शारदीय नवरात्रि : धर्मशिक्षा

पूरे भारत में अत्यंत उत्साह एवं भक्तिमय वातावरण में नवरात्रि के व्रत का पालन किया जाता है । माता जगदंबा की कृपा पाने हेतु श्रद्धापूर्वक उपवासादि आराधना की जाती है ।

श्राद्ध किसे करना चाहिए ?

माता-पिता तथा अन्य निकटवर्ती संबंधियों की मृत्यु के उपरांत, उनकी आगे की यात्रा सुखमय एवं क्लेशरहित हो तथा उन्हें सद्गति प्राप्त हो, इसलिए ‘श्राद्ध’ करना आवश्यक है । पितृपक्ष के निमित्त इस लेख में श्राद्ध का महत्त्व एवं लाभ तथा ‘श्राद्ध किसे करना चाहिए ?’ यह समझ लेते हैं ।

श्राद्ध का उद्देश्य एवं श्राद्ध के विविध प्रकार

सर्व जीवों की लिंगदेह साधना नहीं करती । अतः श्राद्धादि विधि कर, उन्हें बाह्य ऊर्जा के बल पर आगे बढाना पडता है; इसलिए श्राद्ध करना महत्त्वपूर्ण है ।

‘राष्ट्रध्वज का सम्मान हो’ इस विषय पर पाठशाला में विद्यार्थियों का प्रबोधन

इसका लाभ ९०० बच्चों और २८ शिक्षकों ने लिया । इस अवसर पर क्रांतिकारियों की और धर्मशिक्षा प्रदान करनेवाले फ्लेक्स की प्रदर्शनी लगाई गई, जिसका लाभ पाठशाला के विद्यार्थियों व शिक्षकों ने लिया ।

नागपंचमी का इतिहास एवं नागपूजन का महत्त्व

नागपंचमी के दिन हलदी से अथवा रक्तचंदन से एक पीढे पर नवनागों की आकृतियां बनाते हैं एवं उनकी पूजा कर दूध एवं खीलों का नैवेद्य चढाते हैं । नवनाग
पवित्रकों के नौ प्रमुख समूह हैं ।

बहन-भाई का उत्कर्ष करनेवाला रक्षाबंधन !

श्रावण पूर्णिमा अर्थात इस वर्ष ३० अगस्त को रक्षाबंधन है । रक्षाबंधन त्योहार के दिन बहन अपने भाई की आरती कर प्रेम के प्रतीक के रूप में उसे राखी बांधती है । भाई अपनी बहन को भेंटवस्तु देकर उसे आशीर्वाद देता है ।

युवको, सर्वांगीण दृष्टि से सक्षम बनो !

कुछ अभिभावक, सामाजिक तथा राष्ट्र-धर्म हितैषी संगठन बच्चों में जागृति लाने का प्रयास कर उन्हें अपने शौक संजोने अथवा पुस्तकें पढने का सुझाव देते हैं; परंतु उन्हें निश्चित दिशा नहीं मिलती  । इसलिए प्रस्तुत लेख में कुछ उदाहरणों के माध्यम से इस विषय को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है ।

धर्मशिक्षा, धर्मजागृति एवं धर्मरक्षा के लिए संस्कृत भाषा उपयुक्त ! – डॉ. अजित चौधरी, प्राचार्य, यशवंतराव चव्हाण पॉलिटेक्निक, बीड

“सहस्रों वर्ष पूर्व हमारे ऋषि-मुनियों ने संस्कृत भाषा में ही अनेक अविष्कार लिखकर रखे हैं । ऐसी सर्वार्थ से आदर्श देववाणी संस्कृत को व्यावहारिक भाषा बनाने के लिए हमें प्रयास करने चाहिएं; इसलिए प्रत्येक परिवार को अपने बच्चों को बचपन से अंग्रेजी नहीं, अपितु संस्कृत भाषा की शिक्षा देना आवश्यक है ।”, ऐसा मत उन्होने व्यक्त किया.

हिन्दुओं को जबतक ‘सनातन क्या है ?’ यह मंदिरों में सीखाया नहीं जाएगा, तबतक धर्मांतरण होता रहेगा !

बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री ने किया हिन्दुओं को धर्मशिक्षा देने का आवाहन !

धर्माधारित हिन्दू राष्ट्र के लिए धर्मशिक्षा और संगठितत प्रयास आवश्यक ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

हमें स्वयं धर्मशिक्षा लेनी होगी और समाज को देनी होगी । यह एक प्रकार से धर्म की स्थापना का अर्थात पुरुषार्थ का कार्य है । ऐसा प्रतिपादन दिल्ली से उज्जैन यात्रा पर आए सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने किया । वे यहां के वेदनगर स्थित आनंद भवन में आयोजित हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे ।