सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

अद्वितीय ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

‘सनातन प्रभात के ३० प्रतिशत लेख साधना से संबंधित होते हैं। इससे पाठकों का अध्यात्म से परिचय होता है तथा कुछ लोग साधना करना आरंभ कर जीवन सार्थक करते हैं। इसके विपरीत, अधिकांश अन्य सभी नियतकालिकों में एक प्रतिशत लेख भी साधना संबंधी न होने के कारण, पाठकों को उनका वास्तविक अर्थ में लाभ नहीं होता।’


‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ के विषय में उचित दृष्टिकोण !

‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में मैं सहायता करूंगा’, ऐसा दृष्टिकोण न रखें; अपितु यह मेरा ही कार्य है, ऐसा दृष्टिकोण रखें ! ऐसा दृष्टिकोण रखने पर कार्य अच्छे से होता है और स्वयं की भी (आध्यात्मिक) प्रगति होती है।’


कहां राष्ट्रप्रमुख, और कहां ऋषि-मुनि !

‘स्वतंत्रता से लेकर अभी तक हुए कितने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम लोगों को पता हैं ? इसके विपरीत, ऋषि-मुनियों के नाम सहस्रों वर्षों से ज्ञात हैं !’


अद्वितीय हिन्दू धर्म !

‘ईसाई धर्मांतरण के लिए प्रलोभन देते हैं, मुसलमान धमकाते हैं; परंतु हिन्दू धर्म के ज्ञान के कारण अन्य पंथी हिन्दू धर्म की ओर स्वयं आकर्षित होते हैं।’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवले