हास्यास्पद साम्यवाद !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘माता-पिता भी अपने सभी बच्चों से समान प्रेम नहीं करते । ऐसे में ‘साम्यवाद’ शब्द का भला क्या अर्थ ?’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले