नोबल शांति पुरस्कार के लिए ‘अल्ट न्यूज’ के प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबेर का भी नाम
क्या यह शांति पुरस्कार सामाजिक शांति बिगाडने के लिए दिया जाता है, ऐसा प्रश्न सामने आता है !
क्या यह शांति पुरस्कार सामाजिक शांति बिगाडने के लिए दिया जाता है, ऐसा प्रश्न सामने आता है !
पोप फ्रांसिस ने कहा कि यह युद्ध अब गंभीर, विनाशकारी और धोकादायक हो गया है । इसका परिणाम केवल इन देशों पर ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व पर हो रहा है ।
अब अनेक यूरोपीय देशों ने अनुभव किया कि मुसलमानों की आपराधिक प्रवृत्ति के कारण उन्हें क्या भुगतना पड़ रहा है , उन्हें यह भली भांति विदित हो चुका है एवं इसी कारण वे ऎसा निर्णय ले रहे हैं । ये वही यूरोपीय देश हैं जो भारत को धर्मनिरपेक्ष की दवा पिला कर परामर्श देते थे कि मुसलमानों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाय ! ध्यान दें कि कश्मीर में मुसलमानों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के संबंध में ये देश सदा चुप रहे हैं !
धर्म के लिए जब तक हिन्दू संगठित नहीं होते, तब तक भारत के साथ पूरे विश्व में यही होता रहे, तो इसमें क्या आश्चर्य है ?
गत १० वर्षों में विज्ञान ने चाहे कितनी लंबी छलांग लगा कर उन्नति कर ली हो और मानव जाति के लिए कितनी ही सुख-सुविधाओं का निर्माण किया हो, वह मनुष्य को शाश्वत एवं चिरंतन आनंद उपलब्ध न करा कर मानव, समाज तथा पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहा है । क्या वैज्ञानिक वृंद अभी भी विज्ञान की परिसीमा समझ पाएंगे ?
ब्रिटेन में हिन्दुओं पर हो रहे आक्रमणों के विषय में भारत को ब्रिटेन सरकार का कठोर निषेध व्यक्त कर उनकी (हिन्दुओं की) रक्षा के लिए कठोर कदम उठाने के लिए दबाव डालना होगा ! एकाध यहुदियों के विरुद्ध विश्व में कहीं भी कुछ भी हो, तब इस्रायल तुरंत उसकी रक्षा के लिए प्रयास करता है, ठीक उसी प्रकार भारत को हिन्दुओं के लिए करना अपेक्षित है !
यह बदला लेने की अथवा ‘पश्चिम के विरोध में एशियाई देश’ ऐसा विरोध करने का समय नहीं । हमारे सामने आए आवाहनों को एकत्रित रुप से सामना करने का यही समय है, ऐसा फ्रांस के राष्ट्रपति इमेन्युएल मेक्रॉन ने कहा है ।
ब्रिटेन जैसा त्वरित न्याय भारत में कब मिलेगा ?
मंदिर में तोड फोड कर भगवा ध्वज जलाया
पुलिसकर्मियों पर कांच की बोतलों द्वारा आक्रमण
वैज्ञानिक उपकरणों का अत्यधिक प्रयोग करने का ही दुष्परिणाम ! – अध्यात्मविहीन विज्ञान का अनुसरण यही इन सभी समस्याओं का कारण है, यह ध्यान में लें !