चंद्रोदय कब होता है ?

‘सामान्यतः बोली भाषा में हम ऐसा कहते हैं ‘सूर्य का उदय सवेरे एवं चंद्र का रात में होता है ।’ सूर्य के संदर्भ में यह योग्य हो, तब भी  चंद्र के संदर्भ में ऐसा नहीं हाेता है । चंद्रोदय प्रतिदिन भिन्न-भिन्न समय होता है । उस विषय की जानकारी इस लेख द्वारा समझ लेते हैं ।

नवग्रहों की उपासना करने का उद्देश्य एवं उनका महत्त्व !

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रह-दोष निवारण के लिए ग्रहदेवता की उपासना बताई जाती है । इस लेख द्वारा उपासना का उद्देश्य व उसका महत्त्व समझ लेंगे ।

ज्योतिषशास्त्रानुसार रत्न धारण करने का महत्त्व

ज्योतिषशास्त्र में ग्रहदोषों के निवारण के लिए रत्नों का उपयोग किया जाता है । रत्न धारण करने के पीछे का उद्देश्य एवं उनका उपयोग इस लेख द्वारा समझ लेंगे ।

कर्नाटक परिणाम के संदर्भ में भविष्य सच सिद्ध हुआ ! – सुप्रसिद्ध ज्योतिषी सिद्धेश्‍वर मारटकर

१३ मई को पुणे में पत्रक द्वारा ज्योतिष शास्त्र के अध्ययनकर्ता सिद्धेश्‍वर मारटकर ने कर्नाटक परिणाम के संदर्भ में भविष्य‍‍वाणी सच होने का दावा किया है ।

शनि ग्रह की ‘साढे साती’ आध्यात्मिक जीवन को गति देनेवाली अवधि है !

‘शनि ग्रह की ‘साढे साती’ कहते ही सामान्यतः हमें भय लगता है । ‘मेरा बुरा समय आरंभ होगा, संकटों की शृंखला आरंभ होगी’, इत्यादि विचार मन में आते हैं; परंतु साढे साती सर्वथा अनिष्ट नहीं होती । इस लेख द्वारा ‘साढे साती क्या है तथा साढे साती की अवधि में हमें क्या लाभ हो सकता है’, इसकी जानकारी लेंगे ।

इच्छित कार्य शुभमुहूर्त पर करने का महत्त्व

हमारे दैनिक जीवन में मुहूर्ताें का संबंध समय-समय पर आता है । ‘मुहूर्त’ संबंधी प्राथमिक जानकारी इस लेख के माध्यम से समझ लेते हैं ।

तिथि का महत्त्व एवं व्यक्ति की जन्मतिथि निश्चित करने की पद्धति

‘भारतीय कालमापन पद्धति में ‘तिथि’ का महत्त्व है; परंतु वर्तमान में ‘ग्रेगोरीयन’ (यूरोपीय) कालगणना के अनुसार भारत में तिथि का उपयोग व्यवहार में न करते हुए केवल धार्मिक कार्य के लिए ही होता है । प्रस्तुत लेख द्वारा तिथि का महत्त्व एवं व्यक्ति की जन्मतिथि निश्चित करने की पद्धति समझ लेंगे ।

जन्मपत्रिका बनाने का महत्त्व समझें !

हिन्दू समाज में शिशु का जन्म होने पर ज्योतिष से शिशु की जन्मपत्रिका बनवाई जाती है । अनेक लोगों को उत्सुकता होगी कि इस पत्रिका में क्या जानकारी होती है । इस लेख द्वारा ‘जन्मपत्रिका क्या है तथा पत्रिका में कौन-सी जानकारी अंतर्भूत होती है’, इसकी जानकारी लेंगे ।

मंगलदोष – धारणाएं एवं गलतधारणाएं

‘विवाह निश्चित करते समय वर-वधू की जन्मकुंडलियों में मंगलदोष का विचार किया जाता है । अनेक बार व्यक्ति का विवाह केवल ‘मंगलदोष है’ इसलिए सहजता से मिलान नहीं होता ।

विवाह निश्चित करते समय वर-वधू की जन्मकुंडली मिलाने का महत्त्व

‘हिन्दू धर्म में बताए अनुसार सोलह संस्कारों में से ‘विवाह संस्कार’ महत्त्वपूर्ण संस्कार है । विवाह निश्चित करते समय वर-वधू की जन्मकुंडलियों के मिलान की पद्धति भारत में पहले से ही प्रचलित है ।