हिन्दू जनजागृति समिति और हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के बारे में हिन्दुत्वनिष्ठों के गौरवोद्गार और परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति व्यक्त किया भाव

अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का व्यासपीठ सभी हिन्दुत्वनिष्ठों के लिए है । इस कारण हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के माध्यम से हिन्दुओं में नवशक्ति निर्माण हुई है । विविध राज्यों में और जिलों में इस प्रकार के अधिवेशन हो रहे हैं । अखंड हिन्दू राष्ट्र के लिए ये सम्मलेन हो रहे हैं ।

राष्ट्र की परम अधोगति का कारण

‘मानवता सिखानेवाली साधना छोडकर अन्य सभी विषय सिखानेवाली आधुनिक शिक्षाप्रणाली के कारण राष्ट्र की परम अधोगति हुई है ।’

सत्ययुग का महत्त्व !

‘सत्ययुग में नियतकालिक, दूरदर्शन-वाहिनियां, जालस्थल (पीरियोडिकल, चैनल, वेबसाइट) इत्यादि की आवश्यकता ही नहीं थी; क्योंकि बुरे समाचार ही नहीं थे और सभी ईश्वर के आंतरिक सानिध्य में रहने के कारण आनंद में थे ।’

संसार का एकमात्र धर्म है हिन्दू धर्म !

संसार में दूसरा धर्म ही नहीं है, इसलिए ‘सर्वधर्म समभाव’, यह शब्द कितना अनुचित है, यह इससे समझ में आता है ।’

‘सर्वधर्म समभाव’ शब्द की व्यर्थता !

‘जिस प्रकार अनपढ व्यक्ति का यह कहना कि ‘सभी भाषाओं के अक्षर समान होते हैं’, उसका अज्ञान दर्शाता है । उसी प्रकार ‘सर्वधर्म समभाव’ कहनेवाले अपना अज्ञान दर्शाते हैं । ‘सभी औषधियां, सभी कानून समान ही हैं’, ऐसा ही कहने के समान है, ‘सर्वधर्म समभाव’ कहना !’

ज्योतिषशास्त्र की सर्वश्रेष्ठता !

‘कहां आगामी कुछ वर्षों में क्या होगा, इसका बुद्धि का उपयोग कर अनुमान लगानेवाले पाश्चात्य; और कहां युगों-युगों के विषय में बतानेवाला ज्योतिषशास्त्र !’

अंतर्ज्ञानी भारतीय ऋषि !

‘पाश्‍चात्त्यों को शोध करने के लिए यंत्रों की आवश्यकता होती है ।ऋषियों और संतों को उनकी आवश्यकता नहीं होती । उन्हें यंत्रों से अनेक गुना अधिक जानकारी प्राप्त होती है ।’

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, स्वेच्छाचार, प्राणियों की विशेषता हो सकती है, मानव की नहीं । ‘धर्मबंधन में रहना, धर्मशास्त्र का अनुकरण करना’, ऐसा करनेवाला ही ‘मानव’ कहला सकता है ।’

केरल सरकार ने मोपला मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं के नरसंहार पर बनी फिल्म को प्रमाणपत्र देने से किया मना

केंद्र सरकार को घोषित करना चाहिए कि हिन्दुओं के नरसंहार को जमीनदारों के विरुद्ध विद्रोह ठहराकर हिन्दुओं के घाव पर नमक छिडकनेवाले इतिहासकारों ने लिखा इतिहास झूठ है ।

केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में जाकर दर्शन करने पर लगा प्रतिबंध अस्थायी रूप से हटाया

मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश संबंधी निर्णय धर्माचार्य एवं वहां के पुजारियों को करना अपेक्षित है । गर्भगृह का अलग ही आध्यात्मिक महत्त्व है । वहां की पवित्रता संजोना आवश्यक है । देश के सभी बडे मंदिरों में इसका पालन किया जाता है ।