केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा के विरुद्ध कांग्रेस द्वारा पुलिस में परिवाद प्रविष्ट !

‘कांग्रेस के चुनाव में जीतने पर पूरे कर्नाटक में होंगे दंगे’, ऐसा दिया था वक्तव्य !

बेंगळूरु पुलिस ने १०० से अधिक गुंडों के घर छापेमारी कर नियंत्रण में लिए हथियार एवं मादक पदार्थ !

चुना‍व की पृष्ठभूमि पर छापे मारने की अपेक्षा ऐसे गुंडों का स्थायीरूप से समाधान क्यों नहीं किया जाता ?

(इनकी सुनिए…) ‘गत चुनाव में अपप्रचार कर मुझे ‘हिन्दू विरोधी’ बताया गया !’

गोहत्या का सार्वजनिक समर्थन करनेवाले, स्वातंत्र्यवीर सावरकर को हीन समझनेवाले एवं क्रूरकर्मा टिपू सुल्तान का महिमामंडन करनेवाले सिद्दारमैया हिन्दू-विरोधी ही थे एवं हैं, यह समझदार हिन्दू जनता जानती है !

हमें एक भी मुस्लिम मत की आवश्यकता नहीं ! – भाजपा नेता ईश्‍वरप्पा

यह बात कर्नाटक में भाजपा के नेता और पूर्व मंत्री के.एस. ईश्‍वरप्पा वीरशैव-लिंगायत समाज के सम्मेलन में कही है ।

भाजपा के नेता प्रवीण नेट्टारु की हत्या के प्रकरण में बंदी बनाया गया धर्मांध चुनाव लडेगा !

भारत में प्रत्येक व्यक्ति को चुनाव लडने का अधिकार होने के कारण इसका विरोध करना असंभव होगा; परंतु इस प्रकार के कानून परिवर्तित करने हेतु जनता को सरकार पर दबाव डालने की आवश्यकता है !

उपचार के नाम पर लंदन भागे हुए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पाकिस्तान लौटनेवाले हैं !

भ्रष्टाचार के प्रकरण में उन्हें दंड मिला है । उपचार कराऐ वे लंदन गए थे; परंतु वहां से लौटे ही नहीं ।

उम्मीदवारी के लिए कर्नाटक के कांग्रेस विधायक के समर्थकों ने मंदिर एवं मस्जिद में की प्रार्थना !

कांग्रेस में व्यक्तिपरकता का अभाव चरमसीमा पर पहुंचने का यह एक उदाहरण है । क्या कभी कांग्रेसवालों ने पीडित हिन्दुओं के हित में, उनको न्याय मिलने के लिए प्रार्थना की है ?

पाकिस्तान सरकार की ओर से न्यायाधीशों में फूट डालने का प्रयास !

मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने कहा था, यदि आप संसद में गए, तो ऐसे लोग वहां संसद को संबोधित करते हुए दिखेंगे, जो कल तक कारागृह में थे और जो देशद्रोही हैं ।’ इस वक्तव्य पर प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने संसद में तीव्र आपत्ति जताई थी ।

(इनकी सुनें) ‘कर्नाटक में सत्ता में आने पर मुसलमानों को पुनः आरक्षण देंगे !’ – कांग्रेस

संविधान के अनुसार धर्म के आधार पर किसी को भी आरक्षण का लाभ न होते हुए भी कांग्रेस संविधान विरोधी काम कर आरक्षण देगी, ऐसा ही इसका अर्थ है ! ऐसी संविधान विरोधी पार्टी को जनता कभी सत्ता पर बिठाएगी क्या ? 

देहली उच्च न्यायालय ने मतदान अनिवार्य करने की याचिका पर सुनवाई अस्वीकार की !

जनता में मतदान के प्रति उदासीनता के पीछे क्या कारण हैं, इसका भी विचार करना आवश्यक है । देखा गया है कि जनता बडी संख्या में ‘नोटा’ को मत दे रही है ।