|
मॉस्को (रूस) – रूसी सेना के २००८ से २०१४ के बीच हुए युद्ध से जुडे कुछ कागज पत्र प्रकाशित हुए हैं। उन से रूस और चीन दोनों के बीच का अविश्वास खुलकर सामने आ गया है। भले ही रूस के पास हजारों परमाणु हथियार हों, किन्तु रूस को डर है कि ‘चीन आक्रमण करके हमारे पूर्वी क्षेत्र को अपने आधिपत्य में ले सकता है।’ रूस को चीन के इस उद्देश्य का पूर्णरूप से अंदाज हो गया है और इसलिए वह संभावित चीनी आक्रमण से बचाव के लिए युद्ध रणनीति बना रहा है। इस संदर्भ में “फाइनेंशियल टाइम्स” ने एक समाचार प्रकाशित किया है। इस क्षेत्र में रूस के पास तेल और गैस के भंडार हैं। इस कारण चीन की इस पर गिद्ध दृष्टि है।
Hello, Asia. While you were sleeping, this was our most read story https://t.co/BXazwMUaOU
— Financial Times (@FT) February 29, 2024
१. इस प्रतिवेदन के अनुसार, कुछ कगज पत्रों से ज्ञात हुआ है कि चीन कजाकिस्तान के माध्यम से रूस के साइबेरिया और यूराल क्षेत्रों पर आक्रमण कर सकता है।
२. रूस की सेना को चीन पर संशय है। यद्यपि ये कागज पत्र तब लिखे गए थे जब यूक्रेन युद्ध प्रारंभ नहीं हुआ था, दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों में भरपूर बदलाव आया है।
FT reports details of 2008-14 Russian military exercises dealing with hypothetical Chinese invasion. As @KofmanMichael points out, exercises scenarios are often very contrived. But this sure sounds a lot like projection: https://t.co/X6rYqXkaf4 pic.twitter.com/oziBNAifRT
— Shashank Joshi (@shashj) February 29, 2024
३. रूसी सैन्य कागज पत्रों में कहा गया है कि युद्ध की स्थिति में, चीन रूस के पूर्वी हिस्से में स्थानीय विरोध को भडका सकता है, जो उसकी सीमा से लगता है। तदोपरांत चीन गुप्त रूप से रूस की सीमा में तोडफोड करने वालों को भेजेगा और रूसी सैन्य ठिकानों पर गुप्त रूप से आक्रमण किया जाएगा। इससे दोनों के बीच तनाव में वृद्धि होगी तथा चीन सीमा पर अपने सैनिकों को तैनात करेगा और रूस पर ‘नरसंहार’ का आरोप लगाएगा।
China's land encroachment expedition: Aims to grab the eastern regions of Russia.
🇷🇺 Russian military documents disclosed the information.
🇨🇳 China eyes the large oil and gas reserves in the east.
👉 Although global sentiments suggest that China and Russia are coming closer… pic.twitter.com/4kvAVbBzaE
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 1, 2024
चीन के डर से रूस चाहता है भारत की सहायता !
रूसी विशेषज्ञ विलियम अलबर्की का कहना है कि चीन और रूस की सेनाओं के बीच सहयोग अभी भी छायांकन एवं सैन्य संचालन तक ही सीमित है। दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त अभियान, आक्रमण की योजना बनाने या अभ्यास करने जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सहयोग करने से बच रही हैं। यूक्रेन में युद्ध के कारण चीन अब मध्य एशिया पर अपनी पकड पक्की कर रहा है, जो कभी रूस का प्रभाव क्षेत्र था। वहीं, रूस के पास इस क्षेत्र में अपना प्रभाव डालने के लिए पर्याप्त धन और साधन नहीं हैं। चीन के इस धोखे को देखते हुए रूस चाहता है कि भारत रूस के पूर्वी क्षेत्र में निवेश और विकास करे। वर्तमान में भारत वहां एक ‘सैटेलाइट सिटी’ (महानगर के समीप छोटे नगर को सैटेलाइट सिटी कहते हैं) बनाने जा रहा है।
संपादकीय भूमिकायद्यपि गत कुछ वर्षों में चीन और रूस विश्व की दृष्टि में एक दूसरे के समीप आ रहे हैं, किन्तु वास्तविकता बहुत भिन्न है, इससे यही ज्ञात होता है। यह तथ्य पुन: स्पष्ट करते हैं कि चीन की कैसी विस्तारवादी महत्वाकांक्षा है, जिसने रूस को भी नहीं छोडा । ऐसी घटनाओं का उजागर होना भारत के हित में है! |