१. परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी सामान्य व्यक्तित्व प्राप्त त्रिकालदर्शी महापुरुष हैं !
१ अ. परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के दर्शन होने पर उनके स्थान पर श्रीकृष्ण दिखाई देना और ‘वे साक्षात श्रीकृष्ण के अवतार हैं’, ऐसा लगना : ‘दैनिक ‘सनातन प्रभात’ की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हार्दिक शुभकामनाएं ! इस दैनिक के विषय में बोलने से पूर्व मुझे इस दैनिक के निर्माता परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के विषय में बोलना है । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के दर्शन होने पर मुझे उनके स्थान पर साक्षात श्रीकृष्ण दिखाई दिए । तब मुझे ‘वे साक्षात श्रीकृष्णजी के अवतार हैं’, ऐसा लगता । ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, अपितु वे असामान्य व्यक्तित्व प्राप्त त्रिकालदर्शी महापुरुष हैं’, यह मैंने समझ लिया । ‘मुझे उनके दर्शन हुए’, यह मैं अपना सौभाग्य मानता हूं ।
१ आ. ‘संपूर्ण विश्व में रामराज्य आए’, यह उदात्त स्वप्न देखनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ! : परात्पर गुरु डॉक्टरजी स्वयं की देह की चिंता किए बिना ‘हम समस्त हिन्दुओं की रक्षा हो और हमारा देश अखंड एवं बलशाली बने’, इसके लिए प्रयासरत हैं । ‘केवल हमारे देश में ही नहीं, अपितु समस्त विश्व में ही हिन्दू राष्ट्र आए अर्थात रामराज्य आए’, इसके लिए वे प्रयास करते हैं । ‘भारत हिन्दू राष्ट्र बने’, यह परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का स्वप्न और इच्छा भी है । यह उनकी इच्छा होने के कारण हिन्दू राष्ट्र का प्रातःकाल निश्चित रूप से होगा !
१ इ. परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा दैनिक ‘सनातन प्रभात के माध्यम से ‘हिन्दू राष्ट्र’ आना समय की मांग है’, इसे समाजमन पर अंकित किया जाना : परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के माध्यम से ‘हमारे देश में बडी मात्रा में हो रही घुसपैठ, फैला हुआ नक्सलवाद, आतंकवाद, गोहत्या, लव जिहाद और ‘बिलिवर्स’ के प्रकरण’, इनव्हर्स’ के प्रकरण’, इन सभी घटनाओं से समाज को अवगत कराया है । इन आघातों से बचने का ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना’ ही एकमात्र विकल्प है, यह उन्होंने दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के माध्यम से दिखा दिया ।
१ ई. विश्व में हिन्दुओं का एक भी राष्ट्र नहीं है, इसके प्रति खेद प्रतीत कर ‘भारत एक हिन्दू राष्ट्र बने’, इसके लिए प्रयासरत परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ! : विश्व में ईसाईयों, मुसलमानों, ज्यूओं अथवा बौद्धों के स्वतंत्र राष्ट्र हैं; परंतु १०० करोड हिन्दुओं का एक भी राष्ट्र नहीं है । हिन्दुस्थान की समस्त जनता को और हिन्दू शासकर्ताओं को इसका कोई दुख नहीं है; परंतु परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को इसका दुख है । ‘हिन्दुस्थान के प्रत्येक हिन्दू की रक्षा के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’, तो समय की मांग होने की बात उन्होंने दैनिक ‘सनातन प्रभात’के माध्यम से हिन्दुओं के मन पर अंकित की । यह उनका स्वप्न है, यह उन्होंने हमें दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के माध्यम से दिखा दिया है ।
२. दैनिक ‘सनातन प्रभात’ अर्थात मानो पांचवां वेद ही है !
२ अ. परशुरामभूमि अथवा देवभूमि गोवा राज्य ! : गोवा परशुराम भूमि है । भगवान परशुराम ने गोवा में आगमन कर गोवा को नंदनवन बनाया । उनके आशीर्वाद के कारण गोवा में अन्न, वस्त्र, आय, साधनसामग्री आदि का कभी भी अभाव नहीं हुआ । उसके कारण गोवा को ‘देवभूमि’ अथवा ‘स्वर्गभूमि’ कहा गया है । अब परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने गोवा में कदम (चरण) रखे और हम गोवावासियों के लिए दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के माध्यम से मानो पांचवां वेद ही उपलब्ध करा दिया ।
२ आ. दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के कारण अनेक बातों की मिल रही सीख ! : ‘सनातन प्रभात’ के कारण हमें ‘हिन्दू क्या है ?, हिन्दू संस्कृति क्या है ?, संस्कार क्या होते हैं
?’, ये बातें हमारी समझ में आने लगीं, साथ ही ‘सनातन प्रभात’ हम सभी को ‘बच्चे का जन्म होने का उपरांत उसे कौन से संस्कार देने चाहिए और वो कैसे देने चाहिए ?’, कौनसे विधि करें ? ‘बचपन कैसा होता है ?’, बच्चों पर कैसे संस्कार करें ? ‘मृतक व्यक्ति का अंतिम संस्कार कैसे करने चाहिए ?’, ‘मृत्यु के १२ दिन उपरांत क्या करना चाहिए ?, ‘साधना क्या है ?’, ‘वह कैसे करनी चाहिए ?’, ‘साधना के कारण हम संकटों पर कैसे विजय प्राप्त कर सकते हैं ?’ और ‘साधना के कारण घर स्वर्ग कैसे बनता है ?’, ये सभी बातें ‘सनातन प्रभात’ हमें बहुत ही अच्छे से सिखाता है । उसमें त्योहारों-उत्सवों की जानकारी होती है । देश में कहीं भी हिन्दू महिलाओं और हिन्दुओं के साथ अन्याय अथवा अत्याचार होते हैं, तो उसका समाचार सर्वप्रथम हमें दैनिक ‘सनातन प्रभात’ में ही पढने के लिए मिलता है ।
३. परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा दैनिक ‘सनातन प्रभात’ का प्रकाशन और प्रचुर मात्रा में ग्रंथों की निर्मिति कर समाज पर बहुत बडा उपकार किया जाना
दैनिक ‘सनातन प्रभात’ का प्रकाशन और प्रचुर मात्रा में ग्रंथों की निर्मिति कर परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने समाज पर बहुत उपकार किए हैं । (सनातन ने अप्रैल २०२१ तक ३३७ ग्रंथों का १७ भाषाओं में भाषांतर किया है और उनकी कुल ८१ लाख ९९ सहस्र प्रतियां प्रकाशित की हैं । – संकलनकर्ता) हम उनका यह ऋण कभी भी चुका नहीं सकेंगे । ऐसा कार्य केवल भगवान श्रीकृष्ण ही कर सकते हैं ।
४. प्रार्थना
‘दैनिक ‘सनातन प्रभात’ और सनातन के ग्रंथ हम सभी को और संपूर्ण विश्व को आत्मबल प्रदान करें !’, यह ईश्वर के चरणों में प्रार्थना है !
।। जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम् ।।
– श्री. चंद्रकांत (भाई) पंडित, म्हापसा, गोवा. ॐ (अध्यक्ष, गोमंतक मंदिर महासंघ, गोवा.) (२३.४.२०२१)