तालिबान एवं आईएसआई ने भारत में आतंकी आक्रमण करने का दायित्व ‘इस्लामिक स्टेट’ को सौंपा ! – गुप्तचर  विभाग की जानकारी

यह ध्यान रखें कि, जब तक भारत पाकिस्तान को नष्ट नहीं करता, तब तक इस प्रकार के आतंकवादी कृत्य होने की संभावना सदैव ही बनी रहेगी !

तालिबानियों को अफगानिस्तान में शरीया कानून लागू करना चाहिए !

ब्रिटेन के इस्लामी उपदेशकर्ता अंजेम चौधरी का तालिबानियों को परामर्श !

अफगानी निर्वासितों की आड में आतंकवादियों को आश्रय ना मिले ! – रशिया के राष्ट्रपति पुतिन

पुतिन को जो समझ में आता है ,वो भारत को भी समझना चाहिए अन्यथा अफगानी निर्वासितों को आश्रय देने के प्रयास में तालिबानी भारत में घुसेंगे !

अफगानी निर्वासितों को रोकने के लिए इस्लामी देश तुर्किस्तान ने सीमा पर बनाई २९५ किलोमीटर लम्बी दीवार !

यह है इस्लामी देशों का ढोंगी मुसलमान प्रेम ! स्वयं के असहाय बंधुओं को सहायता न करने वाले इस्लामी देश अन्य धर्मियों से कैसा व्यवहार करते होंगे, इसका विचार न करना ही अच्छा होगा !

पंजशीर (अफगानिस्तान) पर नियंत्रण करने के प्रयास में मारे गए ३०० तालिबानी आतंकी !

जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया है, तबसे तालिबान विरोधी अफगान पंजशीर घाटी में एकत्रित हो रहे हैं । इनमें अधिकांश अफगान राष्ट्रीय सेना के सैनिक हैं ।

५६ इस्लामी देशों में से केवल पाक और कतर का तालिबान को समर्थन !

इस्लामी देशों का संगठन तालिबान को समर्थन ही दे रहा; लेकिन भारत के मुसलमान संगठन और कुछ नेता और प्रसिद्ध लोग उसको समर्थन देकर हम अधिक कट्टर मुसलमान हैं, यह दिखाने का प्रयास कर रहे हैं, यह ध्यान दें !

२० वर्षों में जो कुछ बनाया था, वह सब समाप्त हो गया ! – अफगानी विधायक नरेंदर सिंह खालसा

अफगानिस्तान से भारतीय वायुसेना के विमान द्वारा भारतीय और अफगानी लोगों को भारत में लाया जा रहा है । इसमें अफगानिस्तान के सिख विधायक नरेंदर सिंह खालसा के भारत आते ही अश्रु निकलने लगे ।

आशा है कि तालिबान अपने आश्वासनों पर अडिग रहेगा ! – श्रीलंका

तालिबान से ऐसी अपेक्षा करना मूर्खता है, श्रीलंका को वर्तमान में वहां हो रही उनकी क्रूरता से यह समझना चाहिए ! क्या श्रीलंका की सहायता करने वाले चीन के कारण ही श्रीलंका को तालिबान पर इतना भरोसा है ?

काबुल हवाई अड्डे के बाहर भीड की भगदड में सात अफगानों की मृत्यु !

अफगानिस्तान की इस घटना और समग्र वर्तमान परिस्थिति के संबंध  में मानवाधिकार संगठन और इस्लामिक देश अपना मुंह क्यों नहीं खोलते ? या क्या वे यह मानते हैं, कि मुसलमानों द्वारा दूसरे मुसलमानों पर अत्याचार करना उचित है ?