चीन ने भारत की सीमा पर किए हैं अनेक निर्माण कार्य !
चीन को जैसे का तैसा प्रत्युत्तर देने के लिए भारत को भी उतनी ही तैयारी करने की आवश्यकता है !
चीन को जैसे का तैसा प्रत्युत्तर देने के लिए भारत को भी उतनी ही तैयारी करने की आवश्यकता है !
आर्थिक दिवालिया हुए श्रीलंका को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से कर्ज मिलने के लिए चीन ने नहीं, बल्कि भारत ने सहायता की थी । इसके उपरांत ही श्रीलंका पुन: खडा हो रहा है; लेकिन इसका प्रतिसाद श्रीलंका जिस प्रकार से दे रहा है, उसके ऊपर भारत को चिन्तन करने की आवश्यकता है !
भारतीय नौसेना उसकी शक्ति को गति से बढा रहा है । नई ६८ युद्ध नौकाएं खरीदने की मांग की गई है । इसके लिए २ लाख करोड रुपए खर्च होने वाले हैं । इसके पीछे हिंद महासागर में चीन की बढती चुनौती मुख्य कारण है ।
चीन के रक्षामंत्री ली शांगफू पिछले २ सप्ताह से लापता हैं । अगस्त माह में चीन की परमाणु पनडुब्बी ताइवान के समुद्र में हुई दुर्घटना में डूब गई । इसमें १०० नौसैनिक थे । उनकी मृत्यु हो गई ।
‘नेपाल को क्या करना है और क्या नहीं करना है, यह बताने का अधिकार चीन को किसने दिया ?,’ ऐसा प्रश्न नेपाल की जनता को चीन से पूछना चाहिए !
चीन के इस प्रकल्प का भारत सहित संसार के अनेक देशाें ने विरोध किया है, तथा कुछ देश अब इस प्रकल्प से बाहर भी निकल रहे हैं ।
हमारी एक इंच भी भूमि चीन ने नहीं हडपी । वर्ष १९६२ में जो हुआ, उस विषय में बोलना निरर्थक है; परंतु अब आखिरी इंच तक हमारा भूभाग हमारे ही अधिकार में है, ऐसा भी उन्होंने स्पष्ट किया ।
इस आर्थिक महामार्ग को चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड’ योजना के प्रत्युत्तर के रूप में देखा जा रहा है ।
नेपाल में चीन के राजदूत के भारतविरोधी वक्तव्यों का प्रकरण
चीन के इस विधान पर कौन विश्वास करेगा ? चीन के बोलने और करने दोनों में हमेशा ही अन्तर रहा है !