शिष्य डॉ. आठवलेजी के गुरु संत भक्तराज महाराजजी से सम्बन्धित ग्रन्थ !

ये ग्रन्थ साधकों की भावजागृति कर उन्हें आनन्द एवं शान्ति की अनुभूति देनेवाली अनमोल धरोहर ही हैं ।

साधना के बल पर हम समाज में स्थित नकारात्मक शक्तियों से से लडकर हिन्दू राष्ट्र ला सकते हैं ! – अधिवक्ता कृष्णमूर्ती पी., कोडागू, कर्नाटक

अधिवक्ता कृष्णमूर्ति धर्मनिष्ठ अधिवक्ता हैं । उनका अखंड नामजप चलता है । यात्रा में वे प.पू. भक्तराज महाराजजी के भजन सुनते हैं । भजन सुनते-सुनते ‘यात्रा कब पूर्ण हुई’, यह समझ में ही नहीं आता ।

ईश्वर के प्रति भाव एवं निरपेक्षता से धर्मकार्य करनेवाले अधिवक्ता पी. कृष्णमूर्ती का सूक्ष्म प्रयोग !

भजन सुनते समय उनकी आंखों में भावाश्रु आते हैं । धर्मकार्य के लिए वे अपने निजी खर्च कर विविध गांवों में जाकर हिन्दुत्वनिष्ठों की कानूनी सहायता करते हैं । उनका कार्य निरपेक्ष होता है ।