अनेकों को पेट स्वच्छ न होने की समस्या होती है । इस समस्या के कारण अनेक शारीरिक कष्ट निर्माण होते हैं । अनेक लोग प्रतिदिन पेट स्वच्छ होने के लिए औषधियां लेते हैं । इनमें से अधिकांश औषधियों के कारण आंतों में सूखापन निर्माण होता है । इस कारण पेट स्वच्छ न होने की समस्या में वृद्धि होती है ।
१. मेथीदाना खाने की पद्धति
‘मेथीदाना पेट स्वच्छ होने के लिए रामबाण औषधि है । रात को सोने के पूर्व अथवा रात के भोजन के उपरांत आधा चम्मच मेथीदाना थोडे से पानी के साथ औषधि गोलियां निगलते हैं, उस प्रकार न चबाते हुए निगलें । इससे सवेरे उठने पर पेट स्वच्छ होता है ।
२. मेथीदाना करता है इस प्रकार कार्य
मेथीदाने पेट में जाने पर फूलते हैं और उनकी चिकनाहट के कारण वे आंतों के मल को आगे ढकेलते हैं । आंतों में आवश्यक पानी की मात्रा मेथीदानों के कारण नियंत्रित रहती है । इस कारण आंतें सूखी नहीं पडती । मेथीदाना वात, पित्त और कफ, इन तीनों दोषों का शमन करता है । मेथी आहार में समाविष्ट एक पदार्थ है । इसलिए अनेक दिनों तक मेथीदाना प्रतिदिन खाएं, तो भी कोई हानि नहीं होती । मेथीदाना खाने पर प्राकृतिक रूप से शौच होती है । जुलाब नहीं होते । मेथी शक्तिवर्धक भी है । इसलिए नियमित मेथीदाना खाने से थकान भी अल्प होती है ।
३. कोष्ठानुसार मेथीदाने की मात्रा
प्रतिदिन आधा चम्मच मेथीदाना खाने पर उससे लाभ हो, तो दूसरे सप्ताह में उसकी मात्रा अल्प कर देखें । अल्प से अल्प जिस मात्रा से लाभ होता हो, उतनी मात्रा निरंतर खाते रहें । कुछ लोगों का कोष्ठ अधिक क्रूर (भारी) होता है । ऐसे लोगों का पेट आधा चम्मच मेथीदाना खाने से स्वच्छ नहीं होता । ऐसे में मेथीदाने की मात्रा प्रतिदिन आधा चम्मच बढाकर देखें । जिस मात्रा से लाभ होता है, वह नियमित खाएं । कुछ लोगों को एक समय में ३ से ४ चम्मच तक मेथीदाना खाना पड सकता है ।
४. मेथीदाना धोकर खाएं
पेट स्वच्छ करनेवाली अन्य औषधियों की तुलना में मेथीदाना कई गुना सस्ता है । बाजार में मिलनेवाले मेथीदाने पर रासायनिक छिडकाव किया हुआ हो सकता है । इसलिए ग्रीष्म ऋतु के दिनों में पूरे वर्ष हेतु आवश्यक मेथीदाना लाकर, धोकर, अच्छे से सूखाकर, हवाबंद डब्बे में भरकर रखें और आवश्यकता के अनुसार पूरे वर्ष उसका उपयोग करें ।’
– वैद्य मेघराज माधव पराडकर, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (१८.३.२०२१)
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