श्री श्री रविशंकरजी विश्व स्तर के आदरणीय आध्यात्मिक एवं मानवतावादी नेता हैं । उन्होंने तनावमुक्त एवं हिंसाचारमुक्त समाज के निर्माण हेतु वैश्विक आंदोलन का अभूतपूर्व नेतृत्व किया है । ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ (जीवन जीने की कला) एवं ‘इंटरनैशनल एसोसिएशन फॉर ह्युमन वैल्यूज’ जैसे संगठनों के माध्यम से १८० देशों में अनेक कार्यक्रमों एवं उपक्रमों के माध्यम से श्री श्री रविशंकरजी अब तक ८० करोड लोगों तक पहुंच गए हैं । वैश्विक, राष्ट्रीय, सामुदायिक एवं व्यक्तिगत स्तर की चुनौतियों का सामना करने हेतु लोगों को सक्षम एवं तैयार करने हेतु श्री श्री रविशंकरजी ने अद्वितीय एवं प्रभावी कार्यक्रम विकसित किए हैं ।
वर्ष १९५६ में दक्षिण भारत में जन्में श्री श्री रविशंकरजी एक प्रतिभावान बालक थे । आयु के चौथे वर्ष में उन्होंने भगवद्गीता एवं प्राचीन संस्कृत धर्मग्रंथों का वाचन किया था । बचपन में ही वे अनेक बार ध्यान लगाते थे । उन्होंने वैदिक साहित्य एवं भौतिकी में शैक्षणिक उपाधियां प्राप्त की हैं । वर्ष १९८२ में उन्होंने कर्नाटक राज्य के शिवमोग्गा में १० दिनों का मौन रखा । उससे ही ‘सुदर्शन क्रिया’ नामक शक्तिशाली श्वसनतंत्र का जन्म हुआ । कालांतर से यह सुदर्शन क्रिया ही ‘आर्ट ऑफ लिविंग’के पाठ्यक्रमों का केंद्रबिंदु बनी ।
१. संगठनों की स्थापना
वर्ष १९८१ में श्री श्री रविशंकरजी ने ‘आर्ट ऑफ लिविंग फाऊंडेशन’की स्थापना की । यह एक शैक्षणिक संस्था है, जो १८० से अधिक देशों में कार्यरत है । इस फाऊंडेशन की ओर से चलाए जानेवाले व्यक्तिगत विकास के कार्यक्रम तनाव दूर करने तथा कल्याण की भावना बढाने हेतु शक्तिशाली माध्यम उपलब्ध करा देते हैं ।
वर्ष १९९७ में उन्होंने ‘इंटरनैशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यूज’ की स्थापना की, जो एक मानवतावादी संस्था है, जो राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्र में उत्तरदायित्व एवं मानवीय मूल्यों को प्रोत्साहन देती है ।
‘इंटरनैशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यूज’ एवं ‘आर्ट ऑफ लिविंग फाऊंडेशन’ ये दोनों संगठन संघर्ष का निराकरण, आपत्ति एवं आघात में सहायता, पर्यावरण संवर्धन, भ्रष्टाचारविरोधी आंदोलन, बंदियों का पुनर्वास, युवा नेतृत्व, महिला सक्षमीकरण तथा सार्वत्रिक शिक्षा जैसे मानवतावादी उपक्रमों को सहयोग देते हैं ।
२. श्री श्री रविशंकरजी को प्राप्त पुरस्कार

श्री श्री रविशंकरजी को विश्व के अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है । उसमें कोलंबिया, मंगोलिया, पैराग्वे, सुरीनाम एवं फिजी इन देशों के सर्वाेच्च नागरीक पुरस्कारों का समावेश है ।

भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें ‘पद्मविभूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया है । विश्वस्तर पर उन्हें २७ मानद डॉक्टरेट उपाधियां प्रदान की गई हैं । वे प्रतिवर्ष लगभग ४० देशों की यात्रा करते हैं ।
३. अंतरराष्ट्रीय स्तर का कार्य

गुरुदेवजी ने विश्व शांति से संबंधित वार्तालापों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है । भारत के कश्मीर, असम तथा बिहार से लेकर कोलंबिया, कोसोवो, इराक, सीरिया, कोट डी आइवोर के सशस्त्र संघर्ष में सम्मिलित लोगों ने जो शांति का मार्ग अपनाया, उन पर श्री श्री रविशंकरजी के कार्यक्रमों का प्रभाव है । बढती हिंसा तथा संघर्ष से ग्रस्त विश्व में गुरुदेवजी और एक मार्ग बताते हैं कि जहां व्यक्ति को स्वयं में शांति मिलती है तथा जो समाज में शांति एवं सौहार्द का स्रोत बन जाती है, उदाहरणार्थ वर्ष २००३ से सहस्रों इराकी लोगों को ‘आघात सहायता कार्यक्रमों’ का लाभ मिला है ।
राष्ट्रीय-सामुदायिक स्तर पर श्री श्री रविशंकरजी के कार्यंक्रमों ने प्रमुख सामाजिक समस्याओं का सामना करने का प्रयास किया है, अमेरिका में ‘युवा सक्षमीकरण कार्यक्रम’ के अंतर्गत शहरों तथा विद्यालयों में गुटों में चलनेवाली हिंसा, मादक पदार्थ एवं मदिरापान के व्यसनों से संबंधित समस्याओं का समाधान कर रहे हैं । प्रसिद्ध ‘प्रोजेक्ट वेलकम होम ट्रूप्स’ ने अमेरिकी युद्ध के पूर्व सैनिकों के लिए उनके जीवन में परिवर्तन लानेवाली आघातमुुक्ति प्रदान की है ।
४. भारत में कार्य

अ. भारत में अयोध्या की श्रीरामजन्म भूमि की न्यायालयीन लडाई में वर्ष २००१-०२ में तथा वर्ष २०१७ से इस समस्या का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने के कार्य में वे सम्मिलित थे । उनका शांतिकार्य देखकर सर्वोच्च न्यायालय ने श्रीरामजन्म भूमि के न्यायालयीन अभियोग के समाधान के लिए ३ मध्यस्थों में से एक मध्यस्थ के रूप में उन्हें नियुक्त किया । ५०० वर्ष चली यह लडाई अंततः वर्ष २०१९ में समाप्त हुई ।
आ. सार्वजनिक जीवन में नैतिकता को पुनर्जिवित करने हेतु उन्होंने ‘इंडिया एगेंस्ट करप्शन’ ’ (भ्रष्टाचार के विरोध में भारत एवं ‘वर्ल्ड फोरम फॉर एथिक्स इन बिजनेस’ (व्यवसाय की नैतिकता हेतु वैश्विक मंच) जैसे आंदोलनों का नेतृत्व कर उन्हें समर्थन दिया है ।
इ. उन्होंने भारत के दुर्गम क्षेत्रों में १ सहस्र ३२७ से अधिक विद्यालय खोले हैं, जिनमें वंचित बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है । इन विद्यालयों में वर्तमान में १ लाख से अधिक बच्चे शिक्षा ले रहे हैं ।
ई. पर्यावरण की रक्षा की दृष्टि से उनके नेतृत्व में ७५ नदियों तथा जलस्रोतों को पुनर्जिवित किया जा रहा है, साथ ही ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के स्वयंसेवकों ने अब तक विश्व के ३६ देशों तथा भारत के २६ राज्यों में १० करोड से अधिक वृक्ष लगाए हैं ।
कारागृह पुनर्वास
६० देशों में चल रहे कार्यक्रमों के कारण ८ लाख बंदियों का जीवन बदल गया है । भारत के कारागृहों में दंड भोगनेवाले ३ लाख ५० सहस्र से अधिक बंदियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया है । एशिया उपमहाद्वीप के सबसे बडे तिहाड कारागृह के ६० सहस्र से अधिक दोषियों तथा १३० कारागृह कर्मचारियों को इस कार्यक्रम का लाभ मिला है ।
आत्महत्या निवारण कार्यशाला तथा व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण के द्वारा आतंकी संगठनों में काम करनेवाले ७ सहस्र ४०० सशस्र विद्रोहियों का पुनर्वास किया गया है ।
उ. ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ की ओर से कारागृह में बंद बंदियों के पुनर्वास में सहायता की जाती है । पूरे विश्व के ८ लाख से अधिक बंदियों तक यह कार्य पहुंचा है तथा आज भी बंदियों को उसका लाभ भी मिल रहा है । उरुग्वे देश में वहां के गृह मंत्रालय की ओर से ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के द्वारा कारागृह में लिए गए उपक्रम में सहभागी बंदियों के कारावास का दंड अल्प किया है ।
ऊ. मेक्सिको, हैती, अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, नेपाल, भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, जपान जैसे देशों के आपत्तिबाधित क्षेत्रों में आनेवाली आपदाओं के निवारण के लिए श्री श्री रविशंकरजी के स्वयंसेवकों की विशाल वैश्विक संपर्क व्यवस्था एकत्रितरूप से कार्य करने में प्रसिद्ध है ।
५. ‘वैश्विक संस्कृति महोत्सव’ का आयोजन
धार्मिक, सामाजिक, राष्ट्रीय एवं सांस्कृति विभाजन के कारण बिखरे विश्व के लिए गुरुदेवजी का व्यापक संदेश यह है कि यह विश्व एक परिवार है तथा विभिन्न धर्म, संस्कृति, परंपाएं, प्रेम, करुणा, शांति एवं अहिंसा इन समान मानवीय मूल्यों में अंतर्भूत हुई हैं । इस दृष्टिकोण से उन्होंने ऐतिहासिक ‘वैश्विक संस्कृति महोत्सव’ का आयोजन किया ।
‘वैश्विक संस्कृति महोत्सव’२०१६ २०२३ |
इस महोत्सव में २५ सहस्र से अधिक धार्मिक एवं आध्यात्मिक नेताओं ने भाग लिया था । पूरे विश्व की विभिन्न संस्कृतियां तथा पृष्ठभूमिवाले ६२ सहस्र से अधिक कलाकारों ने इसमें प्रस्तुतिकरण किया । उसके द्वारा ७० लाख से अधिक लोगों ने एकत्रित होकर सभी धर्माें एवं संस्कृतियों की विविधता का उत्सव मनाया ।
६. श्री श्री रविशंकरजी द्वारा उनके संगठनों के माध्यम से पूरे विश्व में किया जा रहा कार्य
१८० से अधिक देशों में ४४ वर्षाें से अधिक समय तक ‘द आर्ट ऑफ लिविंग फाऊंडेशन’ एवं ‘आई.ए.एच्.वी.’ इन संगठनों ने निम्न कार्य किया है –
अ. ८० करोड से अधिक लोग इन संगठनों से जुडे हैं ।
आ. पूरे विश्व में १०० करोड से अधिक वृक्ष लगाए गए हैं ।
इ. ‘कारागृह कार्यक्रम’के द्वारा कारागृह में बंद ८ लाख से अधिक बंदियों के जीवन में परिवर्तन आया ।
ई. भारत, आफ्रिका एवं दक्षिण अमेरिका में ‘युवा नेतृत्व प्रशिक्षण कार्यक्रम’ चलाकर वहां के ३ लाख से अधिक ग्रामीण युवकों को प्रशिक्षित किया ।
श्री श्री रविशंकरजी के स्वयंविकास कार्यक्रमों के कारण पूरे विश्व के लाखों लोग जीवन में तनावमुक्ति, शांति एवं स्वस्थ जीवन का अनुभव कर रहे हैं । ये कार्यक्रम आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किए गए प्राचीन योगतंत्रों पर आधारित हैं । विख्यात चिकित्सकीय संस्थाओं की ओर से किए गए चिकित्सकीय अनुसंधान में इस योगतंत्र के कारण निराशा अल्प होना, तनाव उत्पन्न करनेवाली शरीर में स्थित ‘कोर्टिसोल’ संप्रेरक अल्प होना तथा रोगप्रतिरोधक क्षमता सशक्त होना आदि अच्छे परिणाम संज्ञानित किए गए हैं ।
उ. अब तक १ लाख ६५ सहस्र से अधिक निःशुल्क तनावमुुक्ति कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं, जिसके कारण ५६ लाख ८८ सहस्र से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं ।
ऊ. ३ सहस्र ८१९ से अधिक घर, ६२ सहस्र शौचालय, १ सहस्र २०० बोअरवेल, साथ ही १ सहस्र बायोगैस परियोजनाएं उपलब्ध कराई गई हैं ।
ए. १ लाख से अधिक स्वच्छता शिविरों का आयोजन किया गया है, जिसके कारण ७८ लाख ६९ सहस्र ९०० लोग लाभान्वित हुए हैं, साथ ही २७ सहस्र ४२७ चिकित्सकीय शिविरों का आयोजन किया है, जिससे ५ लाख ७७ सहस्र ४०० लोग लाभान्वित हुए हैं ।
ऐ. आरोग्य (हेल्थ), स्वच्छता (हाइजीन), घर (होम), सुसंवाद (हार्मनी), मानवीय मूल्य (ह्युमन वैल्यूज) इन ‘५ एच्’ कार्यक्रम अब तक ७० सहस्र गावों तक पहुंचे हैं ।
ओ. २२ राज्य के २२ लाख से अधिक किसानों को जैविय कृषि का प्रशिक्षण दिया गया है ।
औ. १ लाख ६५ सहस्र से अधिक लोगों को ग्रामीण बिजलीकरण का लाभ दिलाया । ‘लाईट ए होम’ परियोजना के अंतर्गत ७०० से अधिक गांव गोद लिए गए ।
अं. भारत के २ सहस्र ३२ गावों के १ सहस्र २६२ से अधिक निःशुल्क विद्यालयों में १ लाख से अधिक बच्चों को शिक्षा दी गई ।
क. ‘एस ! फॉर स्कूल्स’ कार्यक्रम के द्वारा अमेरिका के २२५ विद्यालयों के १ लाख २० सहस्र छात्रों को तथा ‘एस्.के.वाई. कैंपस’ कार्यक्रमों के द्वारा १०१ विश्वविद्यालयों के १ लाख २७ सहस्र से अधिक छात्र लाभान्वित हुए हैं ।
(संदर्भ : ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ जालस्थल)
विस्थापित तथा पूर्व युद्धसैनिकों का पुनर्वास
विभिन्न युद्धों में सम्मिलित ८ सहस्र से अधिक पूर्व सैनिकों को ‘सुदर्शन क्रिया योग’ के कारण ‘पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर’ का (शारीरिक अथवा मानसिक झटका बैठने के उपरांत आनेवाले तनाव का) सामना करने में सहायता मिली ।
सुदर्शन क्रिया कैसे करें ?
इराक, इजराएल-पैलेस्टाईन, सीरिया, जॉर्डन, लेबनॉन, किरर्गिस्तान, श्रीलंका, बाल्कन एवं अफगानिस्तान इन देशों में हुए युद्धों में बचे १ लाख ५० सहस्र से अधिक लोगों को इसका लाभ मिला ।
७. भारत के आर्ट ऑफ लिविंग की सेवा परियोजनाओं का ब्योरा
अ. कोरोना महामारी के समय कार्य
१. कोरोना महामारी के समय प्रत्यक्षरूप से स्वास्थ्यसेवा का कार्य करनेवाले ४३ सहस्र ३९० से अधिक कर्मचारियों के लिए मानसिक आरोग्य कार्यक्रमों का आयोजन किया ।
२. १३ मई २०२० तक भारत के २५
लाख से अधिक परिवारों को ७ करोड ५१ लाख २२ सहस्र ६९ से अधिक भोजनसंख्या की आपूर्ति की ।
आ. साक्षरता हेतु प्रयास : भारत के २ सहस्र ३२ गावों के १ सहस्र ३२७ से अधिक विद्यालयों के १ लाख से अधिक बच्चों को निःशुल्क विद्यालयीन शिक्षा उपलब्ध कराई गई । इन विद्यालयों में लडकियों तथा लडकियों की संख्या का अनुपात लगभग ४८:५२ है ।
इ. पर्यावरण से संबंधित कार्य :
१. वृक्षारोपण : ३६ देशों तथा भारत के २६ राज्यों में १० करोड वृक्ष लगाए ।
२. ‘मिशन ग्रीन अर्थ’के तत्त्वावधान में ९० लाख वृक्ष लगाए । पूरे भारत में ३,८७०,७६० से अधिक लक्ष्मीतरु (सिमारुबा ग्लाऊका) पौधों का रोपण किया गया । पारंपरिक औषधियों में कैंसर एवं ‘ट्यूमर’ के (गठियों के) उपचारों में ‘लक्ष्मीतरु’ काढे का उपयोग किया जाता है ।
८. प्राकृतिक खेती
विचारगोष्ठी, प्रशिक्षण कार्यशाला, खेती की प्रतिकृतियों का (मॉडल फार्म) अवलोकन करना, जागरूकता कार्यक्रम एवं कृषि तथा किसान सम्मेलनों के माध्यम से प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता लाने हेतु स्वयंसेवकों ने भागधारकों से संपर्क किया । प्राकृतिक खेती के विषय में ३ दशलक्ष से अधिक लोगों को प्रशिक्षण दिया गया । स्थानीय प्रजाति के बीजों के जतन के लिए प्रोत्साहन देने हेतु ‘बीज बैंकों’ की स्थापना की गई ।
९. सिंचाई तथा नदियों का पुनर्जिविकरण
महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडू, राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा इन राज्यों की ७५ नदियों में सिंचाई एवं नदियों को पुनर्जिविकरण का उपक्रम चलाया जा रहा है । इस परियोजना के अंतर्गत ७ लाख से अधिक वृक्ष लगाए गए हैं । इसके कारण वहां के परियोजनाओं की जलसंग्रह की क्षमता बढी है ।
१०. कचरा व्यवस्थापन
अब तक विभिन्न स्थानों पर १८ कचरा व्यवस्थापन संयंत्र लगाए, जिनके द्वारा प्रतिवर्ष ४२ लाख ३४ हजार किलो कचरे पर प्रक्रिया की जाती है ।
११. स्वच्छता एवं चिकित्सकीय शिविर
१ लाख से अधिक स्वच्छता शिविरों का आयोजन किया गया, जिसका ७८ लाख ६९ सहस्र ९०० लोगों को लाभ मिला । २७ सहस्र ४२७ चिकित्सकीय शिविरों का आयोजन किया । स्त्रीभ्रूणहत्या रोकने के विषय में जागरूकता लाई गई । युवा नेतृत्व प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत स्वयंसेवकों द्वारा ५५ आदर्श गांव विकसित किए गए । उसी प्रकार ३ सहस्र ८१९ घर, ६२ सहस्र शौचालय, १ सहस्र २०० बोअरवेल्स तथा १ सहस्र बायोगैस संयंत्र लगाए गए हैं ।
१२. ग्रामीण विकास कार्यक्रम
स्वयंसेवकों द्वारा अब तक १ लाख से अधिक स्वच्छता अभियान चलाए गए ।
‘द लाईट ए होम’ (घर को प्रकाशमय कीजिए) परियोजना के अंतर्गत अरुणाचल प्रदेश, मणीपुर, मेघालय, असम, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु इन राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों के ७५८ गावों के १ लाख ६६ सहस्र १०० से अधिक लोगों को सौरप्रकाश का लाभ मिला है ।
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के १९० विद्यालयों में सौरऊर्जा उत्पादन की सामग्री प्रदान की गई । ५ सहस्र से अधिक युवकों ने अक्षय ऊर्जा उत्पाद विकसित करने हेतु अक्षय्य ऊर्जा तंत्रज्ञ के रूप में प्रशिक्षण लिया । ‘सोलर बैटरी चार्जिंग स्टेशन’ स्थापित करने हेतु सौरऊर्जा के क्षेत्र में ९८ नए उद्यमियों को प्रेरणा मिली ।
१३. कौशल एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम
१४ वर्षाें में २३ राज्यों के ५०० से अधिक जिलों के ४ लाख २० सहस्र से अधिक युवकों को विभिन्न व्यावसायिक कौशलों का प्रशिक्षण दिया गया । उसके अंतर्गत ४८ से अधिक पदों के लिए १०३ कौशल विकास केंद्र आरंभ किए गए ।
१४. महिला शक्ति
विभिन्न उपक्रमों द्वारा १ लाख ११ सहस्र से अधिक ग्रामीण महिलाओं तक पहुंचा गया । ५ सहस्र ग्रामीण महिलाओं को व्यावसायिक कुशलताओं का प्रशिक्षण दिया गया । ओडिशा एवं असम इन राज्यो में सिलाई प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की गई ।
अन्न प्रक्रिया, थैलियां बनाना, सिलाई एवं पिशवी बनवणे, शिवणकाम आणि कशिदाकाम, उदबत्ती बनाना इन क्षेत्रों में ६२३ से अधिक स्वसहायता समूहों की स्थापना की । भारत, श्रीलंका, नेपाल, कंबोडिया, भूटान एवं आफ्रिका इन देशों में ५ सहस्र ९१० से अधिक प्रशिक्षकों ने ‘पवित्र’ परियोजना के अंतर्गत आयोजित मासिक धर्म से संबंधित स्वास्थ्य एवं स्वच्छता कार्यशालाओं का १ लाख १५ सहस्र ८०० से अधिक लडकियों को लाभ मिला ।
मुंबई आणि बेंगलुरू की ७०४ से अधिक महिलाओं को ‘शक्ति’ परियोजना के अंर्गत प्रशिक्षण दिया गया । यह परियोजना महिलाओं को उनकी उद्यमी भावना को गति दिलाने हेतु तथा आर्थिक स्वतंत्रता की दृष्टि से सक्षम बनाने का एक नया उपक्रम है ।
१५. ‘बूंद’- शुद्ध पेयजल
अल्प मूल्य के ‘बायो सैंड वॉटर फिल्टर’ तैयार करने हेतु ६० ग्रामीण युवकों को ‘जलसेवक’ के रूप में प्रशिक्षित किया । आंध्रप्रदेश, बंगाल, झारखंड एवं ओडिशा इन राज्यों में ४५ सहस्र से अधिक लोगों को सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति की । कर्नाटक एवं बंगाल में ७ सामूहिक ‘आर्ओ एवं बायो सैंड फिल्टर’ लगाए गए ।
१६. नशामुक्त भारत अभियान
विगत २५ वर्षाें से ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ व्यसनाधीन लोगों को व्यसनों पर विजय प्राप्त करने हेतु साधनों की आपूर्ति कर रहा है । वर्ष २०१९ में श्री श्री रविशंकरजी ने औपचारिक रूप से ‘मादक पदार्थमुक्त भारत’ महाअभियान आरंभ किया । वर्ष २०२३ में शिक्षा संस्थानों में जागरूकता अभियान चलाकर भारत अभियान को समर्थन देने हेतु ‘आर्ट ऑफ लिविंग’, साथ ही सामाजिक न्याय एवं सक्षमीकरण मंत्रालय में सामंजस्य से समझौता हुआ ।
१७. अन्य
अ. भारत के १० लाख लोगों ने युनिसेफ-एओएल अभियान के अंतर्गत लडकियों की रक्षा का वचन दिया । गर्भवती महिलाओं के लिंगपरीक्षण के विरुद्ध लगभग १ लाख लोगों में जागृति की गई ।
आ. भारत के १२ राज्यों के ४५ सहस्र से अधिक लोगों को ‘ग्रामीण किशोरों के लिए एच्.आई.वी./एड्स जागरूकता’ अभियान का लाभ मिला है ।
इ. ‘आर्ट ऑफ लिविंग’की गोशालाओं में ३५० से अधिक स्थानीय प्रजातियों की गायों का पालनपाेषण किया जाता है ।
(संदर्भ : ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ जालस्थल)