पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री की १६० कि.मी. चल रही हिन्दू जागृति यात्रा का शुभारंभ
छतरपुर (मध्य प्रदेश) – यहां हजारों लोगोंकी भीड आपसे क्या कह रही हैं ? बागेश्वर के ये जागृत हिन्दू वर्ष २०२४ के जागृत हिन्दू हैं । ये अब वह हिन्दू नहीं रहे जो थप्पड लगने पर भाग जाते हैं ।’ ये वो हिन्दू हैं जिन्हें छेडोगे तो छोडेंगे नहीं । ये हिन्दू अहिंसक हैं, हिंसक नहीं ; क्योंकि उनके हाथ में तलवार नहीं है ; लेकिन यहां बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री ने कहा है कि उनके पास विचारों की तलवार है । २१ नवंबर से उन्होंने छतरपुर से ओरछा तक १६० किलोमीटर की अंतर की हिंदू जागृति यात्रा का प्रारंभ किया है । वह उस समय बात कर रहे थे ।
पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री ने आगे कहा कि,
१. हम इन हिन्दूओं के हाथ में सत्य की पुस्तक देना चाहते हैं । इन हिन्दुओं के हाथ में रामायण और श्रीमद्भगवद्गीता दी जानी है । हम इन हिन्दुओं के हाथों में तर्कसंगत सोच देना चाहते हैं। हम इन हिन्दुओं को अपने अधिकारों के लिए लड़ने का अधिकार देना चाहते हैं। हम हिन्दुओं के अधिकारों की बात करना चाहते हैं, हम संविधान की बात करना चाहते हैं, हम देश की एकता की बात करना चाहते हैं।
२. भारत अत्यंत संकट में है । आप कहते हैं कि इसने ‘करो या मरो’ की स्थिति पैदा कर दी है। हमारे देश में हमारे मंदिरों पर दूसरों का नियंत्रण होने से और बड़ा संकट क्या हो सकता है ? वे ( हिन्दुद्वेषी ) राम के राज्य में रहते हैं ; लेकिन फिर भी वे राम के अस्तित्व का साक्ष्य मांगते हैं। बाबर और अकबर के शासनकाल में इन लोगों (कट्टरपंथियों) ने काशी विश्वनाथ मंदिर को मस्जिद घोषित कर दिया था। जहां भगवान कृष्ण प्रकट हुए थे वहां एक मस्जिद बनाई गई। उन्होंने कई जगहों पर देश पर अपना अधिकार जताया । वे हिंदू समुदाय से कह रहे हैं कि अब हमारे लिए ‘करो या मरो’ का समय आ गया है। अगर वे (कट्टरपंथी) कल बागेश्वर धाम में कब्रें बनाएंगे तो हम निश्चित रूप से मर जाएंगे । ‘ इसीलिए हम हिन्दुओं को एकजुट करने और जातिवाद को समाप्त करने के लिए यह (हिन्दुओं को संगठित) कर रहे हैं।’
३. हिन्दुओं को संगठित होना चाहिए । जहां हम नहीं पहुंच रहे हैं, वहां हिन्दू धर्मांतरण बढ़ रहा है। धार्मिक नेताओं को गरीबों तक पहुंचना होगा। इस समुदाय को हम आदिवासी नहीं ‘अनादिवासी’ नाम दे रहे हैं । यह समाज भगवान राम के समय का है। हमें उनका सम्मान करना चाहिए ।
४. हमारी पार्टी बजरंगबली की पार्टी है, जिसका चुनाव चिन्ह गदा है । हम कोई पक्ष नहीं निकालते । हम राजनीति में नहीं जाना चाहते । हम राजनीति में क्या करेंगे ? मैंने हनुमान के चरणों में शपथ ली कि मैं अपना जीवन हिन्दुओं के लिए जिऊंगा और हिन्दुओं के लिए मरूंगा।
मंदिर-मस्जिदों में ‘वंदे मातरम्’ गाया जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि देशभक्त कौन है !
पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री ने बयान दिया कि मंदिर हो या मस्जिद, दोनों पूजा स्थलों पर ‘वंदे मातरम्’ का उच्चारण होना चाहिए। यदि यह नियम लागू होता है तो कौन देशभक्त है और कौन देशद्रोही है इससे यह स्पष्ट हो जायेगा ?
उन्होंने कहा कि देश में सभी समुदायों का समान स्थान है और उन्हें उचित सम्मान दिया जाता है; लेकिन एक बार वंदे मातरम् कहने का चलन आरंभ हो गया तो लोगों में देशभक्ति अपने आप विकसित हो जाएगी । यदि ऐसा कोई निर्णय लिया जाता है तो यह राष्ट्रीय एकता के हित में उठाया गया कदम होगा। लोगों के बीच धार्मिक बाधाएं दूर होंगी और लोगों में भाईचारा बढ़ेगा।