सूर्यनमस्कार करना

सूर्य की कोमल किरणों में पूर्व की ओर मुख कर सूर्यनमस्कार करें ।

१. सूर्यनमस्कार का महत्त्व

आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने ।
जन्मान्तरसहस्रेषु दारिद्र्यं नोपजायते ।।

अर्थ : जो लोग सूर्य को प्रतिदिन नमस्कार करते हैं, उन्हें सहस्रों जन्म दरिद्रता प्राप्त नहीं होती ।

२. सूर्यनमस्कार के सम्भावित लाभ

अ. सभी महत्त्वपूर्ण अवयवों में रक्तसंचार बढता है ।

आ. हृदय एवं फेफडों की कार्यक्षमता बढती है ।

इ. बाहें एवं कटि (कमर) के स्नायु बलवान हो जाते हैं ।

ई. कशेरुक एवं कटि (कमर) लचीली बनती है ।

उ. पेट के पास की वसा (चरबी) घटकर भार मात्रा (वजन) अल्प होती है ।

ऊ. पाचनक्रिया में सुधार होता है ।

ए. मन की एकाग्रता बढती है ।

३. सूर्यनमस्कार के समय की जानेवाली श्वसनक्रियाओंका अर्थ

१. पूरक अर्थात दीर्घ श्वास लेना

२. रेचक अर्थात दीर्घ श्वास छोडना

३. कुंभक अर्थात श्वास रोककर रखना । अन्तर्कुंभक अर्थात श्वास भीतर लेकर उसे रोकना एवं बहिर्कुंभक अर्थात श्वास बाहर छोडकर रुकना

४. सूर्यनमस्कार के समय किए जानेवाले विविध नामजप

१. ॐ मित्राय नमः । २. ॐ रवये नमः ।

३. ॐ सूर्याय नमः । ४. ॐ भानवे नमः ।

५. ॐ खगाय नमः । ६. ॐ पूष्णे नमः ।

७. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः । ८. ॐ मरिचये नमः ।

९. ॐ आदित्याय नमः । १०. ॐ सवित्रे नमः ।

११. ॐ अर्काय नमः । १२. ॐ भास्कराय नमः ।

१३. ॐ श्री सवितृसूर्यनारायणाय नमः ।

५. सूर्यनमस्कार करने की पद्धति

कुल दस योग की स्थितियां मिलकर एक सूर्यनमस्कार बनता है । प्रत्येक सूर्यनमस्कार के आरम्भ में क्रमश: ‘ॐ मित्राय नमः ।’ इस प्रकार क्रमश: एक-एक नाम लेकर सूर्यनमस्कार करें तथा अन्त में ‘ॐ श्री सवितृसूर्यनारायणाय नमः ।’ इस समालोचनात्मक नामजप का उच्चारण करें ।