रशिया में शक्कर की खरीद को लेकर हो रहे हैं झगडे !
रशिया और युक्रेन के युद्ध के कारण रशिया पर लगाए प्रतिबंधों का परिणाम !
रशिया और युक्रेन के युद्ध के कारण रशिया पर लगाए प्रतिबंधों का परिणाम !
किसी को पहले लडने के लिए प्रोत्साहित करना और बाद में प्रत्यक्ष युद्ध चालू होने के बाद उसे सहायता न करते हुए मरने के लिए छोडकर उसका विश्वासघात करना, ऐसा भारत ने कभी नहीं किया, भारत ने बायडेन को यह सुनाना चाहिए !
रूस को चाहिए कि चर्चा हेतु शीघ्र सिद्ध हो, साथ ही युक्रेन को प्रादेशिक अखंडता तथा न्याय प्राप्त होने हेतु प्रयास होने चाहिए, युक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमिर जेलेंस्की ने रूस से ऐसा आवाहन किया है ।
भारत ने पाश्चात्य देशों को रूस से तेल खरीद ने के संदर्भ में खडे बोल सुनाए हैं । भारत ने कहा है,‘ तेल संपन्न देश अथवा रूस से तेल की आयात करनेवाले देश प्रतिबंधात्मक व्यापार का समर्थन नहीं कर सकते ।
देश के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित लिविव शहर के पास हवाई जहाज की देखभाल हेतु स्थापित संस्थानों पर रूस ने मिसाईलों की जोरदार बौछार की है, बीबीसी ने ऐसा वृत्त प्रसारित किया है ।
जागतिक विमान आस्थापन ‘डेल्टा एअरलाइन्स को आशंका है कि, रूस और युक्रेन में चल रहे युद्ध के कारण बढ रहीं तेल कि मूल्यों से विमान यात्रा १० प्रतिशत महंगी हो सकती हैं ।
अमेरिका स्वयं के स्वार्थ के लिए किसी भी देश की अन्तर्गत समस्याओं में हस्तक्षेप करके वहां कि परिस्थितियों को बिगाडती है । स्वयं का स्वार्थ सिद्ध करने हेतु कुछ भी करनेवाली अमेरिका को, ‘भारत को क्या करना है और क्या नहीं करना’, यह बताने की आवश्यकता नहीं हैं !
हमने चीन से सहायता नहीं मांगी नहीं है ! – रूस का स्पष्टीकरण
मॅक्रॉन ने आगे कहा,‘ इस युद्ध के कारण तथा उसके परिणाम स्वरूप उभरने वाले पेंच प्रसंगों के परिणाम लंबे समय तक चलेंगे ।
संस्कृत वचन ‘युद्धस्य कथा रम्यः ।’ की सार्थकता वर्तमान में संपूर्ण संसार के श्रोता एवं पाठक अनुभव कर रहे हैं । रूस-यूक्रेन युद्ध के निमित्त संपूर्ण संसार में चर्चा हो रही है कि यह युद्ध तृतीय संभावित विश्वयुद्ध का प्रारंभ तो नहीं है । युद्ध में भारत की तटस्थ विदेश नीति और यूक्रेन में रहनेवाले … Read more