SC On Acts For WOMEN : महिलाओं के लिए बने कानून पतियों के शोषण के लिए नहीं ! – सर्वोच्च न्यायालय

नई दिल्ली – महिलाओं को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उनके लिए बनाए गए कानून उनके कल्याण के लिए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इनका उद्देश्य पति को धमकाना, उन पर वर्चस्व रखना या शोषण करना नहीं है। इस बार सर्वोच्च न्यायालय ने एक जोडे के विवाह- विच्छेद के प्रकरण का निर्णय करते हुए पति को अंतिम समझौते के निर्णय पर अलग रह रही पत्नी को स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में १२ करोड रुपये देने का आदेश दिया।

हिन्दू विवाह कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं है !

प्रकरण की सुनवाई के समय पत्नी ने दावा किया था कि पति के भारत समेत अमेरिका में कई व्यवसाय हैं । उनके पास ५ हजार करोड रुपये की संपत्ति है । पहली पत्नी से अलग होने के बाद उन्होंने उन्हें ५०० करोड रुपये गुजारा भत्ता दिया था।

न्यायालय ने कहा कि पति अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के आधार पर अलग हो रही पत्नी को अनिश्चित काल तक गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य नहीं हो सकता। हिंदू विवाह कोई व्यावसायिक उपक्रम नहीं है बल्कि इसे परिवार की नींव के रूप में देखा जाता है। गुजारा भत्ता अलग रह रहे पति-पत्नी को आर्थिक रूप से समान स्तर पर लाने का साधन नहीं है। गुजारा भत्ता का नियम इसलिए किया गया है ताकि आश्रित महिला योग्य पद्धति से अपना जीवन व्यतीत कर सके।