बुद्धिवादियो, यह ध्यान में रखो !
‘संसार में चमत्कार जैसा कुछ नहीं होता । सबकुछ ईश्वर की इच्छा, अनिष्ट शक्तियां एवं प्रारब्ध के अनुसार होता है; परंतु यह बुद्धिवादियों को समझ में नहीं आता !’
विवाह के उपरांत भी मायके का उपनाम लिखकर हिन्दू संस्कृति में दूसरे से एकरूप होने का तत्त्व नकारनेवाली स्त्रीमुक्ति नहीं चाहिए !
‘विवाह के उपरांत स्त्री को अपने नाम के साथ ससुराल का उपनाम लिखने की प्राचीन परंपरा हिन्दू संस्कृति में है । आजकल आधुनिकता के प्रभाव में रहनेवाली कुछ महिलाएं स्त्रीमुक्ति के नाम पर मायके एवं ससुराल दोनों के उपनाम लिखती हैं । ‘स्व को त्यागकर दूसरे में विलीन होना’, हिन्दू धर्म का मूलभूत सिद्धांत है । प्राचीन परंपरा के अनुसार विवाह के उपरांत लडकी को ससुराल का उपनाम लिखने के पीछे का उद्देश्य था, ‘वह ससुराल के परिवार में विलीन हो जाए ।’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले