पिछली बार रासायनिक संवर्धन के समय मूर्ति को क्षति पहुंचानेवालों पर अपराध प्रविष्ट करें !
कोल्हापुर (महाराष्ट्र) – महाराष्ट्र के साढेतीन शक्तिपीठों में से एक कोल्हापुर की श्रीमहालक्ष्मीदेवी की मूर्ति पर अनेक बार रासायनिक संवर्धन किया गया है । इसके कारण मूर्ति की स्थिति गंभीर बन रही है । ऐसा होते हुए अब पुनः एक बार १४ एवं १५ अप्रैल को भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा श्री महालक्ष्मीदेवी की मूर्ति का संवर्धन किया जाएगा । इसके कारण यदि मूर्ति को क्षति पहुंचती है, तो उसका सटीक दायित्व निश्चित किया जाए, ऐसी मांग महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से कोल्हापुर के जिलाधिकारी के पास निवेदन द्वारा की गई है ।
इस निवेदन का जिलाधिकारी एवं पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति के अध्यक्ष अमोल येडगे ने स्वीकार किया है । इस अवसर पर श्री एकमुखी दत्त मंदिर के मठाधिपति श्री. संतोष गोसावी महाराज, अखिल भारत हिन्दू महासभा के जिलाध्यक्ष श्री. संदीप सासणे, अंबाबाई भक्त समिति के श्री. प्रमोद सावंत, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. किरण दुसे एवं श्री. शिवानंद स्वामी उपस्थित थे ।
A case should be registered against the ones who harmed the idol of the deity during the last chemical conservation process !#Kolhapur , Maharashtra : Confirm that the restoration of the idol is done responsibly demands the Maharashtra Mandir Mahasangh@TheSaveTemples @SG_HJS… pic.twitter.com/2mnrYjxu3O
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) April 13, 2024
जिलाधिकारी को सौंपे निवेदन में आगे कहा गया है कि,
१. इससे पूर्व वर्ष २०१५ से अनेक बार किए गए संवर्धन द्वारा कुछ भी साध्य नहीं हुआ है । तब भी पुनः मूर्ति का संवर्धन किया जानेवाला है । वर्ष २०१५ में हुए संवर्धन के कारण मूर्ति पर गंभीर परिणाम हुए है, ऐसा स्पष्ट विवरण (रिपोर्ट) है । इस कारण अब जो संवर्धन किया जाएगा, उससे यदि मूर्ति को क्षति पहुंचे, तो उसका मुख्य दायित्व निश्चित करना आवश्यक है । जब तक यह दायित्व निश्चित नहीं होता, तब तक संवर्धन स्थगित किया जाए ।
२. इससे पूर्व जिनके कारण मूर्ति को क्षति पहुंची है, उन सभी संबंधितों पर अपराध प्रविष्ट करें, साथ ही मूर्ति का सूत्र धार्मिक होने के कारण उस संदर्भ में संत, धर्माचार्य, शंकराचार्यों के भिन्न भिन्न पीठों का मार्गदर्शन लिया जाए ।
उक्त चित्र प्रकाशित करने का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करना नहीं है । केवल जानकारी के लिए प्रकाशित किया गया है । – संपादक |
मंदिर महासंघ द्वारा उठाया गया प्रश्नहिन्दू जनजागृति समिति द्वारा बडी मात्रा में विरोध करने के उपरांत भी वर्ष २०१५ में श्रीमहालक्ष्मीदेवी की मूर्ति का रासायनिक संवर्धन किया गया था । पुरातत्व विभाग द्वारा कि गई रासायनिक प्रक्रिया का खोखलापन वर्ष २०१७ में दिखना आरंभ हुआ । मूर्ति पर श्वेत दाग दिखाई देने लगे । उस समय भी एक बार फिर रासायनिक प्रक्रिया की गई । कुछ दिन पूर्व ही पुरातत्व विभाग के भूतपूर्व अधिकारी आर.एस. त्र्यंबके एवं विलास मांगीराज ने मूर्ति के विषय में न्यायालय में प्रस्तुत किए विवरण में कहा है कि श्री महालक्ष्मीदेवी की मूर्ति के गले के नीचे के भागों का क्षय हुआ है एवं वह वर्ष २०१५ में किए गए रासायनिक संवर्धन के अवशेषों का है । वर्ष २०१५ में जब रासायनिक संवर्धन किया गया, तदनंतर मूर्ति की स्थिति में प्रक्रिया करनेवाला पुरातत्व विभाग सर्वस्वी उत्तरदायी होगा, ऐसा माननीय जिलाधिकारी ने उस समय कहा था । ऐसा होते हुए भी ९ वर्षों के उपरांत भी मूर्ति की स्थिति के लिए जो कोई उत्तरदायी हैं, उन पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई ?, ऐसा भी मंदिर महासंघ ने पूछा है । |