‘गजवा-ए-हिन्द’ का फतवा जारी करनेवाले ‘दारुल उलूम देवबंद’ एवं उससे जुडे सभी संगठनों पर तुरंत प्रतिबंध लगाए ! 

हिन्दू जनजागृति समिति की केंद्रीय गृहमंत्री से मांग !

पटना (बिहार) – हाल ही में ‘दारुल उलूम देवबंद’ ने ‘गजवा-ए-हिन्द’ अर्थात ‘भारत के खिलाफ युद्ध छेडकर भारत को जीतना और पूरे भारत का इस्लामीकरण करना’ ऐसे फतवा जारी किया है । ‘दारुल उलूम देवबंद’ ने इसका खुला समर्थन किया है ।

यह संस्था दक्षिण एशिया के सभी मदरसों का संचालन करती है, जिसमें मुस्लिम छात्रों को धार्मिक शिक्षा दी जाती है । सभी इस्लामिक संस्थाएं इस संस्था का अनुसरण करती हैं । इस फतवे के कारण अब सीधे तौर पर भारत के विरुद्ध युद्ध छेडने की बात से देश में कानून-व्यवस्था बिगड सकती है और गृह युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है । अतः ‘दारुल उलूम देवबंद’ तथा उससे जुडे सभी संगठनों पर तुरंत प्रतिबंध लगाकर उसकी सभी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को कठोरता से कुचल दिया जाए, ऐसी मांग का ज्ञापन उत्तर प्रदेश में वाराणसी, प्रयागराज तथा बिहार में पटना, गया तथा मुजफ्फरपुर में हिन्दू जनजागृति समिति ने केंद्रीय गृहमंत्री को माननीय जिलाधिकारी के माध्यम से सौंपा ।

पश्चिम बंगाल राज्य सरकार को तुरंत निलंबित कर तत्काल ‘राष्ट्रपति शासन’ लगाया जाए !

बंगाल राज्य में हिन्दू महिलाओं का हो रहा बलात्कार, मंदिरों पर आक्रमण और देवी-देवताओं की मूर्तियों को नष्ट करना, हिन्दुत्वनिष्ठों की हत्याएं करना, हिन्दू शोभायात्राओं पर आक्रमण किया जाना, हिन्दू त्योहारों के दौरान दंगे करना, बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान सीपीएम, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा एक-दूसरे पर बम फेंकना, यह दर्शाती है कि बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति कितनी गंभीर हो गई है । इन कारणों से पश्चिम बंगाल राज्य सरकार को तुरंत निलंबित कर यहां हिन्दुओं के उत्पीडन को रोकने के लिए राज्य में ‘राष्ट्रपति शासन’ लागू किया जाए ।

‘कर्नाटक हिन्दू धार्मिक संस्था एवं चैरिटेबल एंडोमेंट बिल २०२४’ रहित किया जाए !

कर्नाटक सरकार ने २० फरवरी २०२४ को ‘कर्नाटक हिन्दू धार्मिक संस्था एवं चैरिटेबल एंडोमेंट बिल २०२४’ पारित किया । इसके खंड 69 E में जिला स्तरीय एवं राज्य स्तरीय उच्च समिति गठित करने का प्रावधान है । इसमें अहिन्दू पदाधिकारियों को सम्मिलित किए जाने की बडी संभावना है । खंड 17 के अंतर्गत जिन हिन्दू मंदिरों की आय १ करोड रुपए से अधिक है, उनकी आय का १० प्रतिशत कर; जिन मंदिरों की आय ५ से १० लाख रुपए है, उनके आय की ५ प्रतिशत राशि कर के रूप में ‘सामान्य निधि’ में जमा करने का उल्लेख है । यह एक धार्मिक भेदभाव है । केवल हिन्दू मंदिरों से ही कर क्यों ? खंड 25 में मंदिर की व्यवस्थापन समिति गठित करने के संदर्भ में अहिन्दुओं की नियुक्ति करने के विषय में उल्लेख है । यह अत्यंत गंभीर एवं धक्कादायक है ।

‘गजवा-ए-हिन्द’ के इस फतवे का प्रसार करनेवालों पर देशद्रोह का आरोप लगाकर कडी कार्रवाई की जाए ।, इस प्रकार की भी मांग हिन्दू जनजागृति सिमति की ओर से की गई ।