पाकिस्तान के आतंकवादी को ‘अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी’ घोषित करने के लिए चीन ने पुन: किया विरोध !
विश्व के सभी देशों को संगठित रूप से चीन की ऐसी कार्यवाहियों का विरोध करना आवश्यक है !
विश्व के सभी देशों को संगठित रूप से चीन की ऐसी कार्यवाहियों का विरोध करना आवश्यक है !
चीन स्वयं उसके देश में जिहादी आतंकवादी निर्माण न हों, इसलिए मुसलमानों को इस्लाम से दूर करने के लिए शिबिरों में रखकर उन पर अत्याचार कर रहा है !
संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक बार फिर पाकिस्तान की भारत विरोधी कृत्य सामने आई है । संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन-रूस युद्ध के मुद्दे पर चर्चा हो रही थी और पाकिस्तान के प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कश्मीर का मुद्दा उठाया और इसकी तुलना रूस-यूक्रेन युद्ध से की ।
रूस-यूक्रेन युद्ध कूटनीति के आधार पर रोका जाय, ‘इस युद्ध में भारत किसके पक्ष में है ?’ हमें नित्य ऐसा पूछा जाता है । इस पर हमारा एक ही सीधा एवं प्रामाणिक उत्तर है, ‘भारत शांति के पक्ष में है और इस पर सदैव अडिग रहेगा’, ऐसा भारत के विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र की महासभा में प्रतिपादन किया ।
कश्मीर भारत का अविभाज्य भाग है, पाकिस्तान इसे मान्य करे तथा वहां का जिहादी आतंकवाद रुके, तभी पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण संबंध स्थापित हाेंगे, पाकिस्तान इसे ध्यान में रखे !
यह बदला लेने की अथवा ‘पश्चिम के विरोध में एशियाई देश’ ऐसा विरोध करने का समय नहीं । हमारे सामने आए आवाहनों को एकत्रित रुप से सामना करने का यही समय है, ऐसा फ्रांस के राष्ट्रपति इमेन्युएल मेक्रॉन ने कहा है ।
चीन स्वयं उघूर मुसलमानों पर अत्याचार कर रहा है तथा अन्य देशों के जिहादी आतंकवादियों का बचाव कर रहा है, यह चीन की दोहरी चाल है !
केवल एक चूक विश्व को विनाश की ओर ले जा सकती है । संपूर्ण विश्व में सभी देशों द्वारा परमाणु हथियारों की मांग और क्षमता लगातार बढाई जा रही है । इस पर तुरंत रोक लगाने की आवश्यकता है ।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत का प्रतिपादन
प्रगति के नाम पर पर्यावरण का ह्रास करने का यह दुष्परिणाम है । प्रहार करने से प्रकृति अपना रूप दिखा ही देती है, यह बात मानव के ध्यान में आए एवं वह प्रकृति के अनुकूल वर्तन करे, वह सुदिन होगा !