कश्मीर प्रश्न पर पाकिस्तान द्वारा पुनः तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की मांग !
लगातार भारत विरोधी भूमिका लेनेवाले पाकिस्तान को सरकार ऐसी भाषा में सबक सिखाए जो उसकी समझ में आए !
लगातार भारत विरोधी भूमिका लेनेवाले पाकिस्तान को सरकार ऐसी भाषा में सबक सिखाए जो उसकी समझ में आए !
भारत को अविलंब सैन्य-कार्रवाई करके पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पुन: भारत में मिला लेना चाहिए । भारत को यह अवसर गंवाना नहीं चाहिए, ऐसी लोगों की अपेक्षा है ।
‘हेन्ली पासपोर्ट इंडेक्स’ के अनुसार तैयार किए गए अनुक्रम में सर्वाधिक प्रबल (ताकतवर) पासपोर्ट में जापान का नाम सबसे ऊपर है । जापान के पासपोर्ट धारक को १९३ देशों में बिना विसा के प्रवेश मिलता है ।
तालिबानी अफगानिस्तान पर आधिपत्य स्थापित करने के उपरांत दिन में बड़े बड़े सपने देखने लगे हैं, यही इससे समझ में आता है !
चीन की उत्तरी सीमा पर स्थिति भले ही नियंत्रण में है, किन्तु वह अभी भी तनावपूर्ण है ! भारतीय सेना प्रमुख मनोज पांडे ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा ।
भारत का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ और पाकिस्तान नाम के इस्लामी देश का निर्माण हुआ । उसने धर्म के आधार पर प्रत्येक काम किए, ध्वज भी धर्म के आधार पर हरा रखा । भारत धर्म के आधार पर हिन्दू राष्ट्र होना अपेक्षित होते हुए भी तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं ने इसे धर्मनिरपेक्ष कर भारत के पुरातन भगवा ध्वज को पीछे डालकर तिरंगा चुना । यदि उस समय भारत हिन्दू राष्ट्र हो जाता, तो भगवा ही राष्ट्रध्वज होता !
पुलिस पर आक्रमण करने का साहस करने वाले सभी अफ्रीकियों को देश से बाहर भगा देना चाहिए ! भारत को धर्मशाला समझने के कारण ही ऐसी घटनाएं हो रही हैं, यह सरकारी तंत्र के लिए लज्जास्पद है !
भारत सरकार ने बार-बार पाकिस्तान के आतंकी मुख को विश्व के समक्ष उजागर किया है। ऐसे में यदि भारतीय जन साशंक हैं ! कि ‘क्या ऐसे समाचार प्रधानमंत्री मोदी की अपकीर्ती करने के लिए गढी जा रही हैं ?’ तो इसमें आश्चर्य की क्या बात है ? भारत सरकार को इसे संज्ञान में लेकर इसका प्रत्युत्तर देना अति आवश्यक है !
रशिया और युक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है । इसके लिए हम भारत सहित अन्य देशों के संकर्प में हैं । इन दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है, ऐसा वक्तव्य अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेस प्राइस ने किया है ।
यदि विश्व में एक ही शक्ति का वर्चस्व निर्माण हुआ, तो कोई भी क्षेत्र स्थिर नहीं होगा, ऐसा विधान भारत के विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने यहां के ‘डाई प्रेस’ इस दैनिक पत्रिका को दिए साक्षात्कार में किया ।