मुंबई – मराठी भाषिकों की प्रबलता रहे बेलगाव जिले के येळ्ळूर गांव की सीमा में ‘महाराष्ट्र राज्य येळ्ळूर’ फलक हटाने के निषेध में आंदोलनकारियों पर पुलिस ने मारपीट के अपराध प्रविष्ट किए थे । १० वर्षों उपरांत न्यायालय ने इसके सभी अपराधियों को निर्दोष मुक्त किया है ।
१. मराठी भाषिकों की प्रबलता होते हुए भी सीमा क्षेत्र के अनेक गांव भाषा के आधार पर प्रांतरचना के समय कर्नाटक में समाहित किए गए । पिछले ५४ वर्षों से सीमा क्षेत्र की जनता महाराष्ट्र में आने हेतु संघर्ष कर रही है । उनमें से येळ्ळूर नामका सीमा क्षेत्र में छोटा गांव है । मराठी होने के प्रतीक के रूप में ‘येळ्ळूर, महाराष्ट्र राज्य’ ऐसा फलक लगाया गया था ।
२. वर्ष २०१४ में पुलिस ने यह फलक हटा दिया था । उसका निषेध करनेवालों को कर्नाटक पुलिस द्वारा अमानवीय पद्धति से पीटा गया था । वृद्ध, महिला एवं छोटे बच्चे भी इस लपेट में आ गए थे । भोजन की थाली से घसीटते हुए लोगों को पीटा गया था । पुलिस ने जिन व्यक्तियों को पीटा, इसके विपरित उन लोगों पर ही मारपीट के अपराध प्रविष्ट किए गए थे । (मारपीट करनेवाली पुलिस पर कठोर कार्यवाही कब होगी ? – संपादक)
३. सुनवाई के समय सरकारी पक्ष द्वारा भिन्न भिन्न गवाह, साथ ही कागदपत्रों की जांच की गई । गवाहों की भिन्नता के कारण न्यायालय ने सभी २६ लोगों को निर्दोष सिद्ध किया ।
संपादकीय भूमिका१० वर्षों के उपरांत मिला न्याय अन्याय ही है, यदि जनता को ऐसा लगता है, तो इसमें आश्चर्य कैसा ? |