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वाशिंगटन/ढाका – पिछले वर्ष ५ अगस्त को तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ने पर विवश होना पड़ा था । उस दौरान देशव्यापी हिंसा हुई थी । हालांकि यह कहा जा रहा है कि इसके पीछे अमेरिका का हाथ है, लेकिन यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि इसमें सच्चाई है । अमेरिका स्थित इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट (आईआरआई) की एक खुफिया रिपोर्ट लीक हुई है, जिसमें कहा गया है कि तत्कालीन जो बायडेन सरकार ने बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए अभियानों को वित्त पोषित किया था । संगठन ने २०२० में अमेरिकी विदेश विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी । यह रिपोर्ट १ मार्च २०१९ से ३१ दिसंबर २०२० तक बांग्लादेश में आई.आर.आई. द्वारा आयोजित अभियानों के बारे में है ।
🚨 Leaked U.S. State Dept. Report Claims: Biden Administration Was Behind the Fall of Sheikh Hasina’s Government! 🇺🇸🔍
The U.S. International Republican Institute allegedly ran a massive campaign in Bangladesh using Biden admin funds! 💰📢
Let’s not forget—this American agenda… pic.twitter.com/8HpAhB0zGo
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 10, 2025
रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रकार बांग्लादेश सरकार का तख्तापलट हुआ !
१. शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंकने का काम चार वर्ष पहले आरंभ हुआ था ।
२. इसके लिए आईआरआई टीम ने अप्रैल और मई २०१९ की दो महीने की अवधि में राजधानी ढाका, सिलहट, राजशाही, खुलना और चटगांव सहित बांग्लादेश के कई शहरों में ग्राम स्तर पर गुप्तचरों से बात करना आरंभ किया । इस अवधि के दौरान १७० से अधिक लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं की पहचान की गई, जो बांग्लादेशी राजनीति को अस्थिर करने में सहयोग करने के लिए सहमत हुए । संगठन ने इस अभियान का नाम ‘परिवर्तन का सिद्धांत’ रखा है ।
३. शेख हसीना के शासनकाल में असंतुष्ट लोगों की पहचान कर उन्हें प्रशिक्षित भी किया गया ।
४. आई.आर.आई. से सीधे प्रशिक्षण प्राप्त इन लोगों ने अपने स्तर पर विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन आरंभ किया । लोगों को जोड़ने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू किए गए और विभिन्न सामाजिक गतिविधियां भी आयोजित की गईं । इस अभियान ने बांग्लादेश के कलाकारों, कार्यकर्ताओं और नागरिकों को एक साथ लाया ।
५. इसके साथ ही विपक्षी राजनीतिक दल ‘बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी’ के राजनेताओं और सांसदों के साथ भी विचार-विमर्श किया गयाb। उन्होंने तुरंत सरकार विरोधी आंदोलन की तैयारी कर ली । (बांग्लादेश में चल रहे ये अभियान बताते हैं कि किस प्रकार विदेशी शक्तियां भारत में कांग्रेस और कम्युनिस्टों के साथ मिलकर केंद्र सरकार और विशेषकर हिन्दू धर्म के विरुद्ध षड्यंत्र रच रही हैं ! – संपादक)
६. बांग्लादेशी कलाकार तौफीक अहमद को दो गाने बनाने के लिए धनराशि उपलब्ध कराई गई । इन गानों के नाम हैं ‘तुई पैरिश’ (आप कर सकते हैं) और ‘ऐ दाई खार’। ये गीत बांग्लादेशी सरकार के विरुद्ध निराशा और असंतोष पैदा करने के लिए रचे गए थे । उन्होंने बांग्लादेश में सामाजिक और राजनीतिक सुधारों का आह्वान किया । ‘तुई पैरिश’ गीत विशेष रूप से युवाओं को कठिन समय में शक्ति का संदेश देता है तथा बांग्लादेश में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध लोगों को ‘निषेध और सड़क पर विरोध प्रदर्शन सहित सभी संभव उपाय अपनाने’ के लिए प्रोत्साहित करता है।
७. प्रदर्शनकारियों में यह विचार भर दिया गया था कि उनका वास्तविक लक्ष्य बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार को उखाड फेंकना था ।
८. बाइडेन प्रशासन, आई.आर.आई.को वित्त पोषित कर रहा था । यह संगठन देशों की सरकारों को उखाड़ फेंकने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं, कलाकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का उपयोग करता है ।
‘अंतर्राष्ट्रीय रिपब्लिकन संस्था’ की जानकारी !
इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट (आई.आर.आई.) की स्थापना १९८३ में नेशनल एंडोमेंट फॉर डेमोक्रेसी की अमेरिकी शाखा के अंतर्गत की गई थी । वर्तमान में इस संगठन के निदेशक मंडल में एक अमेरिकी सांसद भी हैं । इसके अतिरिक्त, कई पूर्व अमेरिकी अधिकारी और कर्मचारी भी हैं । यह संगठन गैर-पक्षपाती संगठन होने का दावा करता है, इसका किसी भी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है । इस संगठन को मुख्य रूप से अमेरिकी विदेश विभाग, जॉर्ज सोरोस के यू.एस.ए.आई.डी. और नेशनल एंडोमेंट फॉर डेमोक्रेसी (एन.ई.डी.) द्वारा निधि दी जाती है ।
संपादकीय भूमिकायह नहीं भूलना चाहिए कि यह अमेरिकी एजेंडा भारत में भी कार्य कर रहा था । नागरिकता संशोधन कानून, कृषि कानून आदि के विरोध के नाम पर भारत में जो हिंसा भड़की, उसके पीछे भी अमेरिकी शक्तियां ही थीं ! |