हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए सदैव अग्रणी तमिलनाडू के ‘हिन्दू मक्कल कत्छी’के (हिन्दू जनता दल के) अध्यक्ष अर्जुन संपथ !

तमिलनाडू के कोईंबतूर के श्री. अर्जुन संपथ ‘हिन्दू मक्कल कत्छी’ इस दल के संस्थापक अध्यक्ष हैं । इस संगठन के माध्यम से वे हिन्दू धर्मरक्षा का कार्य करते हैं । वे धर्मांतरित हिन्दुओं के शुद्धिकरण अभियान में सक्रिय हैं । उन्होंने अयोध्या में प्रभु श्रीराममंदिर की निर्मिति की मांग को लेकर कोईंबतूर में आंदोलन किया । वे श्रीलंका के हिन्दुओं के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं । उन्हें अमेरिका, कंबोडिया, सिंगापुर, मलेशिया आदि देशों में आयोजित हिन्दू महासभाओं में भी भाग लेने का सम्मान प्राप्त हुआ है । उन्होंने तमिलनाडू में आध्यात्मिक प्रशासन बनने हेतु समर्पित प्रयास किए हैं । उन्हें न्यूयॉर्क में ‘सैफ्रन लीडर’ (भगव नेता) के नाम से ‘हिन्दूरत्न’ पुरस्कार प्रदान कर उनके कार्य का सम्मान किया गया । वर्ष २०१८ में उनका आध्यात्मिक स्तर ६१ प्रतिशत घोषित हुआ । श्री. अर्जुन संपथ की यह एक विशेषता है कि वे गोवा में होनेवाले ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’में आरंभ से ही अर्थात वर्ष २०१२ से लेकर २०२४ तक नियमितरूप से सहभागी हुए हैं । हिन्दूसंगठन को दृढ बनाने का उनका सदैव प्रयास रहता है ।

श्री. अर्जुन संपथ

विशेष स्तंभ

छत्रपति शिवाजी महाराजजी के हिंदवी स्वराज्य के लिए मावळे (सैनिक) एवं धर्मयोद्धा द्वारा किया त्याग सर्वोच्च है, उसीप्रकार आज भी अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रप्रेमी नागरिक धर्म-राष्ट्र की रक्षा के लिए ‘धर्मयोद्धा’के रूप में कार्य कर रहे हैं । उनकी और उनके हिन्दू धर्मरक्षा के संघर्ष की जानकारी देनेवाले ‘हिन्दुत्व के धर्मयोद्धा’ इस स्तंभ द्वारा अन्यों को भी प्रेरणा मिलेगी । इन उदाहरणों से हमारे मन की चिंता दूर होगी और उत्साह निर्माण होगा ! – संपादक

१. परिचय

श्री. अर्जुन संपथ का जन्म २० अप्रैल १९६५ को हुआ । वे कोईंबतूर जिले के पोल्लाची तहसील के परियकवंदनूर गांव में पले-बढे । बचपन में वे उनके पिता के साथ पेरियार (तमिलनाडू के नास्तिक तथा हिन्दू धर्मविरोधी नेता) तथा के. कामराज की अनेक जनसभाआें में जाते थे । उश्रके पिता पेरियार के अनुयायी थे । ऐसे परिवार में श्री. अर्जुन संपथ जैसा एक हिन्दुत्वनिष्ठ नेता जन्म लेता है, यह आश्चर्यजनक है । परिवार की दुर्बल आर्थिक स्थिति के कारण वर्ष १९८२ में बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा के उपरांत उन्हें शिक्षा छोडनी पडी । उसके पश्चात उन्होंने एक निजी प्रतिष्ठान में ‘बिक्री प्रतिनिधि’ के रूप में काम किया तथा उसके उपरांत उनके पिता द्वारा चलाए जा रहे केशकर्तनालय (सलून) में काम किया । उस समय उन्होंने उनके गांव में ‘लिटिल फ्लॉवर वेल्फेयर सेंटर’ आरंभ किया, जहां विद्यालयीन शिक्षा के अतिरिक्त की शिक्षा तथा खेल आदि बाह्य बातों में बच्चों की सहायता की जाती थी । उसके अंतर्गत वे वादविवाद एवं प्रतियोगिताओं जैसे उपक्रमों का आयोजन करते थे ।

श्री. अर्जुन संपथ का यांचा सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के प्रति का भाव

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले

विरोधियों ने श्री. संपथ को जान से मारने के अनेक बार प्रयास किए । वर्ष २०१६ में उनका चौपहिया वाहन जलाया गया था । उसकी अनुभूति बताते हुए श्री. संपथ ने कहा, ‘‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की कृपा से मैं अनेक कठिन प्रसंगों से बाहर निकल पाया हूं । एक बार कुछ आतंकियों ने मेरे घर पर पेट्रोल बम फेंका थश । उस समय केवल सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की कृपा से ही हमारे प्राण बच गए । गुरुदेवजी की कृपा एवं आशीर्वाद के कारण मैं हिन्दुत्व का कार्य कर पा रहा हूं ।’’

२. हिन्दू धर्मरक्षा के कार्य में सहभाग

तमिलनाडू में पहली बार ‘घरवापसी अभियान’१८ धर्मांध दलितों ने ईसाई पंथ से हिन्दू धर्म में पुनर्प्रवेश किया ।

वर्ष १९८१ में तमिलनाडू के तिरुनेलवेली जिले के मीनाक्षीपुरम् में सहस्रों दलित हिन्दुओं ने इस्लाम पंथ का स्वीकार किया, उस समय श्री. संपथ मात्र १६ वर्ष के थे । उस समय उन्हें हिन्दू अस्मिता का अभाव प्रतीत हुआ । इस घटना के कारण हिन्दू धर्म के उद्देश्यों का पालनपोषण तथा प्रचार हेतु समर्पित संगठन का महत्त्व उनके ध्यान में आया ।

वर्ष १९८० का दशक के मध्य से लेकर वर्ष १९९३ तक संघ परिवार के सदस्य के रूप में श्री. संपथ ने अनेक अखिल भारतीय आंदोलनों में सक्रियता से भाग लिया । उन्होंने श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन, हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का आंदोलन, धर्मांतरित हिन्दुओं को वापस स्वधर्म में प्रवेश देना जैसे अनेक आंदोलनों में भाग लिया ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के कृपाशीर्वाद

 

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले

जिहादियों द्वारा विगत १० वर्षाें में तमिलनाडू में १२७ हिन्दू नेताओं की हत्याएं हुई हैं । श्री. अर्जुन संपथ जिहादियों के ‘हिटलिस्ट’ पर अग्रणी हैं तथा उन्हें जिहादियों से निरंतर जान से मारनी धमकियां मिलती हैं; परंतु तब भी अकेले वीरयोद्धा की भांति वे तमिलनाडू के जिहादियों, नास्तिकतावादियों तथा धर्मांतरणवादियों के विरुद्ध लडाई लड रहे हैं । वर्तमान में हिन्दू समाज के लिए ‘संघर्ष’ ही आशा की किरण है । श्री. अर्जुन संपथ तमिलनाडू में वीरतापूर्वक हिन्दू समाज के लिए संघर्षरत हैं । श्री. अर्जुन संपथ जैसे वीरपुरुष केवल तमिलनाडू में ही नहीं, अपितु देश के सभी राज्यों में जन्में होते, तो भारतवर्ष में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में समय नहीं लगता !

३. हिन्दूविरोधी वातावरणवाले तमिलनाडू राज्य में धर्मरक्षा का कार्य

अ. तमिलनाडू में सदैव ही देश, धर्म एवं ब्राह्मणविराषधी राज्य सरकारें सत्ता में रही हैं । वर्तमान में सत्ताधारी द्रमुक जैसे द्रविडी दल के नेता सनातन धर्म को नष्ट करने की भाषा बोल रहे हैं । ऐसे राज्य में श्री. अर्जुन संपथ का नाम तमिलनाडू के हिन्दुत्व के क्षेत्र में एक अग्रणी नाम है । कन्याकुमारी में स्थित भारतमाता की मूर्ति को ढंकने का प्रकरण हो अथवा हिन्दुओं के आस्था के केंद्रों पर होनेवाले आघात हों, श्री. संपथ ने ऐसे अनेक आघातों के विरुद्ध आवाज उठाई । इसके साथ ही चेन्नई के श्री कपालेश्वर मंदिर की मूल भूमि पर बनाया गया सैंथोम चर्चा हो, ‘जी टीवी’ पर प्रसारित ‘गॉडमन वेब सिरीज’का विवाद हो अथवा कोईंबतूर के २ मंदिरों के सामने वराह का मांस फेकने की घटना हो, इसके विरुद्ध ‘हिन्दू मक्कल कत्छी’ने आवाज उठाई है ।

आ. गोरक्षा : श्री. संपथ ने भारत में सर्वत्र गोमांस बंदी लागू की जाए, इसके लिए सदैव ही आवाज उठाई । वर्तमान वर्ष में राजनीतिक दलों तथा संगठनों के द्वारा गोमांस पार्टी का प्रचालन बढा था, उस समय उसके उत्तर के रूप में वराह के मांस के वितरण की चेतावनी दी थी ।

इ. हिन्दू संगठन : तमिलनाडू के कुछ राजनीतिक दल आर्य-अनार्य विवाद उत्पन्न कर हिन्दुओं को बांटने का निरंतर प्रयास करते रहते हैं । श्री. संपथ उसके विरोध में जनजागरण करते हैं । तमिलनाडू में सदैव ही ‘तमिली तथा हिन्दू भिन्न हैं’, यह अवधारणा फैलाने का षड्यंत्र चलता रहता है । श्री. संपथ उसके विरुद्ध हिन्दुओं को संगठित करने का कार्य करते हैं । ऐसे हिन्दूविरोधी वातावरण में श्री. संपथ धर्मरक्षा का कार्य कर रहे हैं । उसके कारण केवल तमिलनाडू के ही नहीं, अपितु श्रीलंका, इंडोनेशिया, सिंगापुर आदि देशों के हिन्दुओं को संकट में श्री. अर्जुन संपथ उनके आधार प्रतीत होते हैं ।

ई. धर्मांतरित हिन्दुओं की घरवापसी का उपक्रम : तमिलनाडऊ में हिन्दू जनसंख्या घट रही है तथा मुसलमानों की जनसंख्या बढ रही है । तमिलनाडू के कन्याकुमारी तथा अन्य कुछ जिलों में ईसाई बहुसंख्यक हाने के कारण वहां चर्च की सत्ता चलती है । वर्ष २०१५ में उनके ‘हिन्दू मक्कल कत्छी’ दल ने तमिलनाडू में पहली बार ‘घरवापसी अभियान’ (धर्मांतरित हिन्दुओं को पुनः धर्म में लेना) चलाया । उसमें १८ धर्मांध दलितों ने ईसाई पंथ से हिन्दू धर्म में पुनर्प्रवेश किया । अब तक वे ८ सहस्र से अधिक लोगों को ईसाई एवं इस्लाम पंथ से हिन्दू धर्म में वापस ले आए हैं ।

श्री. संपथ यांच्या ‘हिन्दू मक्कल कत्छी’ दल ने त्रिप्लिकेन मंदिर में १०८ लोगों की घरवापसी का कार्यक्रम आयोजित किया था । यह कार्यक्रम रोकने हेतु तमिलनाडू सरकार ने दबाव बनाने का प्रयास कर घरवापसे के अनेक इच्छुक लोगों को बलपूर्वक वापस भेजा, साथ ही पुलिसकर्मियों की नियुक्ति कर श्री. संपथ को उनके चेन्नई के घर में ही नजरबंद रखा; परंतु उसके उपरांत भी उन्होंने इस कार्यक्रम को पूर्णत्व की ओर ले जाने का प्रयास किया ।

३. ‘राष्ट्रीय एकता यात्रा’ के तमिलनाडू विभाग का नेतृत्व  

दिसंबर १९९१ से जनवरी १९९२ की अवधि में कन्याकुमारी से श्रीनगर  तक ‘राष्ट्रीय एकता यात्रा’ आयोजित की गई थी । इस यात्रा के तमिलनाडू विभाग का नेतृत्व श्री. संपथ ने किया था ।

४. श्रीलंका के तमिल भाषी हिन्दुओं पर होनेवाले अत्याचारों का विरोध 

‘श्रीलंका के तमिल भाषी लोग हिन्दू हैं । उन पर हो रहे अत्याचारों को केवल तमिल भाषी लोगों पर होनेवाले अत्याचार की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए, अपितु उनकी ओर श्रीलंका के हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के रूप में देखा जाना चाहिए’, ऐसा श्री. संपथ को सदैव ही लगा । उनके ‘हिन्दू मक्कल कत्छी’ दल ने इन अत्याचारों का तीव्र विरोध किया ।

५. बंगाल के मुर्शिदाबाद के हिन्दुओं पर होनेवाले अत्याचारों का विरोध

बंगाल में धर्मांधों ने वक्फ संशोधन कानून के विरुद्ध आंदोलन करने के नाम पर मुर्शिदाबाद जिले में ६ हिन्दुओं की हत्या की, साथ ही उनकी संपत्ति भी लूटी । इस दंगे में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनजी के तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भी दंगाईयों की सहायता की । इसके विरुद्ध हाल ही में ‘हिन्दू मत्कल कत्छी’ ने केंद्र की भाजपा सरकार से तुरंत कार्यवाही की मांग की ।

Arjun Sampath on the covering of Bharat Mata statue in Kanyakumari and how Hindus fought back

Arjun Sampath on the covering of Bharat Mata statue in Kanyakumari and how Hindus fought back. In what is becoming a routine affair, Christian Bishops run the district of Kanyakumari regardless of who is in power, he claims. Some of the diabolical methods of DMK also discussed. A must watch!


(सौजन्य : PGURUS)

६. अर्जुन संपथ की व्यष्टि एवं समष्टि साधना का धर्मकार्य पर सकारात्मक परिणाम

तमिलनाडू के संत-महात्मों के आशीर्वादे हिन्दू धर्म एवं हिन्दू समाज के लिए निस्वार्थ भावना से कार्य करनेवाले शिवोपासक श्री. अर्जुन संपथ प्रतिदिन माथे पर भस्म धारण करते हैं । वे अत्यंत प्रतिकूल स्थिति में स्वयं धर्माचरण कर हिन्दू धर्मरक्षा का कार्य कर रहे हैं । उनकी व्यष्टि एवं समष्टि साधना के कारण उनकी वाणीव में भाव एवं चैतन्य उत्पन्न हुआ है । उसका परिणाम उनके अनुयायियों पर भी होकर वे ही धर्मसेवा करने के लिए प्रेरित होते हैं । श्री. संपथ गोवा के एक अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में उपस्थित थे । अधिवेशन के उपरांत उन्होंने साधना आरंभ करने हेतु ‘स्काईप’ (संगणकीय प्रणाली से चलनेवाला सत्संग) सत्संग की मांग की । उसके उपरांत पहला ‘स्काईप सत्संग’ ‘हिन्दू मक्कल कत्छी’के कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में संपन्न हुआ । उनके कार्य के लिए ईश्वरीय अधिष्ठान होने के कारण व्यापक स्तर पर ‘हिन्दू संगठन’ एवं ‘हिन्दूजागृति’ का कार्य करना उन्हें संभव हो रहा है ।