पिछले एक वर्ष में सनातन की विभिन्न भाषाओं में ३४ नए ग्रंथों का प्रकाशन तथा २५४ ग्रंथ-लघुग्रंथों का पुनर्मुद्रण !
‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए घोर आपातकाल आरंभ होने से पूर्व ही ‘ग्रंथों के माध्यम से अधिकाधिक धर्मप्रसार करना’ आज के समय की श्रेष्ठ साधना है !’, ये सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी के उद्गार हैं ।