NCERT History Textbook : देश के सामने सच्चाई रखने के लिए इतिहास की पुस्तकों का पुनर्लेखन आवश्यक !

हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने एन्.सी.ई.आर्.टी. को पत्र लिखकर की मांग !

ठाणे – अत्याचारी इस्लामी आक्रांताओं को ‘अच्छे’ तथा ‘कार्यक्षम’ राजा के रूप में प्रस्तुत करनेवाला तथा देश के मूल नागरिकों में (हिन्दुओं में) ‘दोय्यम नागरिक’की भावना उत्पन्न करनेवाले इतिहास के एकतरफा चित्रण में तत्काल परिवर्तन किया जाए, उसके साथ ही देश के नागरिकों के सामने सच्चाई रखने के लिए इतिहास की पुस्तकों का पुनर्लेखन किया जाए, यह महत्त्वपूर्ण मांग हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने की है । परिषद ने कुछ दिन पूर्व ‘राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद’ के (एन्.सी.ई.आर्.टी. के) निदेशक को पत्र लिखकर यह मांग की है । हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने इसके संदर्भ में ‘सनातन प्रभात’को जानकारी दी ।

१. हिन्दू विधिज्ञ परिषद के कुछ सदस्यों ने ‘एन्.सी.ई.आर्.टी.’ के जालस्थल पर प्रकाशित इतिहास के कुछ क्रमिक पुस्तकों का अध्ययन करने पर उनमें भारतीय नागरिकों की दृष्टि से इतिहास का उचित चित्रण नहीं किया गया है, यह बात उनके ध्यान में आई । इसमें इस्लामी आक्रांताओं द्वारा किए गए अमानवीय एवं नृशंस अत्याचारों को छिपाने का प्रयास किया गया है । इस्लामी आक्रांताओं को इस प्रांत के ‘कार्यक्षम प्रशासक तथा शासक’ के रूप में दिखाया गया है ।

२. महत्त्वपूर्ण बात यह कि इतिहास की पुस्तकों में इन इस्लामी जंगली राजकर्ताओं द्वारा हिन्दुस्थान के लोगों पर थोपी गई धार्मिक धर्मांधता का कहीं भी उल्लेख नहीं है । इन पुस्तकों में इस्लामी राजकर्ताओं के स्वयं के पिता की हत्या करना अथवा उन्हें कारागृह में डाल देना, स्वयं के भाई की अमानवीय हत्या करना तथा बलपूर्वक स्वयं को सम्राट नियुक्त करने जैसे दुष्कृत्यों का कहीं भी उल्लेख नहीं है ।

अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर

३. इन क्रमिक पुस्तकों में इतिहास के कुछ अयोग्य वर्णन के कुछ निम्न उदाहरण हैं –

अ. ७ वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की क्रमिक पुस्तक में ‘संरक्षित लोगों’ की झूठी कथाओं का वर्णन किया गया है । इसी क्रमिक पुस्तक में चंगेज खान एवं तैमूल को ‘महान’ बताया गया है । ‘मुगल दो महान राजवंशों के वंशज थे’ – चंगेज खान के वंशज उनकी माता के पक्ष में थे, जबकि तैमूर के उत्तराधिकारी पिता के पक्ष में थे । क्या किसी भारतीय को चंगेज खान तथा तैमूर को किस अर्थ से ‘महान’ घोषित करने की आवश्यकता है ?

आ. इस पुस्तक के आंठवे अध्याय में छत्रपति शिवाजी महाराज का अयोग्य चित्रण किया गया है । यह अध्याय छत्रपति शिवाजी महाराज का संदर्भ देता है; परंतु बहुत ही औपचारिकता से ! इस अध्याय में मुगलों के अत्याचारों के विषय में अथवा स्वदेशी लोगों पर थोपी गई इस्लामी विकृतियों के विषय में कुछ भी नहीं है ।

इ.  इस प्रकार से इस पुस्तक में इतिहास का वास्तविक चित्रण करने के स्थान पर मुगलों तथा पूर्व के इस्लामी राजकर्ता (सभी जंगली) धर्मनिरपेक्ष तथा पराक्रमी थे, इस प्रकार से झूठा चित्रण किया गया है ।

हिन्दू विधिज्ञ परिषद द्वारा एन्.सी.ई.आर्.टी. को लिखा गया पत्र –

४. हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने यह मांग की है कि इतिहास के विषय में इस झूठी जानकारी में परिवर्तन करने के लिए ‘एन्.सी.ई.आर्.टी.’ आवश्यक कदम उठाए ।

संपादकीय भूमिका 

विगत साढेदस वर्षों से केंद्र में हिन्दुत्वनिष्ठ भाजपा के सत्ताकाल में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ बनाने का महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया; परंतु अब उसके आगे जाकर आक्रांताओं का महिमामंडन करनेवाला इतिहास मिटाकर युवा पीढी को हिन्दू राजाओं के शौर्य के पाठ पढाने आवश्यक हैं । हिन्दू विधिज्ञ परिषद द्वारा की गई इस मांग के लिए उनका अभिनंदन !! हिन्दू समाज को इस मांग को व्यापक समर्थन देना आवश्यक !