परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का महर्षि के प्रति शिष्यभाव एवं महर्षि का परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति ‘श्रीमन्नारायण के अवतार’ में आदरभाव !
रथोत्सव के दिन सवेरे सप्तर्षियों का संदेश आया, ‘श्रीमन्नारायण स्वरूप गुरुदेवजी ने हम सभी की प्रार्थना सुन ली है । प्रकृति अनुकूल हो गई है । मेघ पूर्ण रूप से गए नहीं थे; गुरुदेवजी ने उन्हें साधकों की दृष्टि से दूर ले जाकर रखा था । रथोत्सव समाप्त होने पर ये मेघ पुन: बरसेंगे ।