सनातन की ग्रन्थमाला : राष्ट्र एवं धर्म रक्षा

अंग्रेजोंकी मैकॉले प्रणित शिक्षाप्रणालीके दुष्परिणाम तथा पश्चिमी संस्कृतिका आक्रमण रोकने हेतु उपाय बतानेवाले जून २०१२ के ‘प्रथम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन’ के मान्यवरोंके व्याख्यानोंसे युक्त ग्रन्थ !

सनातन के दिव्य ग्रंथों के लिए अनुवादकों की आवश्यकता !

जिन्हें अध्यात्म के प्रति रुचि है उन्हें ईश्वरप्राप्ति शीघ्र कराने हेतु तथा संपूर्ण विश्व में हिन्दू धर्म का शास्त्रीय परिभाषा में प्रचार करने के उद्देश्य से, सनातन ने मई २०२१ तक ३३८ अनमोल ग्रंथों का प्रकाशन किया है, भविष्य में हजारों ग्रंथ प्रकाशित होंगे ।

सनातनकी ग्रंथमाला : परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीद्वारा आयोजित अभ्यासवर्ग

सनातनके साधक श्री. विवेक पेंडसेने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीद्वारा वर्ष १९९२ और वर्ष १९९३ में लिए अभ्यासवर्गोंके सूत्र लिख लिए थे । इस ग्रन्थमें परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीद्वारा लिए गए अभ्यासवर्गोंमें जिज्ञासुओंद्वारा पूछे गए प्रश्न और परात्पर गुरु डॉक्टरजीद्वारा दिए उत्तर अन्तर्भूत हैं ।

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के अंतर्गत कार्यान्वित होनेवाले ग्रंथालय से संबंधित सेवा में सम्मिलित हों !

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के ग्रंथभंडार में ३५ सहस्र से अधिक मुद्रित ग्रंथ और १ लाख से अधिक ‘ई-बुक्स’ हैं तथा उसमें प्रतिदिन अनेक ग्रंथों की वृद्धि हो रही है । इसलिए इन ग्रंथों से संबंधित आगे की सेवा करने के लिए रामनाथी, गोवा के आश्रम में मानव संसाधन की आवश्यकता है ।

ग्रंथलेखन का अद्वितीय कार्य करनेवाले एकमात्र परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी !

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु प्रयास करना कालानुसार आवश्यक समष्टि साधना ही है । इसके संदर्भ में समाज का मार्गदर्शन होने हेतु परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने ‘ईश्वरीय राज्य की स्थापना’, ‘हिन्दू राष्ट्र क्यों आवश्यक ?’, ‘हिन्दू राष्ट्र : आक्षेप एवं खण्डन’ जैसे समष्टि साधना सिखानेवाले ग्रंथों की रचना की ।

परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के अव्यक्त संकल्प के कारण गत एक वर्ष में विविध भाषाओं में सनातन के ३० नए ग्रंथ-लघुग्रंथ प्रकाशित और ३५७ ग्रंथ-लघुग्रंथों का पुनर्मुद्रण !

‘हिन्दू राष्ट्र’ धर्म के आधार पर ही स्थापित होगा । धर्मप्रसार के कार्य में ज्ञानशक्ति, इच्छाशक्ति और क्रियाशक्ति में से ज्ञानशक्ति का योगदान सर्वाधिक है । ज्ञानशक्ति के माध्यम से कार्य होने का सर्वाधिक प्रभावी माध्यम हैं ‘ग्रंथ’ ।

देवताओं की उपासना हेतु प्रेरित करनेवाली सनातन की ग्रंथमाला !

स्तोत्र में देवता की स्तुति सहित पाठ करनेवालों के सर्व ओर सुरक्षा-कवच निर्माण करने की शक्ति भी होती है । स्तोत्रों की फलश्रुति के संदर्भ में रचयिता के संकल्प के कारण, स्तोत्रपाठ से इच्छापूर्ति, वैभव, पापनाश आदि फलप्राप्ति होती है !

आहार का अध्यात्मशास्त्रीय आधार समझानेवाले सनातन के ग्रंथ

आदर्श आहार एवं आहारसेवन के नियम समझने हेतु पढें सात्त्विक आहारका महत्त्व आहारके प्रकार एवं देहपर उसके प्रभाव क्या हैं ? ‘शाकाहार ही धर्मपालन’ होनेका कारण क्या है ? शाकाहारकी आलोचनाओंका खण्डन कैसे करें ? असात्त्विक आहारके दुष्परिणाम मनुष्यके लिए मांसाहार वर्जित होनेके विविध कारण संसारके सर्व धर्माेंद्वारा किया गया मद्यपानका विरोध मांस-मद्य सेवनसे होनेवाली … Read more

ग्रंथमाला : आचारधर्म (हिन्दू आचारोंका अध्यात्मशास्त्र)

आनंदमय जीवन व्यतीत करते हुए मनुष्य ईश्वरप्राप्ति की दिशा में आगे बढे, इसके लिए हिन्दू धर्म में विविध आचार बताए गए हैं। काल के प्रवाह में हिन्दू इन आचारों को भूल गए, इसलिए उनका अध:पतन हो रहा है। इस अध:पतन को रोकने हेतु यह ग्रंथमाला पढें।

ग्रंथमाला : देवताओंकी उपासना एवं उसका अध्यात्मशास्त्र

देवताकी विशेषताएं एवं कार्य पता चलनेपर देवताकी महिमा समझमें आती है । देवताकी उपासनाका शास्त्र समझमें आनेपर देवताकी उपासनासम्बन्धी श्रद्धा बढती है । श्रद्धासे उपासना भावपूर्ण होती है एवं भावपूर्ण उपासना ही अधिक फलदायी होती है ।