सनातन के बालसाधक कु. बी. चैतन्य कृष्णा को ‘जूनियर समूह’ के एक इवेंट में रजत पदक प्राप्त

‘टाटा स्टील’ की ओर से ४ फरवरी को ‘हॉर्स राइडिंग शो’ का आयोजन किया गया था । इसमें सनातन के ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त बालसाधक कु. बी. चैतन्य ने ‘जूनियर समूह’ के एक इवेंट में रजत पदक प्राप्त किया ।

उच्च लोकों से पृथ्वी पर जन्मे दैवीय बालक, साथ ही कुमार एवं किशोर आयु के साधकों में आनेवाले परिवर्तन तथा उनकी गुणविशेषताओं को प्रतिवर्ष लिखित स्वरूप में ‘जिला समन्वयकों’ को भेजें !

‘हिन्दू राष्ट्र’ को आगे चलाने हतेु ईश्वर ने ‘दैवीय बालकों’ का प्रयोजन किया है । ये दैवीय जीव उच्च स्वर्गलोक से लेकर महर्लाेक जैसे उच्च लोकों से पृथ्वी पर जन्मे हैं, जबकि कुछ जीव जनलोक से इस भूतल पर जन्मे हैं ।

प्रत्येक सेवा परिपूर्ण पद्धति से करनेवाली तथा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति दृढ श्रद्धा रखनेवालीं सनातन की ८४ वीं (समष्टि) संत पू. (श्रीमती) सुनीता खेमकाजी !

सनातन संस्था से संपर्क होने पर मन में बिना कोई शंका लिए उन्होंने किस प्रकार सभी सेवाएं परिपूर्ण पद्धति से की, गुरुदेवजी से उनका पहली बार मिलना, उस समय उनके द्वारा अनुभव किए गए भावक्षणों, गुरुदेवजी की प्रति उनकी दृढ श्रद्धा तथा साधना करते समय उन्हें प्राप्त अनुभूतियां देखनेवाले हैं ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित ग्रंथों में समाहित लेखन के प्रकार ‘मेरे द्वारा संकलित ग्रंथों में निम्न ३ प्रकार का लेखन है –

साधना आरंभ करने पर ‘ध्यान से उत्तर मिल सकते हैं’, यह ज्ञात होने पर मैं मेरी अधिकतर शंकाओं के उत्तर ध्यान से प्राप्त करता था । उसके कारण सूक्ष्म स्तर का वह ज्ञान पृथ्वी पर उपलब्ध किसी भी ग्रंथ में नहीं है ।

साधना के विषय में उपयुक्त दृष्टिकोण !

‘साक्षित्व की अवस्था विलक्षण विलोभनीय है । यहां शुद्ध विश्राम है तथा परम विश्राम है । विभिन्न योनियों से भटककर परिश्रांत बना ऐसा जीव, जिस समय इस साक्षित्व की दशा को प्राप्त होता है, उस समय उसका संसार भ्रमण रुक जाता है