‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के अंतर्गत कार्यान्वित होनेवाले ग्रंथालय से संबंधित सेवा में सम्मिलित हों !

साधकों, साथ ही पाठकों, हितचिंतकों और धर्मप्रेमियों से विनम्र अनुरोध !

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ अर्थात छात्रों को विविध विद्याओं और कलाओं की शिक्षा देनेवाला अनोखा विद्यालय ! तक्षशिला, नालंदा, काशी, भोजशाला आदि प्राचीन विश्वविद्यालयों की भांति विश्व का मार्गदर्शन करनेवाला यह विद्यालय होगा । ‘इस विद्यालय में राष्ट्रप्रेमी और धर्मनिष्ठ छात्र तैयार हों’, इस उद्देश्य से छात्रों को विद्याओं और कलाओं की शिक्षा के साथ ही अध्यात्म, राष्ट्र एवं धर्म इन विषयों की भी शिक्षा दी जाएगी । इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत भव्य ग्रंथालय बनाया जानेवाला है, जिसमें छात्रों के पाठ्यक्रमों के लिए पूरक विषयों के विविध भाषाओं के संदर्भग्रंथ उपलब्ध होंगे ।

अभी तक इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत अध्यात्म, धर्म, राष्ट्र, कला, आयुर्वेद आदि विविध विषयों की ग्रंथसंपदा संग्रहित की गई है । इस ग्रंथभंडार में ३५ सहस्र से अधिक मुद्रित ग्रंथ और १ लाख से अधिक ‘ई-बुक्स’ हैं तथा उसमें प्रतिदिन अनेक ग्रंथों की वृद्धि हो रही है । इसलिए इन ग्रंथों से संबंधित आगे की सेवा करने के लिए रामनाथी, गोवा के आश्रम में मानव संसाधन की आवश्यकता है ।

१. ३,५०० मुद्रित ग्रंथों और १ लाख से अधिक ‘ई-बुक्स’ की संगणकीय प्रविष्टियां (ग्रंथों का नाम, लेखक, प्रकाशक आदि जानकारी के साथ ही २० से २५ शब्दों का ग्रंथों का संक्षेप में सारांश प्रविष्ट करना) करना

२. ३,५०० ग्रंथों को संकेतांक (कोड) देना

(संकेतांक देना : ग्रंथों को अलग-अलग बारिकियों के आधार पर विशिष्ट संकेतांक दिए जाते हैं और सभी ग्रंथ संग्रहित रखे जाते हैं । संकेतांकों के कारण संग्रह में रखे गए ग्रंथों को आवश्यकता के अनुसार संग्रह से खोज निकालना सरल होता
है । अतः ग्रंथों को संकेतांक देना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है ।)

३. संकेतांक दिए गए २० सहस्र ग्रंथों का संकेतांकों के अनुसार वर्गीकरण करना और विषयों के अनुसार सूची अद्यतन करना

४. ग्रंथों के संग्रह में कुछ ग्रंथों की एक से अधिक प्रतियां हैं । इन अतिरिक्त प्रतियों की आवाजाही देखना और उनकी सूची बनाना

५. रचना छूटे हुए और निकले हुए पन्नों के ग्रंथों को पुनः बांधना, साथ ही उनका रखरखाव करना

उक्त सेवाओं के लिए मराठी एवं अंग्रेजी भाषाओं का, साथ ही संगणक का प्राथमिक ज्ञान, ग्रंथों की अनुक्रमणिका अथवा प्रस्तावना पढकर उन ग्रंथों का सारांश लिखना आदि कौशल की आवश्यकता है ।

किसी की सेवा करने की इच्छा है; परंतु उनमें सेवा का कौशल नहीं है, तो उन्हें इन सेवाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा । इच्छुक व्यक्ति जिलासेवकों के माध्यम से निम्नांकित सारणी के अनुसार अपनी जानकारी श्री. अभिजित सावंत के नाम से [email protected] इस संगणकीय पते पर अथवा डाक से भेजें ।

डाक के लिए पता : श्री. अभिजित सावंत, ‘भगवतीकृपा अपार्टमेंट्स’, एस-१, दूसरी मंजिल, बिल्डिंग ए, ढवळी, फोंडा, गोवा. ४०३४०१

सनातन धर्म में विद्यमान अनमोल ज्ञानभण्डार अखिल मानवजाति को प्राप्त हो; इसके लिए ग्रंथालय की सेवाओं में सम्मिलित हों !