China Taiwan Conflict : (और इनकी सुनिए…) ‘चीन से ताइवान को अलग करने का प्रयास करनेवालों का नाश होगा !’ – चीन के रक्षामंत्री
विस्तारवादी चीन की ताइवान पर प्रभुत्व प्रस्थापित करना चाहता है । उसे रोकने हेतु अब वैश्विक स्तर पर प्रयत्न होना आवश्यक !
विस्तारवादी चीन की ताइवान पर प्रभुत्व प्रस्थापित करना चाहता है । उसे रोकने हेतु अब वैश्विक स्तर पर प्रयत्न होना आवश्यक !
चीन द्वारा पिछले कुछ वर्षों में देश के मुस्लिमों का इस्लामीकरण रोककर उनका चीनीकरण किया गया है । इसके विरुद्ध एक भी इस्लामी राष्ट्र अथवा उनका संगठन मुंह नहीं खोलते । इसके विपरित भारत में मुसलमान हिन्दुओं पर आक्रमण कर रहे हैं । ऐसा होते हुए भी ‘भारत में मुसलमान असुरक्षित हैं’, ऐसी चिल्लाहट की जाती है ।
रिपोर्ट के अनुसार, जीवन संतुष्टि का वैश्विक औसत ७३ प्रतिशत है। चीन (९१ प्रतिशत) और भारत (८४ प्रतिशत) औसत से बहुत आगे हैं।
पडोसी देश भारत से दूर न जाकर चीन उनको साम, दाम, दंड और भेद के द्वारा उन्हें स्वयं की ओर मोड रहा है और इसका परिणाम इन देशों के आत्मघात में होने वाला है, यह ध्यान में रखना चाहिए !
टेस्ला जैसी कंपनी चीन की बजाय भारत में निवेश कर रही है, इससे स्पष्ट होता है कि चीन के विषय में इस कंपनी को विश्वास नहीं । इस कारण चीन को मिर्ची लगेगी, इसमें क्या विशेष ?
भारत के साथ चीन का इतिहास देखनें पर वह विश्वासघाती प्रतीत होता है। अत: भारत चीन के साथ सकारात्मक विचार रखकर कभी भी निश्चिंत नहीं रह सकता !
अमेरिका के द्वारा अरुणाचल प्रदेश के सूत्र पर भारत का पक्ष लेने पर चीन तिलमिला गया है ।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमनुएल मॅक्रोन कुछ दिनों पूर्व ही ‘नाटो’ को यूक्रेन में सेना भेजनी चाहिए’, ऐसा कहा था । इस पृष्ठभूमि पर अब चीन ने धमकी दी है ।
रूसी सेना के २००८ से २०१४ के बीच हुए युद्ध से जुडे कुछ कागज पत्र प्रकाशित हुए हैं। उन से रूस और चीन दोनों के बीच का अविश्वास खुलकर सामने आ गया है।
चीन ने दावा करते हुए कहा है, ‘प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ स्थिति सामान्य है ।’ कुछ दिन पूर्व भारत के रक्षा सचिव गिरीधर अरमाने ने कहा था, ‘सीमा पर चीन दादा गिरी कर रहा है एवं भारतीय सेना उसका धीरज से सामना कर रही है ।’