साधु-संतों के समाज में जाकर धर्मप्रसार करने से धर्मविरोधी अपप्रचार पर अंकुश लगेगा ! – पू. श्री रामबालक दासजी महात्यागी महाराज, संचालक, जामडी पाटेश्वरधाम सेवा संस्थान, छत्तीसगढ
विद्याधिराज सभागृह – युगों-युगों से भारत में संत समाज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है । संत परंपरा ने स्वतंत्रता का मार्ग समृद्ध किया । अब भी संतों के बिना हिन्दू राष्ट्र की स्थापना असंभव है । इसलिए साधु-संतों को अपने आश्रम और मठ में न बैठकर, समाज में जाकर धर्मप्रसार करना आवश्यक है । पहले संत देशभर में भ्रमण करते थे । इसलिए समाज सुदृढ था । अब वैसा न होने से समाज क्षीण हो गया है । उसे पुन: सुदृढ बनाने के लिए संतों को समाज में भ्रमण करना चाहिए । इससे धर्म और संतों के विरोध में होनेवाले दुष्प्रचार पर अंकुश लगेगा । इसके साथ ही नई पीढी भी सुसंस्कारी होगी, ऐसा मार्गदर्शन छत्तीसगढ में जामडी पाटेश्वरधाम सेवा संस्थान के संचालक पू. श्री रामबालक दासजी महात्यागी महाराज ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’के तृतीय दिन किया । वे ‘धर्मविरोधी शक्तियों द्वारा हिन्दुओं पर होनेवाले आघात और उन पर उपाय’ इस विषय पर बोल रहे थे ।
महात्यागी बालकदासजी महाराज ने कहा, ‘‘संत समाज को विशेषरूप से आदिवासी क्षेत्रों में जाना चाहिए । आदिवासी धार्मिक होते हैं । वे श्रद्धालु होते हैं । साधु- संतों का आदर-सत्कार करते हैं । अब तक केवल मुसलमान और ईसाई समाज इनकी ओर वोटबैंक के रूप में देख रहा था । उसके लिए उन्हें हिन्दू धर्म, संत और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के विरोध में भडकाया जा रहा था । उन्हें ऐसा कहकर कि वे हिन्दू नहीं, उन्हें हमारे ही विरोध में खडा किया जा रहा है । यह बात धर्मांतरण और लव जिहाद से भी अधिक भयानक है । इसलिए हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को आदिवासी समाज से सतत संपर्क में रहना चाहिए ।
अपनी मां-बहन की रक्षा के लिए ‘हिन्दू सेवा क्षेत्रों’ की निर्मिति करें ! – वीरेंद्र पांडेय, संस्थापक, शूरवीर उपक्रम
रामनाथी – आज अनेक हिन्दू नौकरी अथवा काम-धंधों के निमित्त गांव छोडकर शहरों में स्थायीरूप से रहने लगे हैं । इसके साथ ही वे अपने परिवारवालों को भी अपने साथ ले गए हैं । शहरों में वे किसी सदनिका (फ्लैट) में अपनी पत्नी, बहन, छोटे बच्चों के साथ रहते हैं । घर में अकेला कमानेवाला पुरुष नौकरी-व्यवसाय के लिए दिनभर बाहर रहता है । तब घर में किसी मरम्मत के लिए आनेवाला कारीगर (मैकेनिक) अधिकतर मुसलमान होता है । घर में आनेवाला यह मुसलमान मैकेनिक धीरे-धीरे घर के सदस्यों से निकटता साधता है और फिर एक दिन वह उस व्यक्ति की पत्नी अथवा बहन के साथ अश्लील व्यवहार आरंभ कर देता है । धर्मांधों से होनेवाला यह संभाव्य धोखा रोकने के लिए और अपनी मां-बहन की रक्षा के लिए हिन्दू कारीगरों को तैयार करना आवश्यक है । उसके लिए हमें ‘हिन्दू सर्विस सेक्टर’ (हिन्दू सेवा क्षेत्र) निर्माण करने चाहिए, ऐसे विधान शूरवीर उपक्रम के संस्थापक वीरेंद्र पांडेय ने यहां किए । वे ‘हिन्दू इकोसिस्टम : शूरवीर उपक्रमों की संकल्पना’ इस विषय पर बोल रहे थे ।
वीरेंद्र पांडेय आगे बोले, ‘आज समाज का प्रत्येक सेवा क्षेत्र मुसलमानों के नियंत्रण में जा रहा है । इस माध्यम से मुसलमानों ने हलाल अर्थव्यवस्था समान ही एक बडी ‘कैश अर्थव्यवस्था’ निर्माण की है । यह धनराशि जिहाद और आतंकवादी कार्रवाईयों के लिए उपयोग की जाती है । इस कैश अर्थव्यवस्था को नियंत्रण में लाने के लिए हिन्दुओं को काम दें । यदि कोई सेवाक्षेत्र अपने हाथों से चला गया, तो पुन: वह अपने हाथों में कभी नहीं आएगा ।
मंदिरों की स्वच्छता के माध्यम से नए युवक धर्मकार्य से जुड गए ! – चक्रवर्ती सुलीबेले, संस्थापक अध्यक्ष, युवा ब्रिगेड, कर्नाटक
विद्याधिराज सभागृह – युवकों को आकर्षित करने हेतु राष्ट्रप्रेम जागृत करनेवाले गीत तैयार किए । फिर ये गाने हमने महाविद्यालयों में लगाकर सुनवाए । इससे अनेक लडके राष्ट्रकार्य से जुड गए हैं । हिन्दू धर्मप्रेमी गांवों में भी हमने इस प्रकार के गीत सुनवाए । इस कारण हिन्दुओं में संगठन बढ गया । कर्नाटक के मंदिरों के तालाब स्वच्छ करने का अभियान हमने चलाया । इसके अंतर्गत २५० से अधिक तालाबों की स्वच्छता की । इससे मंदिरों में आनेवाले भक्तों की श्रद्धा बढी । अगले चरण में हमने नदियों की स्वच्छता का अभियान चलाया । इसके अंतर्गत कर्नाटक की ९-१० नदियों की स्वच्छता हुई ।
Few more slides of programs organised by @yuva_brigade to motivate youth and direct them for the cause of Rashtra and Dharma
Vaishvik Hindu Rashtra Mahotsav I Goa
हिन्दू राष्ट्र pic.twitter.com/ItzLtrxc2b
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) June 26, 2024
नदियों की स्वच्छता के कार्य में स्थानीय हिन्दू भी सम्मिलित हुए । नदियों की स्वच्छता के उपरांत वहां आरती आरंभ की । वर्तमान में कर्नाटक के ५-६ नदियों पर प्रति वर्ष आरती हो रही है । इन नदियों की स्थानीय हिन्दुओं द्वारा स्वच्छता की जा रही है । तदुपरांत हमने मंदिरों की स्वच्छता आरंभ की । मंदिरों की स्वच्छता अभियान से अनेक नवयुवक धर्मकार्य से जुड गए हैं । हिन्दू धर्म की आलोचना करनेवाले एक नेता के क्षेत्र में हमने ‘मैं हूं हिन्दू’ नामक सभा का आयोजन किया । इस सभा में सहस्रों हिन्दू एकत्र हुए, ऐसी जानकारी कर्नाटक के युवा ब्रिगेड के संस्थापक अध्यक्ष श्री. चक्रवर्ती सुलीबेले ने ‘हिन्दुत्व के कार्य में युवकों को कैसे आकर्षित किया जाए ?’ विषय पर बोलते समय दी ।
हिन्दू व्यावसायिकों का सबलीकरण करने के लिए ‘हिन्दू इकॉनॉमिक फोरम’की स्थापना ! – श्री. दीपक राजगोपाल, राष्ट्रीय कोषाधिकारी, विश्व हिन्दू परिषद
विद्याधिराज सभागृह – पूर्वकाल में भारत विविध देशों से व्यापार करता था । उस समय किसी भी आधुनिक तंत्रज्ञान के न होते हुए भी भारत की सकल राष्ट्रीय उत्पन्न २८ प्रतिशत थी । भारत के उत्पादों की विदेश में बिक्री की जाती थी । आज हिन्दुओं के अनेक व्यवसाय अन्य पंथियों के नियंत्रण में जा रहे हैं । उसे रोकने के लिए विश्व हिन्दू परिषद ने ‘हिन्दू इकॉनॉमिक फोरम’की स्थापना की । इस फोरम के माध्यम से हिन्दू व्यावसायिकों का संगठन होने से उनका सबलीकरण होता है । ‘हिन्दू इकॉनॉमिक फोरम’ ५६ देशों में कार्यरत है और अब तक फोरम के १० देशों में परिषदें संपन्न हुई हैं । उनमें अनेक बडे उद्योगपति सम्मिलित हुए हैं, ऐसी जानकारी विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय कोषाधिकारी श्री. दीपक राजगोपालजी ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’में तीसरे दिन दी । वे ‘हिन्दू संगठनों में हिन्दू एकता की आवश्यकता’ इस विषय पर बोल रहे थे ।
उन्होंने कहा, ‘‘गांव में रहनेवाले हिन्दू छोटे व्यवसाय करते हैं । उन्हें आगे लेकर जाना चाहिए । इसके साथ ही उनके व्यवसायों को प्रोत्साहन देना चाहिए । फोरम की ओर से प्रत्येक उद्योगक्षेत्र में हिन्दू गुट बनाया गया है । उनकी महीने में एक बार बैठक होती है । इस बैठक के माध्यम में उनका व्यावसायिक लेन-देन होता है । उससे उनके व्यवसाय में भारी मात्रा में वृद्धि हुई है । इसीप्रकार अन्य जिलों में भी व्यावसायिकों के संगठन बनाकर, हिन्दुओं के व्यवसाय हिन्दुुओं के पास ही कैसे रहेंगे, इसके लिए प्रयत्न होना आवश्यक है । कबाड क्षेत्र का कारोबार (टर्नओवर) बहुत है , यह ध्यान में रखते हुए फोरम की ओर से ‘हिन्दू एकॉनॉमिक फोरम स्क्रैप कमिटी’ बनाई गई है । उस माध्यम से हिन्दू युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें यह व्यवसाय करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है । इसके साथ ही ‘रियल इस्टेट समिति’ बनाई गई है ।’’