सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेवजी के जन्मोत्सव निमित्त बिहार एवं उत्तर प्रदेश में मंदिरों में मनौती

सैदपुर के बूढे महादेव मंदिर में मनौती मांगते समय १०० से भी अधिक श्रद्धालु उपस्थित थे ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा विशद ‘अष्टांग साधना’, उसका क्रम एवं पंचमहाभूतों से संबंध

अष्टांग साधना में स्वभावदोष-निर्मूलन (एवं गुणसंवर्धन), अहं-निर्मूलन, नामजप, भावजागृति, सत्संग, सत्सेवा, त्याग एवं प्रीति यह ८ चरण हैं | यह साधना का क्रम सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने विशद किया है, वह विशेषतापूर्ण है

‘अनिष्ट शक्तियों के कष्टों से रक्षा हो’, इसलिए अस्पताल के रोगी, उसके सगे-संबंधी, डॉक्टर, परिचारिका आदि सभी अधिकाधिक नामजप करें !

नामजपका लाभ उपचार के लिए आए रोगियों को भी अपनेआप होगा । अस्पताल में अन्य रोगियों को भी नामजप का स्मरण करवाएं । नामस्मरण से मनोबल बढता है, मनःशांति मिलती है और जीवन आनंदी बनने में सहायता मिलती है ।

क्या ऐसे नेता देश का भला कर सकते हैं ?

‘अधिकांश राजनीतिक दलों के कुछ कार्यकर्ता ही नहीं, कुछ नेता भी वेतन प्राप्त सेवक के समान होते हैं । किसी अन्य दल ने अधिक पैसे दिए, तो वे उस दल के कार्यकर्ता अथवा नेता बन जाते हैं ! ऐसे कार्यकर्ता अथवा नेता क्या कभी देश का भला कर पाएंगे ?’

ʻहिन्दूʼ शब्द की सर्वव्यापकता !

‘हिन्दू’ शब्द की व्युत्पत्ती है, ‘हीनान् गुणान् दूषयति इति हिंदुः ।’ अर्थात ‘हीन, कनिष्ठ, रज एवं तम गुणों का नाश करनेवाला ।’ कितने हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन अपने कार्यकर्ताओं को यह सिखाते हैं ?’

यह अधिक भयावह प्रदूषण है !

‘स्थूल का, अर्थात देह तथा वस्तुओं द्वारा किए तात्कालिक प्रदूषण की तुलना में सूक्ष्म स्तर का, अर्थात मन एवं बुद्धि से किया प्रदूषण अनेक गुना लम्बे समय के लिए हानिकारक होता है, इस ओर ध्यान रखें !’

विज्ञान की तुलना में अध्यात्म की सर्वश्रेष्ठता !

केवल अध्यात्म ही एकमात्र ऐसा विषय है, जो विश्व के सभी विषयों से संबंधित त्रिगुण, पंचमहाभूत, साथ ही शक्ति, भाव, चैतन्य, आनंद एवं शांति इत्यादि के संदर्भ में परिपूर्ण जानकारी दे सकता है । – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

हास्यास्पद साम्यवाद !

‘वनस्पति, प्राणी, मानव इत्यादि में समानता नहीं । इतना ही नहीं, पृथ्वी के ७०० करोड से अधिक मानवों में से किन्ही दो मानवों के धन, शिक्षा, शरीर, मन, बुद्धि और चित्त में समानता नहीं । ऐसा होते हुए भी ‘साम्यवाद’ कहना क्या हास्यास्पद नहीं है ?’

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी संबंधी ग्रंथमाला

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजीकी गुरुसे हुई भेंट एवं उनका गुरुसे सीखना’ इस ग्रंथ मे पढिये सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजीके प्रथम ग्रन्थ ‘अध्यात्मशास्त्र’ से अधिक चैतन्य प्रक्षेपित होता है, यह दर्शानेवाला वैज्ञानिक परीक्षण