सनातन धर्म में चराचर सृष्टि के प्रत्येक जीव के उद्धार का विचार ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

‘सनातन धर्म की सीख तथा अध्यात्म एक ही है । सनातन धर्म में केवल मनुष्य के ही नहीं, अपितु प्रत्येक कण-कण के उद्धार का विचार किया गया है ।

भारत में बहुत शीघ्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी ! – श्रीराम काणे, धर्मप्रचारक, हिन्दू जनजागृति समिति

आज के समय में सनातन धर्म का महत्त्व समस्त विश्व की समझ में आ रहा है । यूरोप-अमेरिका के अनेक लोग स्वयंस्फूर्ति से हिन्दू धर्म स्वीकार कर रहे हैं ।

हिन्दूहित के कार्य करने का वचन देनेवाले राजनीतिक दल तथा प्रामाणिक जनप्रतिनिधियों को लोकसभा चुनाव में समर्थन देने का प्रस्ताव सम्मत !

‘जो हिन्दूहित की केवल बात नहीं, अपितु हिन्दूहित का कार्य करेगा’, इस नीति के अनुसार हिन्दू राष्ट्र तथा हिन्दूहित के सूत्रों पर कार्य करने का वचन देनेवाले राजनीतिक दल तथा प्रामाणिक जनप्रतिनिधियों को ही वर्ष २०२४ के लोकसभा चुनाव में हिन्दुओं का समर्थन मिलेगा

विवाह के उपलक्ष्य में अन्यों को सनातन के ग्रंथ, लघुग्रंथ अथवा सात्त्विक उत्पाद उपहारस्वरूप दें !

सनातन द्वारा अध्यात्मशास्त्र, साधना, आचारधर्म, बालसंस्कार, राष्ट्ररक्षा, धर्मजागृति आदि विषयों पर ग्रंथसंपदा प्रकाशित की जाती है । ये ग्रंथ एवं लघुग्रंथ सगे-संबंधियों को उपहारस्वरूप देने पर अधिकाधिक लोगों तक अमूल्य ज्ञान पहुंचेगा ।

शिष्य डॉ. आठवलेजी के गुरु संत भक्तराज महाराजजी से सम्बन्धित ग्रन्थ !

ये ग्रन्थ साधकों की भावजागृति कर उन्हें आनन्द एवं शान्ति की अनुभूति देनेवाली अनमोल धरोहर ही हैं ।

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सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी द्वारा व्यष्टि एवं समष्टि साधना के विषय में किया गया मार्गदर्शन

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी इन्होंने साधकों की व्यष्टि एवं समष्टि साधना की समस्याओं को समझा तथा उनका मार्गदर्शन किया । इस मार्गदर्शन के सूत्र यहां दिए हैं ।

कलियुग की सर्वश्रेष्ठ नामजप साधना, नामजप की वाणियां एवं ध्वनि-प्रकाश विज्ञान

निरंतर मन से ज्ञात-अज्ञातवश किए नामजप के कारण चित्त में नामजप का संस्कार होता है । आत्मा के आनंदस्वरूप के साथ उसका आंतरिक सान्निध्य होता है । इसके परिणामस्वरूप नामधारक को आनंद की अनुभूति होती है । ऐसा होना ही नामधारक का पश्यंति वाणी का नाम है ।

पूर्णत्व को प्राप्त महान संत प.पू. भक्तराज महाराजजी के सत्संग का मिला सौभाग्य !

प.पू. भक्तराज महाराज (प.पू. बाबा) समान पूर्णत्व को पहुंचे महान संत के सत्संग का सौभाग्य पू. शिवाजी वटकरजी को मिला । इन सत्संगों में पू. वटकरजी को सीखने के लिए मिले सूत्र और हुई अनुभूतियां उन्होंने कृतज्ञभाव से यहां प्रस्तुत की हैं ।

चैतन्य का वर्षाव करनेवाली प.पू. भक्तराज महाराजजी की गाडी के विषय में हुई अनुभूतियां !

‘देवद आश्रम में प.पू. भक्तराज महाराज (प.पू. बाबा) द्वारा उपयोग में लाया ‘रथ’ (गाडी) है । प.पू. बाबा का रथ, देवद आश्रम के साधकों के लिए चैतन्य का वर्षाव ही है । प.पू. बाबा भले ही अब स्थूल से नहीं हैं, तब भी ‘वे रथ के माध्यम से स्थूल से भी हैं’, ऐसी अनुभूति अनेक साधकों को हो रही है ।