सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

हिन्दू युवतियों को प्रेमजाल में फंसाकर उनसे विवाह करनेवाले धर्मांधों को पाप लगता है । वह उन्हें भोगना ही पडता है ।

नेताओं की सीमा !

‘देवस्थान तथा तीर्थक्षेत्रों में बिना बुलाए सहस्त्रों लोग आते हैं, जबकि नेताओं को पैसे देकर लोगों को सभा में बुलाना पडता है !’

स्वतंत्रता से लेकर अभी तक की शालेय शिक्षा की दुर्दशा !

‘अन्य देशों का इतिहास अधिकाधिक २ – ३ सहस्र वर्ष का है, जबकि भारत का लाखों वर्षों का, युगों युगों का है । यह पाठशाला में नहीं पढाया जाता । स्वतंत्रता से लेकर अभी तक के शासनकर्ता इसके लिए उत्तरदायी हैं । हिन्दू राष्ट्र में ही यह चूक सुधारी जाएगी ।’

वैज्ञानिकों और ऋषियों में भेद !

‘कहां यंत्रों से शोध कर परिवर्तित होते निष्कर्ष निकालनेवाले वैज्ञानिक, और कहां लाखों वर्ष पूर्व यंत्र और शोध के बिना ही अंतिम सत्य बतानेवाले ऋषि !

बुद्धिप्रमाणवादियों का अहंकार !

‘यदि किसी विषय का अध्ययन न किया हो, तो उस विषय में कुछ नहीं कहते; ऐसा होने पर भी बुद्धिप्रमाणवादी अध्यात्म विषय का अध्ययन न होने पर तथा स्वयं साधना न करने पर भी दिन-रात उसके विरोध में बोलते रहते हैं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

आध्यात्मिक बल एवं हिन्दू राष्ट्र !

‘एक एटम बम में लाखों बंदूकों का सामर्थ्य होता है, उसी प्रकार आध्यात्मिक बल में भौतिक, शारीरिक एवं मानसिक बल से अनंत गुना अधिक सामर्थ्य होता है । इसी कारण धर्मप्रेमियों का ‘संख्याबल अल्प होने पर भी हिन्दू राष्ट्र कैसे साकार होगा ?’, इसकी चिंता न करें ।’

बुद्धिप्रमाणवादियों के दो सबसे बडे दोष हैं, जिज्ञासा का अभाव तथा ‘मुझे सब पता है’, यह अहंकार !

सम्मोहन उपचारशास्त्र की सीमा ज्ञात होने पर मैंने साधना आरंभ की । तब जिज्ञासावश संतों से सहस्रो प्रश्न पूछकर तथा साधना कर अध्यात्मशास्त्र समझ लिया । अन्यथा मैं भी एक बुद्धिहीन बुद्धिप्रमाणवादी बन जाता ! – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

विज्ञान का एक लाभ !

‘विज्ञान का एक लाभ यह है कि विज्ञान से ही विज्ञान का विश्लेषण झुठलाया जा सकता है और इससे बुद्धिप्रमाणवादियों का मुंह बंद किया जा सकता है !’

आतंकवादियों की कार्यपद्धति

विमान, रॉकेट, बम इत्यादि के बल पर नहीं; अपितु तैयार किए आतंकवादियों के बल पर आतंकवादी संसार के सभी देशों में भय निर्माण कर रहे हैं !’

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘हमने ईश्वरप्राप्ति के लिए प्रयास किए, तो ईश्वर का ध्यान हमारी ओर आकर्षित होता है और हमारे द्वारा किए जा रहे धर्मकार्य के लिए ईश्वर की कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्त होते हैं ।’