दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के रूप में मानो पांचवां वेद निर्माण कर समाज पर बहुत बडा उपकार करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ! – श्री. चंद्रकांत (भाई) पंडित, अध्यक्ष, गोमंतक मंदिर महासंघ, गोवा.

परात्पर गुरु डॉक्टरजी स्वयं की देह की चिंता किए बिना ‘हम समस्त हिन्दुओं की रक्षा हो और हमारा देश अखंड एवं बलशाली बने’, इसके लिए प्रयासरत हैं । ‘केवल हमारे देश में ही नहीं, अपितु समस्त विश्व में ही हिन्दू राष्ट्र आए अर्थात रामराज्य आए’, इसके लिए वे प्रयास करते हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा आरंभ किए गए ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक अपने लक्ष्य के अनुसार हिन्दू राष्ट्र की दिशा में अग्रसर होने की साधक को हुई प्रतीति !

केवल व्यावसायिकता, शीर्ष तक पहुंचने की स्पर्धा, आर्थिक घोटाले, एक-दूसरे पर हावी होनेवाली सामाजिक संस्थाएं और नियतकालिक आदि किस प्रकार के कार्यकर्ता तैयार करते हैं, इस पर उन्हें विचार करना चाहिए । सृजनात्मक लक्ष्य लेकर कार्यरत ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिकों में सेवा करने से आज हम व्यवसाय करते समय भी सामाजिक भान रखकर आचरण कर पा रहे हैं ।

वाराणसी में धर्मप्रेमियों द्वारा प्रवचन का आयोजन

वाराणसी (उ.प्र.) – यहां के कालिका धाम कपसेठी में धर्मप्रेमी श्री. विपिन शर्मा और श्री. किशन शर्मा ने अपने परिवार व मित्रों के लिए एक प्रवचन का आयोजन किया । हिन्दू जनजागृति समिति के वाराणसी समन्वयक श्री. राजन केशरी ने राष्ट्र और धर्म की वर्तमान स्थिति के विषय में बताया । विषय सुनने के उपरांत … Read more

झारखंड, बंगाल, ओडिशा तथा पूर्वाेत्तर भारत के राज्यों में दत्त जयंती के अवसर पर ‘ऑनलाइन विशेष सत्संग एवं सामूहिक नामजप’ का आयोजन

दत्त जयंती के निमित्त बिहार राज्य के सोनपुर, समस्तीपुर, पटना, मुजफ्फरपुर तथा उत्तरप्रदेश में भदोही, वाराणसी में दत्त के विषय में सनातन संस्था द्वारा ऑनलाइन प्रवचन लिए गए । इसका लाभ अनेक जिज्ञासुओं ने लिया । ‘श्री गुरुदेव दत्त’ का सामूहिक नामजप किया गया ।

बुद्धि, उसकी निर्भरता एवं उत्पत्ति की सीमा

सर्वाेत्तम शिक्षा क्या है ? पू. डॉ. शिवकुमार ओझाजी (आयु ८७ वर्ष) ‘आइआइटी, मुंबई’ में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी प्राप्त प्राध्यापक के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, संस्कृत भाषा इत्यादि विषयों पर ११ ग्रंथ प्रकाशित किए हैं । उसमें से ‘सर्वाेत्तम शिक्षा क्या है ?’ नामक हिंदी ग्रंथ का विषय यहां प्रकाशित … Read more

‘निर्विचार’, ‘ॐ निर्विचार’ और ‘श्री निर्विचाराय नमः’ इन नामजपों का तुलनात्मक अध्ययन

‘निर्विचार’, ‘ॐ निर्विचार’ और ‘श्री निर्विचाराय नमः’ इन नामजपों में ‘श्री निर्विचाराय नमः’ नामजप में शांति के स्पंदन सबसे अल्प (१० प्रतिशत) तथा ‘ॐ निर्विचार’ नामजप में शांति के स्पंदन सबसे अधिक (२० प्रतिशत) है । शांति के स्पंदनों द्वारा नामजप का निर्गुण स्तर निश्चित होता है । नामजप में जितने शब्द अल्प, उतना उनके निर्गुण स्तर में वृद्धि होती है ।

प्रेमभाव, लगन आदि विविध गुणों के कारण जिज्ञासुओं को साधना हेतु प्रेरित करनेवालीं वाराणसी की श्रीमती सुमती सरोदे (आयु ६० वर्ष) ने प्राप्त किया ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर !

निरंतर सेवारत रहनेवालीं, प्रेमभाव एवं लगन आदि विविध गुणों के कारण जिज्ञासुओं को साधना के लिए प्रेरित करनेवालीं मूलतः महाराष्ट्र के वर्धा की, परंतु वर्तमान में वाराणसी में पूर्णकालीन सेवा करनेवालीं सनातन की साधिका श्रीमती सुमती सरोदे ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हुईं ।

भोलापन, प्रीति और उत्कट राष्ट्र तथा धर्म प्रेम से युक्त फोंडा, गोवा के सनातन के संत पू. लक्ष्मणजी गोरेजी के सम्मान समारोह के प्रमुख सूत्र

६ दिसंबर २०२१ के दिन भोलापन, प्रीति और उत्कट राष्ट्र तथा धर्म प्रेम से युक्त फोंडा, गोवा के सनातन के ८० वर्षीय साधक श्री. लक्ष्मण गोरे सनातन के ११४ वें व्यष्टि संतपद पर विराजमान हुए । श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने पू. गोरेजी के संतत्व के विषय में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का संदेश पढकर सुनाया ।