सनातन धर्म में चराचर सृष्टि के प्रत्येक जीव के उद्धार का विचार ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

ग्वालियर (मध्य प्रदेश) की ऐतिहासिक शरद व्याख्यानमाला में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी का व्याख्यान

व्याख्यान के पूर्व दीप प्रज्वलन करते हुए सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

ग्वालियर (मध्य प्रदेश) – ‘सनातन धर्म की सीख तथा अध्यात्म एक ही है । सनातन धर्म में केवल मनुष्य के ही नहीं, अपितु प्रत्येक कण-कण के उद्धार का विचार किया गया है । सनातन धर्म के प्रत्येक सिद्धांत में विज्ञान है । आज हमें पुनर्जन्म सिद्धांत, कर्मसिद्धांत इत्यादि संकल्पनाओं को समझ लेकर उसे हमारी भावी पीढी को बताना आवश्यक है । उसके कारण व्यक्तिगत जीवन के साथ समाजजीवन एवं राष्ट्रजीवन भी आनंदमय होगा’, ऐसा मार्गदर्शन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी यहां की शरद व्याख्यानमाला में किया । इस कार्यक्रम में अनेक मराठी भाषी नागरिक तथा व्याख्यानमाला के सभी मान्यवर कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित थे । वर्ष १९३२ में आरंभ हुई इस शरद व्याख्यानमाला का यह ९२ वां वर्ष था । इस वर्ष की इस व्याख्यानमाला का अंतिम पुष्प सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने समर्पित किया । दीपप्रज्वलन तथा श्री सरस्वतीदेवी को पुष्पमाला समर्पित कर व्याख्यान का आरंभ हुआ ।

मार्गदर्शन करते हुए सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने कहा, ‘‘समाज में आज ‘अध्यात्म सेवानिवृत्ति के उपरांत करने की बात है’, यह अवधारणा फैली है; परंतु इसके विपरीत अध्यात्म एवं धर्माचरण जैसी कृतियां हमें बच्चों को घर पर सिखानी चाहिए । आज के समय में हिन्दू बहुसंख्यक होते हुए भी हिन्दू धर्म एवं संस्कृति क्षीण होती जा रही है; क्योंकि विगत ७६ वर्षाें में हिन्दुओं को धर्म की शिक्षा नहीं मिली है । आज के अधिकतर हिन्दू केवल जन्म से ही हिन्दू हैं । इसलिए प्रत्येक हिन्दू को कर्म से हिन्दू बनना आवश्यक है ।’’

उपस्थित जनसमुदाय

शरद व्याख्यानमाला की उपाध्यक्ष सुश्री कुंदा जोगळेकर ने आभार व्यक्त किया, तथा श्री. मेघदूत परचुरे ने सूत्रसंचालन किया । शरद व्याख्यानमाला की ओर से छोटे बच्चों के लिए श्लोकपाठ प्रतियोगिता आयोजित की जाती है । इस प्रतियोगिता में विजेता बच्चों को सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी के हस्तों सम्मानित किया गया ।