अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पूजा स्थल (प्लेसेस ऑफ वरशिप) १९९१ कानून के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय से की मांग
नई देहली – वर्ष १९९१ के पूजास्थल (प्लेसेस ऑफ वरशिप) कानून के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय में चल रही सुनवाई के समय अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी । इस समय उन्होंने इस कानून पर आपत्ति दर्शाते हुए ‘इस कानून में १५ अगस्त १९४७ इस तिथि को ‘कट ऑफ डेट’ के रूप में सुनिश्चित किया गया है, जो असंवैधानिक है । यह कट ऑफ डेट वर्ष ७१२ होनी चाहिए; क्योंकि उस वर्ष मोहम्मद बिन कासीम ने भारत पर आक्रमण करून यहां के मंदिरों को ध्वस्त किया था’, यह मांग की । इस कानून के संदर्भ में सर्वोेच्च न्यायालय में कुल ६ याचिकाएं प्रविष्ट की गईं है तथा उन पर एकत्रित सुनवाई की जा रही है ।
🚩In a plea against the ‘Places of Worship Act 1991’, Advocate Vishnu Shankar Jain argued that the condition of temples must be restored to what they were, before the invasion of Muhammad bin Qasim.
📌Advocate @Vishnu_Jain1 further demanded that the cutoff date in the… pic.twitter.com/09BZMn4laG
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) December 6, 2024
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि,
१. हमने पूजास्थल कानून १९९१ की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है । हमारा यह कहना है कि जमियत-उलामा-ए-हिन्द द्वारा दिए गए इस कानून का यह अर्थ है कि विवादित स्थलों के संदर्भ; में किसी भी स्थिति में कोई भी न्यायालय नहीं जा सकता तथा श्रीराममंदिर को छोडकर ऐसे अन्य अभियोग प्रविष्ट करना संविधानविरोधी है ।
#WATCH | Delhi | On Places Of Worship Act Hearing In SC, Advocate Vishnu Shankar Jain says, “We have challenged the constitutional validity of the Place of Worship Act 1991. We say that the interpretation of the Place of Worship Act given by Jamiat-Ulama-I-Hind that you cannot go… pic.twitter.com/WGifnzax4R
— ANI (@ANI) December 5, 2024
२. न्यायालय जाने का लोगों का अधिकार छीननेवाला कानून बनाने का संसद को अधिकार नहीं है । यह कानून संविधान की मूलभूत संरचना का तथा अनुच्छेद १४, १५, १९ एवं २१ का उल्लंघन करनेवाला है ।
९०० मंदिरों को मिलेगा लाभ !
अधिवक्ता जैन के कहने के अनुसार देश में ऐसे ९०० मंदिर हैं, जिन्हें वर्ष ११९२ से १९४७ की अवधि में गिराया गया तथा उनकी भूमि नियंत्रण में लेकर उन्हें मस्जिदों अथवा चर्च में रूपांतरित किया गया । इनमें से जो १०० मंदिर हैं, उनका १८ महापुराणों में उल्लेख मिलता है । यदि यह कानून रद्द किया गया अथवा उनकी तिथि में परिवर्तन लाया गया, तो उससे ९०० मंदिरों की खोज करने में लाभ मिलेगा ।
संपादकीय भूमिकातत्कालिन कांग्रेस सरकार ने संसद में पूजा स्थल कानून पारित किया है । उसे संसद के द्वारा ही रद्द किया जाना आवश्यक है । उसके लिए हिन्दुओं को न्यायालय के द्वार नहीं खटखटाने चाहिएं । अतः केंद्र सरकार को इस पर निर्णय लेना आवश्यक है । उसके लिए हिन्दुओं को संगठित होकर सरकार से यह मांग कर दबाव बनाना आवश्यक है ! |