बांग्लादेश का भारत से द्वेष !

ढाका – बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंकने के ब
उपरांत मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने भी वहां का पाठ्यक्रम बदलना आरंभ कर दिया है । यूनुस सरकार के निर्देशों के अनुसार, बांग्लादेश के राष्ट्रीय पाठ्यपुस्तक और पाठ्यपुस्तकों के राष्ट्रीय बोर्ड ने शैक्षणिक वर्ष २०२५ में स्कूल के पाठ्यक्रम से शेख मुजीबुर्रहमान से संबंधित पाठ को छोटा कर दिया है । शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के संस्थापक और प्रथम राष्ट्रपति थे ।इसके साथ ही ‘भारत का बांग्लादेश की स्वतंत्रता में योगदान’ यह पाठ इस पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है ।
१. इस पुस्तक में उल्लेखित अन्य राजनीतिक हस्तियों में मुस्लिम लीग पार्टी के पूर्व नेता मौलाना अब्दुल हमीद खान भशनी, अखंड बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और हिन्दू विरोधी हुसैन सुहरावर्दी, मुस्लिम लीग के पूर्व नेता तथा पूर्वी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अबुल कासिम फजलुल हक और शेख हसीना के प्रतिद्वंद्वियों में खालिदा जिया और उनके पति और पूर्व राष्ट्रपति जियाउररहमान सम्मिलित हैं । अब इन सभी का इतिहास पाठ में शामिल किया जाएगा ।
२. ‘मुजीब माने मुक्ति’ यह वाक्यांश (मुजीब का अर्थ है स्वतंत्रता) कक्षा चौथी की बंगाली पुस्तकों से हटा दिया गया है ।
३. पिछली किताबों में, शेख मुजीबुर्रहमान को २६ मार्च, १९७१ को स्वतंत्रता की पहली घोषणा का श्रेय दिया गया था; लेकिन अब इसका श्रेय जियाउररहमान को दिया गया है।
४. बांग्लादेश सरकार ने सभी पाठ्यपुस्तकों से शेख हसीना का नाम पूर्णरूप से हटा दिया है । पहले की किताबों के पिछले पन्ने में शेख हसीना का पारंपरिक संदेश छात्रों के लिए छपा हुआ रहा करता था, उसे भी हटा दिया गया है ।
५. बांग्लादेश के शिक्षा मंत्रालय द्वारा नियुक्त ५७ विशेषज्ञों की एक टीम ने इस संशोधित पाठ्यक्रम को सिद्ध कर दिया है ।
बांग्लादेश की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाला पहला देश भारत का नाम हटा दिया गया ।भारत का नाम बांग्लादेश की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले पहले देश के रूप में पुस्तक के नए संस्करणों से हटा दिया गया है । उसे बदलकर भूटान कर दिया गया है । बांग्लादेश की पाठ्यपुस्तकों के संशोधित संस्करण में कहा गया है कि ३ दिसंबर, १९७१ को बांग्लादेश की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाला भूटान पहला देश था । |
संपादकीय भूमिकाभारत सरकार बांग्लादेश के साथ सभी संबंधों को क्यों नहीं तोड रही है, जो भारत को इस दृष्टि से देखता है ? बांग्लादेश हिन्दुओं पर अत्याचार करता था, देश का अपमान करता रहता था और हम सब उसे शांति से सहन करते हैं, यह भारत के स्वाभिमान के लिए एक धक्का है ! |