अप्रवासियों में अधिकांश मुसलमान का ही समावेश है !
नई देहली – यूरोपीय संघ के २७ देशों में से १३ ने अप्रवासियों के, उनके देशों में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया है । इन प्रवासियों में इस्लामिक देशों से आने वाले मुसलमानों की संख्या अधिक है । पिछले कुछ वर्षों से लोगों में प्रचंड संताप है क्योंकि इन मुसलमानों ने यूरोप में कानून-व्यवस्था और सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ दिया है । कहा जाता है कि इन १३ देशों ने यह प्रतिबंध अब इसलिए लगाया है कि राष्ट्रवादी दलों की सरकारें सत्ता में आ गई हैं । राष्ट्रवादी दलों के बढ़ते प्रभुत्व को देखते हुए यूरोपीय संघ के प्रतिवेदन में भविष्यवाणी की गई है, कि राष्ट्रवादी दलों को अन्य देशों में भी अधिक समर्थन मिल सकता है । इन देशों में भी राष्ट्रवादी सरकारें सत्ता में आ सकती हैं ।
मुसलमान अप्रवासियों के कारण अपराधों में वृद्धि !
यूरोपीय संघ के विकसित देशों में मुस्लिम अप्रवासियों की अधिक संख्या में आने के कारण वहां अपराध में वृद्धि हुई है। तुलनात्मक रूप से, स्वीडन में अपराध में ५ वर्षों में ६० प्रतिशत की वृद्धि हुई, और मुसलमान अप्रवासियों के घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों में बसने से धार्मिक और सामाजिक संतुलन बिगड़ गया । फ्रांस के कई शहरों में सामाजिक सौहार्द का ह्रास हुआ है ।
संपादकीय भूमिकाअब अनेक यूरोपीय देशों ने अनुभव किया कि मुसलमानों की आपराधिक प्रवृत्ति के कारण उन्हें क्या भुगतना पड़ रहा है , उन्हें यह भली भांति विदित हो चुका है एवं इसी कारण वे ऎसा निर्णय ले रहे हैं । ये वही यूरोपीय देश हैं जो भारत को धर्मनिरपेक्ष की दवा पिला कर परामर्श देते थे कि मुसलमानों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाय ! ध्यान दें कि कश्मीर में मुसलमानों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के संबंध में ये देश सदा चुप रहे हैं ! |