सनातन का लघुग्रंथ : आध्यात्मिक कष्टों को दूर करने हेतु उपयुक्त दृष्टिकोण

‘आध्यात्मिक कष्ट होना’ भले ही हमारे हाथ में न हो, तब भी ‘आध्यात्मिक उपचारों से कष्टों को नियंत्रण में रखना तथा धीरे-धीरे उन्हें मिटाना’ हमारे हाथ में होता है । ‘आध्यात्मिक उपचारों से हम कष्टों पर निश्चित ही विजय प्राप्त कर सकते हैं’, स्वयं में यह विश्वास उत्पन्न करना पडता है । प्रस्तुत लेखमाला में दिए गए अधिकतर दृष्टिकोण सभी के लिए उपयुक्त हैं ।

गणेशोत्सव का आरंभ श्री गणेश चतुर्थी को ही क्यों ?

गणेश तृतीया, गणेश पंचमी अथवा गणेश सप्तमी के दिन क्यों नहीं मनाई जाती ? तत्त्ववेत्ता पुरुषों की भावना एवं मान्यता यह है कि मनुष्य में सत्त्व, रज एवं तम ये ३ गुण होते हैं । उन्हें सत्ता दिलानेवाला चैतन्य चौथा है ।

मोदक

‘मोद’ का अर्थ है आनंद तथा ‘क’ का अर्थ है छोटा सा अंश ! मोदक का अर्थ है आनंद का छोटा सा अंश !

प्रथम नमन आपको गणेशजी !

श्री गणपति में शक्ति, बुद्धि एवं संपत्ति, ये तीन सात्त्विक गुण हैं । वे भक्तों पर अनुकंपा करनेवाले हैं । श्री गणपति विद्या, बुद्धि एवं सिद्धि के देवता हैं । वे दुखहरण करनेवाले हैं; इसीलिए प्रत्येक मंगलकार्य के आरंभ में श्री गणेश की पूजा की जाती है । विद्यारंभ में तथा ग्रंथारंभ में भी श्री गणेश का स्तवन करते हैं ।

तर्पण एवं पितृतर्पण का उद्देश्य और महत्त्व !

किसी भी श्राद्धविधि में ‘तर्पण’ दिया जाता है । ‘तर्पण’ का अर्थ, उसका महत्त्व एवं प्रकार, उसका उद्देश्य, साथ ही उसे करने की पद्धति के विषय में जानकारी इस लेख में दिया है ।

श्राद्ध में भोजन कैसे परोसें ?

पितृपात्र के लिए (पितरों के पत्तल के लिए) उलटी दिशा में (घडी की सुइयों की विपरीत दिशा में) भस्म की रेखा (पिशंगी) बनाएं । श्राद्धीय ब्राह्मणों की थाली में लवण (नमक) न परोसें ।

श्राद्ध कौन करें एवं कौन न करें ?

मृत व्यक्ति के श्राद्ध कुटुंब में कौन कर सकता है एवं उसका अध्यात्मशास्त्रीय कारण इस लेख में देखेंगे । इससे यह स्पष्ट होगा कि हिन्दू धर्म एकमात्र ऐसा धर्म है जो प्रत्येक व्यक्ति का उसकी मृत्यु के उपरांत भी ध्यान रखता है ।

नांदीश्राद्ध (वृद्धिश्राद्ध) क्या है ? यह क्यों करते हैं ?

प्रत्येक मंगलकार्य के आरंभ में विघ्ननिवारणार्थ श्री गणपति पूजन करते हैं । उसी प्रकार पितर एवं पितर देवताओं का (नांदीमुख इत्यादि देवताओं का) नांदीश्राद्ध करते हैं ।

सर्वत्र आदर्श गणेशोत्सव मनाने संबंधी चलाए जानेवाले अभियान में अधिक से अधिक संख्या में सम्मिलित होकर श्री गणेश की कृपा प्राप्त करें !

समिति सात्त्विक गणेशमूर्ति के आध्यात्मिक एवं पर्यावरणीय लाभ के विषय में समाज का उद्बोधन कर रही है । असात्त्विक मूर्ति की अपेक्षा खडिया मिट्टी की मूर्ति से गणेशतत्त्व प्रक्षेपित होता है, जिससे गणेशभक्तों को अधिक लाभ होता है । इस संदर्भ में अन्यों का उद्बोधन कर गणेशभक्त सात्त्विक गणेशमूर्ति का प्रसार कर सकते हैं ।

पितृपक्ष में महालय श्राद्ध कर पितरों का आशीर्वाद प्राप्‍त करें !

श्राद्धविधि करने से पितृदोष के कारण साधना में आनेवाली बाधाएं दूर होकर साधना में सहायता मिलती है । ‘सभी पूर्वज संतुष्‍ट हों और साधना के लिए उनके आशीर्वाद मिलें’, इसके लिए पितृपक्ष में महालय श्राद्ध करना चाहिए ।