दैवी बालक मानवजाति को सुराज्य की ओर ले जाएंगे ! – श्रीमती श्वेता क्लार्क, गोवा

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय को श्रीलंका की अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषद में ‘सर्वोत्कृष्ट’ पुरस्कार प्रदान ! शोधनिबंध के लेखक महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी एवं सहलेखक – श्री. शॉन क्लार्क व श्रीमती श्वेता क्लार्क !

राष्ट्र के विकास का मूल्यांकन कैसा हो ?

‘नागरिकों की आध्यात्मिक उन्नति से राष्ट्र के विकास का मूल्यांकन किया जाना चाहिए; क्योंकि भौतिक विकास कितना भी हो जाए, यदि आत्मिक (अथवा नैतिक) विकास न हो, तो उस भौतिक विकास का क्या अर्थ है ?’

बिना अहम् के हिन्दू राष्ट्र के कार्य में सम्मिलित हों !

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का कार्य करते समय ‘मैं करता हूं’, ऐसा अहम् रखने की आवश्यकता नहीं; क्योंकि काल महिमा के अनुसार वह कार्य निश्चित रूप से होगा;

…तभी हिन्दुओं में धर्म अभिमान जागृत होगा !

‘भारत विगत ९०० वर्षों से परतंत्र था । इस कारण हिन्दुओं की अनेक पीढ़ियां दासता (गुलामी) में बीती हैं । मन से दासता का यह विष नष्ट करने के लिए हिन्दू राष्ट्र की (ईश्वरीय राज्य की) स्थापना करने के लिए दिन रात प्रयास करना आवश्यक है ।

हिन्दू राष्ट्र में भारत का गौरवशाली इतिहास सिखाया जाएगा !

‘अन्य देशों का इतिहास अधिकतम दो-तीन सहस्र वर्षों का है, जबकि भारत का लाखों वर्षों का, युगों-युगों का है । यह पाठशाला में नहीं सिखाया जाता ।

बीमारी दूर होने हेतु आवश्यक देवताओं के तत्त्वों के अनुसार कुछ बीमारियों के लिए नामजप

आगे आनेवाले आपातकाल में आधुनिक वैद्यों और उनकी औषधियां उपलब्ध नहीं होंगी, उस समय ‘किस बीमारी के लिए कौन सा उपाय करना है’, यह समझ में आना कठिन होगा । अतः यह समझ में आए; इसके लिए साधक यह लेख संग्रहित रखें और उसमें दिए अनुसार नामजप करें ।

हास्यास्पद साम्यवाद !

‘जहां पृथ्वी के सभी मनुष्य ही नहीं, अपितु वृक्ष, पर्वत, नदियां इत्यादि भी एक समान दिखाई नहीं देते, वहां ‘साम्यवाद’ यह शब्द ही हास्यास्पद नहीं है क्या ?’

हास्यास्पद साम्यवाद !

‘अध्यात्म के ‘प्रारब्ध’ शब्द की तथा ईश्‍वर की पूर्ण अवहेलना करने के कारण साम्यवाद १०० वर्षों में ही समाप्त होने को है !’ –