मालवणी (मुंबई) में रामनवमी की शोभायात्रा में दंगा !

  • पुलिस थाने के बाहर धर्मांध आरोपियों की महिला परिजनों का हंगामा !

  • २५ लोग हिरासत में !

मुंबई : मुसलमानबहुल क्षेत्र मालवणी में श्रीरामनवमी के उपलक्ष्य में निकाली गई शोभायात्रा में धर्मांधों ने दंगा कराया । मालवणी गेट क्रमांक ५ में शोभायात्रा आने पर दंगा आरंभ हुआ । यहां बडे स्तर पर नारेबाजी की गई, साथ ही चप्पल भी फेंके गए । इस समय हिन्दुओं एवं धर्मांधों में जोरदार मारपीट हुई । इसमें हिन्दू एवं धर्मांध दोनों भी घायल हुए । इस समय हिन्दुओं एवं धर्मांधों की ओर से बडी मात्रा में नारेबाजी की जा रही थी । दंगा अधिक फैलने से पूर्व ही घटनास्थल पर उपस्थित पुलिसकर्मियों ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए लाठीचार्ज किया । (पुलिस के होते हुए भी धर्मांध दंगा कराने का साहस दिखाते हैं, इसे ध्यान में लें ! – संपादक)
विश्व हिन्दू परिषद, भाजपा युवा मोर्चा तथा बजरंग दल की ओर से यह शोभायात्रा निकाली गई थी । पुलिसकर्मियों द्वारा भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकताओं से मारपीट किए जाने के कारण भाजपा युवा मोर्चा एवं बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मालवणी पुलिस थाने के बाहर आंदोलन किया । (मुसलमानों पर कार्यवाही करने के लिए हिन्दुओं पर कार्यवाही करने की पुलिस की सर्वधर्मसमभाव की वृत्ति ! ऐसे पुलिसकर्मियों से क्या समाजहित साधेगा ? – संपादक)

२५ लोगों को हिरासत में लिया गया

इस संपूर्ण शोभायात्रा का ड्रोन कैमरे से चित्रीकरण हो रहा था, साथ ही इस मार्ग पर सीसीटीवी भी थे । उसके कारण दंगा निश्चितरूप से कैसे आरंभ हुआ तथा उसमें आरोपी कौन हैं, यह समझ लेना पुलिस के लिए सुलभ होनेवाला है । इस माध्यम से जांच कर पुलिस ने अभीतक २५ लोगों को हिरासत में लिया है तथा अज्ञात २०० से ३०० लोगों पर अपराध पंजीकृत किए गए हैं ।

दंगे के उपरांत कांग्रेस के नेता अस्लम शेख ने स्थिति का अवलोकन किया । अभी भी यहां तनाव का वातावरण है । दिनांक ३० को यहां रातभर पुलिस का पहरा था । मुंबई उपनगर के मंत्री मंगलप्रभात लोढा ने इस प्रकरण में पुलिस अधिकारियों से बैठक कर बातचीत की । इसमें विशेष बात यह रही कि पुलिस थाने के २०० मीटर के परिसर में ही यह दंगा हुआ ।

३१ मार्च को पुलिस दंगे के आरोपियों को हिरासत में लेकर पुलिस थाने ले जा रहे थे, उस समय उनके घर की महिलाएं पुलिस थाने के प्रवेशद्वार पर आकर चिल्लाती हुई हंगामा कर रही थीं । पुलिस थाने के बाहर अनेक महिलाएं इकट्ठा हुई थीं, जिसके कारण पुलिसकर्मियों को आरोपियों को थाने के अंदर ले जाने में भी समस्या आ रही थी । (इससे दंगा भडकानेवाले धर्मांधों को बचाने में उनकी महिलाएं भी कैसे सम्मिलित होती हैं, इसे ध्यान में लें ! इससे पुलिस की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए इन महिलाओं पर भी कार्यवाही क्यों नहीं होनी चाहिए ?, ऐसा किसी को लगा, तो उसमें अनुचित क्या है ? – संपादक) अंततः महिला पुलिसकर्मियों ने इन धर्मांध महिलाओं को वहां से हटाने का प्रयास किया ।

संपादकीय भूमिका

  • हिन्दुओं के त्योहारों के समय मुसलमानबहुल क्षेत्र में दंगे होना सामान्य बात हो चुकी है । इस स्थिति में परिवर्तन लाने के लिए अब हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए !
  • राज्य में हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार होते समय दंगे के दोषियों पर कार्यवाही होने के लिए हिन्दुओं को आंदोलन करने की स्थिति आना बहुत ही दुर्भाग्यजनक !
  • धर्मांध आरोपियों को पकडने पर शासन एवं प्रशासन पर दबाव डालनेवाली उनके घर की महिलाएं तो ‘चोर उल्टा कोतवाल को डांटे !’ वृत्ति की !