हरिद्वार (उत्तराखंड) – हरिद्वार हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल है । यहां के सभी मठ एवं सभी अखाडे हिन्दू धर्म के आध्यात्मिक केंद्र हैं । यहां सभी प्रकार के धार्मिक कार्य किए जाते हैं । यहां कुंभपर्व भी आयोजित होता है । प्रतिवर्ष ३ करोड से अधिक श्रद्धालु यहां से गंगाजल ले जाते हैं; परंतु इस पवित्र तीर्थस्थल की जनसंख्या का संतुलन बिगाडने के प्रयास चल रहे हैं, ऐसा दिखाई दे रहा है । हरिद्वार जिले में मुसलमानों की जनसंख्या प्रति १० वर्ष उपरांत ४० प्रतिशत से बढ रही है । ‘पांचजन्य’ नियतकालिक ने यह समाचार प्रकाशित किया है ।
हरिद्वार में मुसलमानों की जनसंख्या ३९ प्रतिशत अर्थात ८ लाख होने की संभावना !
हरिद्वार जिले में वर्ष २००१ में मुसलमानों की जनसंख्या ४ लाख ७८ सहस्र थी, जो वर्ष २०११ की जनगणना के अनुसार ६ लाख ४८ सहस्र ११९ तक बढ गई है । इसका अर्थ जिले की कुल जनसंख्या में से ३४.२ प्रतिशत मुसलमान थे । उस समय राज्य में मुसलमानों की जनसंख्या ११.१९ प्रतिशत से १३.९ तक पहुंच गई थी । वर्ष २०२० के अनुमान के अनुसार हरिद्वार जिले में मुसलमानों की जनसंख्या लगभग ३९ प्रतिशत है । ऐसा अनुमान है कि इस वर्ष के अंत में हरिद्वार जिले की जनसंख्या लगभग २२ लाखतक पहुंच जाएगी, जिसमें मुसलमानों की जनसंख्या ८ लाख से अधिक होगी । इसके कारण ही हरिद्वार जिले में सामाजिक एवं राजनीतिक परिवर्तन आ रहे हैं ।
कांग्रेससहित अन्य राजनीतिक दलों ने अवैधरूप से रहने के लिए मुसलमानों की सहायता की !
उत्तर प्रदेश के बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मेरठ एवं सहारनपुर ये जिले हरिद्वार जिले से सटे हुए हैं । इन जिलों में मुसलमानों की संख्या बहुत बडी है । उत्तराखंड राज्य बनते ही इस जिले में उद्योगों का जाल फैला था । मुसलमान ठेकेदार बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मेरठ एवं सहारनपुर इत्यादि जिलों से मुसलमान श्रमिकों को यहां ले आए । तत्कालिन नारायणदत्त तिवारी की कांग्रेस सरकार ने यहां के उद्योगों में स्थानीय लोगों को ७० प्रतिशत रोजगार देने का निर्णय लिया; परंतु श्रमिक ठेकेदारों ने भ्रष्टाचार के बल पर इस निर्णय से अपना बचाव किया । उन्होंने उत्तर प्रदेश से ले आए श्रमिकों को स्थानीय दिखाकर वे सरकारी नियमों का पालन कर रहे हैं, ऐसा दिखाया । इसके अतिरिक्त वे गंगाजी एवं उनकी उपनदियों में खदानों के काम के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार एवं असम इन राज्यों से मुसलमान श्रमिक ले आए, जो गंगातट पर अवैधरूप से बंसने लगे । अब तो उनके पास मतदाता परिचयपत्र भी हैं । कांग्रेस एवं अन्य धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस काम में इन लोगों की सहायता की ।
हिन्दू संगठनों एवं भाजपा के द्वारा विरोध !
हरिद्वार में कांवड यात्रा के लिए प्रतिवर्ष करोडों श्रद्धालु आते हैं । पहले हरिद्वार से सटे उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के लोगों का कांवड एवं अन्य संबंधित वस्तुएं बनाने का व्यवसाय था । उत्तराखंड राज्य की निर्मिति के उपरांत ये लोग भी हरिद्वार जिले में बंस गए । पिछले २० वर्षाें में हरिद्वार से लेकर ऋषिकेशतक जनसंख्या बढी है, यह वास्तविकता है । इसके कारण निर्माणकार्य श्रमिक, बढई, फिटर आदि व्यवसाय करनेवाले लोग भी कुंभ परिसर के बाहर बंसने लगे । यह सब देखकर अक्टूबर २०१९ में जवालापुर चुनाव क्षेत्र के भाजपा विधायक ने खुलेआम यह वक्तव्य दिया कि हरिद्वार जिले के गंगातट पर ६७ कि.मी. के घेरे में मुसलमानों की जनसंख्या बढ रही है । इसलिए यहां आकर कौन बंस गए ?, इसकी जांच होनी चाहिए । पिछले वर्ष विश्व हिन्दू परिषद ने भी इस समस्या की ओर उत्तराखंड सरकार का ध्यान आकर्षित किया था ।
मुसलमान मतदाताओं के कारण भाजपा प्रत्याशियों की चुनाव में हो रही है पराजय !
भाजपा के प्रमुख चेहरों में से एक स्वामी यतीश्वरानंदजी महाराज पिछले वर्ष हरिद्वारा ग्रामीण चुनावक्षेत्र से विधानसभा का चुनाव हार गए थे । इसके साथ ही ज्वालापुर से भाजपा प्रत्याशी सुरेश राठौड एवं लक्सर से संजय गुप्ता कांग्रेस के प्रत्याशियों से हार गए थे । खानापुर में निर्दलीय प्रत्याशी उमेशकुमार ने भाजपा प्रत्याशी को हराया शथा । चुनावी विश्लेषकों का यह मानना है कि इस क्षेत्र में बढते हुए मुसलमान मतदाताओं के कारण भाजपा की पराजय हुई है । रुरकी के विधायक प्रदीप बात्रा वर्ष २०१८ में १२ सहस्र से अधिक मतों से जीत गए; परंतु वर्ष २०२३ में वे केवल २ सहस्र २०० मतों से जीत गए । अन्य चुनावक्षेत्रों में भी भाजपा की जीत का अंतर बढ रहा है; क्योंकि यहां मुसलमानों की जनसंख्या बढने के कारण उनके मत निर्णायक सिद्ध हो रहे हैं ।
कांग्रेस की ओर से मुसलमानों की अवैध बस्तियों को मिल रहा है संरक्षण !
हरिद्वार में मुसलमानों की अधिकांश जनसंख्या शहर के बाहर के गंगाजी के तट पर तथा रेल विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर बंसी है । जानकारों का यह कहना है कि कांग्रेस के कार्यकाल में उसमें वृद्धि हुई है । इसमें बांग्लादेशी तथा रोहिंग्या मुसलमान होने की भी बात कही जा रही है । इन लोगों को कांग्रेसी नेताओं से संरक्षण मिलता आया है । उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हरिद्वार से लोकसभा का चुनाव लडते हैं तथा उनके कार्यकाल में ही अवैध बस्तियों को वैध बनाने का कार्य हुआ था ।
मस्जिदों की बढती संख्या !
हरिद्वार के कुंभ क्षेत्र से बाहर निकलते समय राष्ट्रीय महामार्ग की दोनों ओर मीनारवाली मस्जिदें दिखाई देती हैं, जो कुछ वर्ष पूर्व नहीं थीं । कुंभ परिसर में बाजार लगानेवाले मुसलमान अनेक बार सडक पर खुले में नमाज पढते हुए दिखाई दिए हैं तथा प्रशासन को उन पर कार्यवाही करनी पडी है । आज के समय में रमजान का महिना चल रहा है । हरिद्वार प्रशासन ने मस्जिदों से भोंपू हटाए तथा मस्जिदों के व्यवस्थापन को न्यायालय के आदेश के अनुसार प्रतिबंध होने का स्मरण दिलाया है ।
मुसलमानों ने हरिद्वार जिले को बनाया ‘गजवा-ए-हिन्द’ (भारत के विनाश) का क्षेत्र !
जिहादी घटकों ने हरिद्वार जिले को गजवा-ए-हिन्द का क्षेत्र बनाया है, ऐसा अनेक लोगों का कहना है । पिछले वर्ष आतंकवादविरोधी दल ने यहां से ३ लोगों को बंदी बनाया था, उनमें से एक अली नूर बांग्लादेशी नागरिक है । वह यहां फर्जी नाम से रह रहा था तथा मदरसे में बच्चों को प्रशिक्षण दे रहा था । अली नूर के साथ रुरकी के मुदस्सीर एवं सिडकुल के कामिल को भी बंदी बनाया गया है । पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने उत्तराखंड को ‘गजवा-ए-हिन्द’ बनाने के लिए अनेक संगठनों के सक्रिय होने की पुष्टि की थी ।
हरिद्वार में गैरहिन्दुओं के लिए प्रवेशबंदी की जाए !
हरिद्वार शहर जब छोटा था, उस समय अर्थात वर्ष १९१६ में महामानव पंडित मदनमोहन मालवीय एवं ब्रिटिश सरकार में एक अनुबंध हुआ था, जिसके अनुसार हर की पौडी क्षेत्र के ३ कि.मी. के परिसर में किसी भी गैरहिन्दू व्यक्ति के लिए प्रवेशबंदी थी । हरिद्वार महापालिका की नियमों की सूची में इस अनुबंध की प्रविष्टि मिलती है । इसका अर्थ यह है कि उस समय हरिद्वार केवल ३ कि.मी. के घेरे में बंसा था, जिसने आज बडा रूप धारण किया है । ऋषिकेश के लिए भी इसी प्रकार का कानून बनाया गया था तथा यहां कोई गैरहिन्दू आया भी, तब भी उसे रात में यहां रहने पर प्रतिबंध था । मक्का में गैरमुसलमानों एवं वैटिकन सिटी में गैरईसायों के प्रवेश पर प्रतिबंध है, उसी आधार पर पंडित मदनमोहन मालवीय ने आस्था के आधार पर ब्रिटिश राजकर्ताओं के साथ यह अनुबंध किया था । इस नियम के आधार पर हिन्दू साधु-संत देवभूमि उत्तराखंड में गैरहिन्दुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं । अब इस मांग की ओर ध्यान देने का समय आ चुका है, अन्यथा हरिद्वार जैसा तीर्थस्थल भी ‘गजवा-ए-हिन्द’ का अंश बन सकता है; ऐसा बोला जा रहा है ।
संपादकीय भूमिका
|