हिन्दू धर्म के साढे तीन शुभमुहूर्ताें में से वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया एक है । इसीलिए इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं । इस तिथि पर कोई भी समय शुभमुहूर्त ही होता है । इस वर्ष २२ अप्रैल २०२३ को अक्षय तृतीया है ।
♦ धार्मिक कृत्यों का अधिक लाभ : इस तिथि पर ब्रह्मा एवं श्रीविष्णु की मिश्र तरंगें पृथ्वी पर आती हैं; जिससे पृथ्वी पर १० प्रतिशत सात्त्विकता बढ जाती है । इस दिन श्रीविष्णु-पूजन, जप, होम-हवन, पवित्र स्नान, दान आदि अनुष्ठानों से आध्यात्मिक लाभ होते हैं ।
♦ देवता एवं पितरों के लिए तिलतर्पण करने से लाभ : इस तिथि पर देवता एवं पितरों के लिए किया गया कर्म अक्षय होने के कारण देवताओं और पितरों को तिलतर्पण (अर्थात जलमिश्रित तिल अर्पित) किया जाता है । हमारे पितर इस तिथि को पृथ्वी के समीप आते हैं । उन्हें अगली गति दिलाने हेतु अपिंडक श्राद्ध करें । यदि यह संभव न हो, तो तिलतर्पण करें । (तिलतर्पण विधि के विषय में पुरोहितों से पूछ सकते हैं ।)
♦ मृत्तिकापूजन, मिट्टी की क्यारियां बनाना, बीजारोपण एवं वृक्षारोपण के लाभ : ये कृत्य अक्षय तृतीया पर करने से दैवी शक्ति बीजों में उत्पन्न होकर फसल अच्छी होती है ।
(संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘त्योहार मनानेकी उचित पद्धतियां एवं अध्यात्मशास्त्र’)