नवसंवत्सर के अवसर पर सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी का संदेश

‘सनातन धर्म के जागरण के लिए अब पहले से कहीं अधिक अनुकूल समय है ।’ इसका एक उदाहरण यह है कि इस वर्ष १४४ वर्ष उपरांत आए प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के महाकुंभ मेले में ६६ करोड हिन्दुओं ने गंगा स्नान किया । इसका अर्थ यह है कि सनातन धर्म पर गर्व करनेवाले भारत के ५० प्रतिशत हिन्दुओं ने गंगा में स्नान किया । यह सनातनी हिन्दुओं के बीच जागरूकता का उच्चतम समय है ।
वर्तमान में हिन्दू धर्म के आधारस्तंभ जैसे सनातन धर्म, संस्कृति, धर्मग्रंथ, कालक्रम, संस्कृत, गौमाता, गंगा, मंदिर आदि संकट में हैं । यदि हम वास्तव में भारत पर छाई धर्मग्लानि को हटाना चाहते हैं, तो इसका एकमात्र स्थायी समाधान यही है कि धर्मनिरपेक्ष भारत में सनातन धर्म पर आधारित राज्य व्यवस्था बनाई जाए । इसलिए, जागरूक हो रहे हिन्दुओं में संवैधानिक धर्मनिरपेक्षता के कारण भारत और सनातन धर्म की हो रही अत्यधिक अधोगति के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना और उन्हें वर्तमान धर्मनिरपेक्ष भारत में ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना के लिए प्रेरित करना आवश्यक है; इसलिए हिन्दुओ, सनातन धर्मशास्त्र के अनुसार साढे तीन मुहूर्तों में से एक चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (३० मार्च २०२५) की युगादि तिथि पर, भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु कटिबद्ध हो जाओ !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था (२६.२.२०२५)