्वयं ऐसे अपराध प्रविष्ट करने चाहिए । इसके विपरीत ऐसा देखने में आया है कि जब कट्टरपंथियों का नाम आता है तो पुलिस के हाथ-पांव फूल जाते हैं । इसमें दिखाया गया है कि पुलिस लव जिहाद जैसे गंभीर अपराधों को कैसे अनदेखा करती है ।

७. शासक, पुलिस और न्यायपालिका की लापरवाही से हिन्दुओं पर हो रहा अन्याय

     दूसरी ओर कुछ अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों की मानसिकता एक जैसी है । सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत हुए गुजरात उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने ‘जज बार एसोसिएशन’ (कट्टरपंथियों को संबोधित करते हुए) में एक समारोह के समय कहा, “यदि कोई आपके विवाह में हस्तक्षेप करता है, तो मैं सुप्रीम कोर्ट में हूं !” ये चर्च लव जिहाद जैसे प्रसंगों को बढावा दे रहे हैं । ईसाईयों को १५२ ईसाई देशों से मदद मिलती है, कट्टरपंथियों को ५२ देशों से मदद मिलती है । हिन्दुओं का क्या ? १९५ से अधिक देशों के साथ इस दुनिया में एक भी हिन्दू राष्ट्र्र नहीं है । भारत में हिदुओं का कोई संरक्षक नहीं है ! कोई नेता नहीं ! उत्पीडित हिन्दुओं के पीछे कोई खडा नहीं होता, कमजोर विरोध करने वाले तो वही होते हैं ।

८. हिन्दुओं के पास अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है !

     ऐसे में हिन्दू समाज को धर्म का पालन करते हुए अपनी संस्कृति की रक्षा करते रहनी चाहिए । परिवार व्यवस्था जैसे अच्छे प्रसंगों को एक साथ पोषित किया जाना चाहिए, जिससे आने वाली पीढी का पालन-पोषण हो सके और एक समृद्ध समाज का निर्माण हो सके । इसमें धार्मिक संगठनों को सम्मिलित होना चाहिए । आज बहुत से लोग पूछते हैं, “लव जिहाद कहां है ?” वे प्रमाणित करते हैं कि उनके (कट्टर) दोस्त अच्छे हैं । उन्हें तथ्यों से अवगत कराने की आवश्यकता है !

     इन सबके विषय में एक संतोषजनक और सकारात्मक बात यह है कि जैन समुदाय ने इससे सही शिक्षा ली है । उन्होंने ‘बहना भाग ना जाना’ जैसे कार्यक्रम आयोजित किए । समाज में महिलाओं की उचित जागरूकता, विशेष बात यह है कि कोरोना काल में भले ही सभी धर्मों के पूजा स्थल बंद थे, किंतु जैन समुदाय ने अपने घर और समाज में अस्थायी पूजास्थल बनाए । वे एक साथ प्रार्थना और पूजा करते हैं जो प्रशंसनीय है । हिन्दू समाज को भी इसका पालन करने की आवश्यकता है ।

     हमारा धर्म और संस्कृति बचेगी तो देश बचेगा; क्योंकि यदि कट्टरता बढती है, तो पुलिस व्यवस्था, प्रशासन, न्यायपालिका समेत पूरा देश संकट में पड जाएगा । देश की संप्रभुता के लिए वास्तव में यह एक बडी चुनौती है । इसलिए सभी हिन्दू समाज को धर्म का पालन करना चाहिए, धर्मबंधुओं के मध्य जागरूकता उतपन्न करनी चाहिए और वैध मार्ग से लव जिहाद जैसी बुरी प्रवृत्तियों का विरोध करना चाहिए ।

श्रीकृष्णार्पणमस्तु !

– (पू.) अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी, संस्थापक सदस्य, हिन्दू विधान परिषद और अधिवक्ता, मुंबई उच्च न्यायालय (२९.९.२०२१)

बॉलिवुड, आतंकवादी संगठन और कट्टर पैरोकार लव जिहाद को विभिन्न प्रकार से अंजाम दे रहे हैं ।

अ. इस पृष्ठभूमि के विरुद्ध, फिल्म निर्माताओं का समूह गर्व से पूछता है, “क्या आप प्यार करते हुए धर्म देखना चाहते हैं ?” विशेष बात यह है कि फिल्मों में हिन्दू अभिनेता और मुस्लिम अभिनेत्रियां काम नहीं करती हैं ।

आ. लव जिहाद का शिकार होने के उपरांत कुछ लडकियों को देश विरोधी गतिविधियों में प्रयोग किया गया है । ऐसे प्रसंग सामने आने पर कट्टरपंथी विदेश भाग जाते हैं और लडकियां पकडी जाती हैं । आईएसआई, लश्कर-ए-तैयबा, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे आतंकी संगठनों के साथ-साथ हिन्दू विरोधी डॉ. जाकिर नाइक जैसे कट्टरपंथियों से पैसा आता है ।

इ. कुछ बडे वकील अदालतों में नोटरी का काम करते हैं । ऐसे विवाहों के झूठे कागद-पत्र (दस्तावेज) वहां बनाए जाते हैं, यह मुंबई हाईकोर्ट में सिद्ध हो चुका है । यह सब एक स्थान से आरंभ होता है । कुछ दिन पूर्व इस तरह के काम के लिए देहली के एक कोर्ट रूम का इस्तेमाल किया गया था । इसलिए बार काउंसिल ने एक कट्टर अधिवक्ता के चार्टर को निलंबित कर दिया है ।